नई दिल्ली : सड़क हादसे में जान गंवाने वाली एक घरेलू महिला के परिवार को अदालत ने 27 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं. एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज एवं एमएसीटी (उत्तर पश्चिम जिला) सिद्धार्थ माथुर की अदालत ने गृहिणी के काम को भी न्यूनतम वेतन योग्य माना है. इसके साथ ही अदालत ने महिला की विवाहित बेटी को भी मुआवजा राशि से बेटे के बराबर हिस्सा देने के आदेश दिए हैं. अदालत ने माना है कि मां पर बेटे के समान ही विवाहित बेटी का भी अधिकार है.
जानकारी के अनुसार, 14 सितंबर 2018 की सुबह गाजियाबाद स्थित डासना के पास एक तेज रफ्तार बस की चपेट में आने से आनंदी नामक महिला की मौत हो गई थी. महिला अपने पति के साथ बेटी की ससुराल से लौट रही थी. बस चालक की तरफ से यह तर्क दिया गया कि बाइक पर महिला का पति ट्रिपल राइडिंग कर रहा था. वह लापरवाही से बाइक चला रहा था, जिसके चलते महिला गिरी और बस के पिछले टायर की चपेट में आ गई. वहीं महिला के पति ने अदालत में बताया कि वह सड़क से तीन कदम पीछे खड़े थे. अदालत ने बस चालक एवं कंडक्टर के बयान में खामियां पाई और महिला के पति द्वारा दिये गए बयान को सत्य माना.
गृहणी भी न्यूनतम वेतन पाने योग्य, परिवार को 27 लाख का मुआवजा - गृहणी भी न्यूनतम वेतन पाने योग्य
14 सितंबर 2018 की सुबह गाजियाबाद स्थित डासना के पास एक तेज रफ्तार बस की चपेट में आने से आनंदी नामक महिला की मौत हो गई थी. महिला अपने पति के साथ बेटी की ससुराल से लौट रही थी. बस चालक की तरफ से यह तर्क दिया गया कि बाइक पर महिला का पति ट्रिपल राइडिंग कर रहा था. वह लापरवाही से बाइक चला रहा था, जिसके चलते महिला गिरी और बस के पिछले टायर की चपेट में आ गई.
नई दिल्ली : सड़क हादसे में जान गंवाने वाली एक घरेलू महिला के परिवार को अदालत ने 27 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं. एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज एवं एमएसीटी (उत्तर पश्चिम जिला) सिद्धार्थ माथुर की अदालत ने गृहिणी के काम को भी न्यूनतम वेतन योग्य माना है. इसके साथ ही अदालत ने महिला की विवाहित बेटी को भी मुआवजा राशि से बेटे के बराबर हिस्सा देने के आदेश दिए हैं. अदालत ने माना है कि मां पर बेटे के समान ही विवाहित बेटी का भी अधिकार है.
जानकारी के अनुसार, 14 सितंबर 2018 की सुबह गाजियाबाद स्थित डासना के पास एक तेज रफ्तार बस की चपेट में आने से आनंदी नामक महिला की मौत हो गई थी. महिला अपने पति के साथ बेटी की ससुराल से लौट रही थी. बस चालक की तरफ से यह तर्क दिया गया कि बाइक पर महिला का पति ट्रिपल राइडिंग कर रहा था. वह लापरवाही से बाइक चला रहा था, जिसके चलते महिला गिरी और बस के पिछले टायर की चपेट में आ गई. वहीं महिला के पति ने अदालत में बताया कि वह सड़क से तीन कदम पीछे खड़े थे. अदालत ने बस चालक एवं कंडक्टर के बयान में खामियां पाई और महिला के पति द्वारा दिये गए बयान को सत्य माना.