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सिंधु बॉर्डर: जलेबी के लंगर में देसी घी से बनाई जा रही जलेबियां, हो रही किसान सेवा

सिंघु बॉर्डर पर जलेबी का लंगर लगाया गया है और पिछले 1 महीने से लगातार यहां पर चल रहा है. लंगर संचालक ने कहा कि यह लंगर किसान आंदोलन के साथ ही खत्म होगा.

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Published : Dec 26, 2020, 4:14 PM IST

jalebis are being made with desi ghee at singhu border for farmers
सिंधु बॉर्डर पर जलेबी के लंगर में देसी घी से बनाई जा रही जलेबियां, हो रही किसान सेवा

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आज आंदोलन का 31वां दिन है, यहां पर लगातार किसान आंदोलन सरकार से नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के चलते दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस आंदोलन में लगातार सिख आंदोलनकारियों द्वारा लंगर की व्यवस्था की जा रही है. आंदोलन में तरह-तरह के लंगर लगातार चल रहे हैं. यहां पर किसानों द्वारा 24 घंटे लंगर चल रहा है.

सिंधु बॉर्डर पर लगा जलेबी का लंगर


तमाम लंगर कर रहे है किसानों की सेवा

ईटीवी भारत लगातार एक महीने से सिंधु बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन की कवरेज दर्शकों तक पहुंचा रहा है. इस दौरान बॉर्डर पर किसानों का मोर्चा और लंगर की व्यवस्था दोनों ही अच्छी है. बॉर्डर पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लंगर लगाए गए हैं, किसानों की जरूरत का हर सामान यहां पर उपलब्ध रहता है. रोटी-सब्जी, पुलाव, बिरयानी, खीर, हलवा और गन्ने का रस तमाम तरह के लंगर यहां पर चलाए जा रहे हैं. अब एक अलग तरह का लंगर सिंघु बॉर्डर पर दिखाई दिया, यह लंगर जलेबी का है और पिछले 1 महीने से लगातार यहां पर चल रहा है.

jalebis are being made with desi ghee at singhu border for farmers
देसी घी से बनाई जा रही है जलेबियां


देसी घी से बनाई जा रही जलेबियां

जलेबी देसी घी में बनाकर किसानों और आसपास के लोगों तक पहुंचाई जा रही है. हर रोज लंगर में हजारों किसान व आसपास के लोग आकर जलेबी का लुफ्त उठा रहे हैं. इन लंगरों की व्यवस्था गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और किसानों के द्वारा की जा रही है. लंगर में किसी जाति, धर्म या समुदाय आदि के साथ कोई भेदभाव नहीं है.

jalebis are being made with desi ghee at singhu border for farmers
जलेबी का लंगर


आंदोलन के चलने तक रहेगा लंगर
लंगर संचालक ने कहा कि यह लंगर किसान आंदोलन के साथ ही खत्म होगा. सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है और किसान इसी तरह मोर्चे पर बैठे अपने भाइयों की सेवा करते रहेंगे. लंगर के माध्यम से वह किसान ही नहीं आसपास के इलाके के लोगों की सेवा कर रहे हैं. जिन्हें गरीबी के चलते अच्छा खाना समय पर नहीं उपलब्ध हो रहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आज आंदोलन का 31वां दिन है, यहां पर लगातार किसान आंदोलन सरकार से नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के चलते दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस आंदोलन में लगातार सिख आंदोलनकारियों द्वारा लंगर की व्यवस्था की जा रही है. आंदोलन में तरह-तरह के लंगर लगातार चल रहे हैं. यहां पर किसानों द्वारा 24 घंटे लंगर चल रहा है.

सिंधु बॉर्डर पर लगा जलेबी का लंगर


तमाम लंगर कर रहे है किसानों की सेवा

ईटीवी भारत लगातार एक महीने से सिंधु बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन की कवरेज दर्शकों तक पहुंचा रहा है. इस दौरान बॉर्डर पर किसानों का मोर्चा और लंगर की व्यवस्था दोनों ही अच्छी है. बॉर्डर पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लंगर लगाए गए हैं, किसानों की जरूरत का हर सामान यहां पर उपलब्ध रहता है. रोटी-सब्जी, पुलाव, बिरयानी, खीर, हलवा और गन्ने का रस तमाम तरह के लंगर यहां पर चलाए जा रहे हैं. अब एक अलग तरह का लंगर सिंघु बॉर्डर पर दिखाई दिया, यह लंगर जलेबी का है और पिछले 1 महीने से लगातार यहां पर चल रहा है.

jalebis are being made with desi ghee at singhu border for farmers
देसी घी से बनाई जा रही है जलेबियां


देसी घी से बनाई जा रही जलेबियां

जलेबी देसी घी में बनाकर किसानों और आसपास के लोगों तक पहुंचाई जा रही है. हर रोज लंगर में हजारों किसान व आसपास के लोग आकर जलेबी का लुफ्त उठा रहे हैं. इन लंगरों की व्यवस्था गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और किसानों के द्वारा की जा रही है. लंगर में किसी जाति, धर्म या समुदाय आदि के साथ कोई भेदभाव नहीं है.

jalebis are being made with desi ghee at singhu border for farmers
जलेबी का लंगर


आंदोलन के चलने तक रहेगा लंगर
लंगर संचालक ने कहा कि यह लंगर किसान आंदोलन के साथ ही खत्म होगा. सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है और किसान इसी तरह मोर्चे पर बैठे अपने भाइयों की सेवा करते रहेंगे. लंगर के माध्यम से वह किसान ही नहीं आसपास के इलाके के लोगों की सेवा कर रहे हैं. जिन्हें गरीबी के चलते अच्छा खाना समय पर नहीं उपलब्ध हो रहा है.

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