नई दिल्ली: दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आज आंदोलन का 31वां दिन है, यहां पर लगातार किसान आंदोलन सरकार से नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के चलते दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस आंदोलन में लगातार सिख आंदोलनकारियों द्वारा लंगर की व्यवस्था की जा रही है. आंदोलन में तरह-तरह के लंगर लगातार चल रहे हैं. यहां पर किसानों द्वारा 24 घंटे लंगर चल रहा है.
तमाम लंगर कर रहे है किसानों की सेवा
ईटीवी भारत लगातार एक महीने से सिंधु बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन की कवरेज दर्शकों तक पहुंचा रहा है. इस दौरान बॉर्डर पर किसानों का मोर्चा और लंगर की व्यवस्था दोनों ही अच्छी है. बॉर्डर पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लंगर लगाए गए हैं, किसानों की जरूरत का हर सामान यहां पर उपलब्ध रहता है. रोटी-सब्जी, पुलाव, बिरयानी, खीर, हलवा और गन्ने का रस तमाम तरह के लंगर यहां पर चलाए जा रहे हैं. अब एक अलग तरह का लंगर सिंघु बॉर्डर पर दिखाई दिया, यह लंगर जलेबी का है और पिछले 1 महीने से लगातार यहां पर चल रहा है.
देसी घी से बनाई जा रही जलेबियां
जलेबी देसी घी में बनाकर किसानों और आसपास के लोगों तक पहुंचाई जा रही है. हर रोज लंगर में हजारों किसान व आसपास के लोग आकर जलेबी का लुफ्त उठा रहे हैं. इन लंगरों की व्यवस्था गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और किसानों के द्वारा की जा रही है. लंगर में किसी जाति, धर्म या समुदाय आदि के साथ कोई भेदभाव नहीं है.
आंदोलन के चलने तक रहेगा लंगर
लंगर संचालक ने कहा कि यह लंगर किसान आंदोलन के साथ ही खत्म होगा. सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है और किसान इसी तरह मोर्चे पर बैठे अपने भाइयों की सेवा करते रहेंगे. लंगर के माध्यम से वह किसान ही नहीं आसपास के इलाके के लोगों की सेवा कर रहे हैं. जिन्हें गरीबी के चलते अच्छा खाना समय पर नहीं उपलब्ध हो रहा है.