नई दिल्ली: भारतीय रेलवे देश का सबसे बड़ा यात्री परिवहन है, जो कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई में सक्रिय भागीदार है. जैसे ही भारत में लॉकडाउन शुरू हुआ सभी यात्री ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया.
भारतीय रेलवे को 167 सालों में कभी भी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा. उत्तरी और उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने बताया कि उतर रेलवे को दिए गए टास्क में पंजाब और हरियाणा के अन्न भंडार से निरंतर अनाज की निकासी के माध्यम से 80 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों तक पहुंचाया गया.
प्रति व्यक्ति 5 किलो अतिरिक्त अनाज देने की घोषणा
कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन के कारण काम करने की चुनौती कड़ी थी. लॉकडाउन आगे बढ़ने के बाद एनएफएसए लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति 5 किलो अतिरिक्त अनाज देने की घोषणा सरकार की ओर से की गई. वहीं मांग की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को क्रेडिट पर FCI से 3 महीने के स्टॉक को उठाने की अनुमति दी गई थी. बढ़ी हुई निकासी के लिए रेलवे पर अधिक दबाव था. जिसे देखते हुए उत्तर रेलवे ने एक दिन में औसत 15 से लगभग 3.6 गुना अधिक लोडिंग की. 22 अप्रैल को 54 रेक लोडिंग कर उच्च-स्तरीय रिकॉर्ड को हासिल किया गया.
50% वहन करने का गौरव प्राप्त
नॉर्दन रेलवे ने कुल मिलाकर 18.4 राज्यों में गेहूं और चावल के 62.47 लाख टन ले जाने वाले 2218 रैक चलाए हैं. 47.06 से अधिक एलटी चावल और 15.4 एलटी गेहूं पंजाब और हरियाणा से प्राप्त राज्यों को भेजा गया था. जो की पिछले साल की समान अवधि में नॉर्दन रेलवे पर किए गए खाद्यान्न के लदान से 206% ज्यादा है. इसके साथ जोनल रेलवे ने लॉकडाउन अवधि के दौरान देश में रेलवे द्वारा खाद्यान्न की कुल लोडिंग का लगभग 50% वहन करने का गौरव प्राप्त किया है.