नई दिल्ली: दिल्ली की सबसे बड़ी सिविक एजेंसियों में से एक नॉर्थ एमसीडी के अंदर लगातार निगम की संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है.दरअसल निगम अपने राजस्व को बढ़ाने और कर्मचारियों का वेतन समय पर जारी करने के मद्देनजर अपनी कई सारी संपत्तियों को या तो लीज पर दे रही है या फिर बेच रही है, जिससे कि बड़ी मात्रा में राजस्व अर्जित करके कर्मचारियों का वेतन दिया जा सके. इस बीच विपक्ष के द्वारा निगम के ऊपर संपत्तियों को कौड़ियों के दाम बेचने के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं.
बता दें कि हाल ही में हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के अंदर निगम ने एक अजीबोगरीब प्रस्ताव पास किया है, जिससे यह साफ हो गया है कि निगम में शासित भाजपा की सरकार अपने चहेतों को तोहफे बांटने में लगी हुई है. इस प्रस्ताव के तहत नॉर्थ एमसीडी अंतर्गत आने वाली कुछ संपत्तियों को जो कि एक तरह डेड हो चुकी है, राजस्व के मद्देनजर,उन्हें गैर सरकारी संगठनों को दिया जाएगा, ताकि वहां पर इन एनजीओ की मदद से चैरिटेबल डिस्पेंसरी ड्रग्बैंक, ब्लड बैंक या फिर डिस्पेंसरी खोली जा सके, जिससे कि लोगों को फायदा मिले. साथ ही यह डिस्पेंसरी लोगों से 2,5 या ₹10 के रूप में नॉमिनल शुल्क भी लेगी.
बीजेपी ने अपने चहेतों में बांटे तोहफे विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे करोड़ों रुपए की बड़ी संपत्ति को कौड़ियों के दाम बेचने के आरोपों के बीच बीजेपी की नगर निगम ने अब अपने चहेतों की संपत्तियां मुफ्त में बैठ बांटने का फैसला कर लिया है, जिसके मद्देनजर प्रस्ताव भी निगम की बुधवार को ही स्थाई समिति की बैठक में पास कर दिया गया है. बैठक में एजेंडे के आइटम संख्या नंबर 66 के मुताबिक नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े भवनों को अब एनजीओ के हवाले किया जाएगा. प्रस्ताव के मुताबिक नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के जो भवन खाली पड़े हैं या फिर जिन बिल्डिंग में स्वास्थ्य सेवाएं शुरू नहीं हो पाई है. उन्हें एनजीओ को इस तरह की सुविधाएं शुरू करने के लिए मुफ्त में दे दिया जाएगा, जो कि बेहद हैरान कर देने वाला फैसला है.फिलहाल अभी कुतुबगढ़ में निगम के औषध्यालय में बने नए भवन और झंडेवालान में स्थित चेस्ट क्लीनिक के भवन को निजी संगठनों को बिना किसी शुल्क के दिया जा रहा है, जिसके पश्चात और भवनों को भी इसी तरह बीजेपी शासित निगम अपने चहेतों को तोहफे में निशुल्क देने जा रही है.पास किए गए प्रस्ताव के अनुसार पहली बार नॉर्थ एमसीडी निजी संगठन को यह संपत्तियां 15 वर्ष के लिए देगी और इसके बाद 5-5 साल के लिए लाइसेंस की अवधि को भी बढ़ाया जा सकेगा. हैरानी की बात तो यह है कि भयंकर आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही निगम इन एनजीओ से किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लेगी, यानी कि निगम के द्वारा निजी संगठनों को मुफ्त में जगह दी जाएगी.पास में प्रस्ताव के मुताबिक एनजीओ मरीजों के पंजीकरण और दूसरी सुविधाएं देने के लिए अधिक जरूरी हुआ तो नॉमिनल चार्ज लेगी, फिर भी उन्हें निगम को किसी तरह का कोई भुगतान नहीं करना होगा. उन्हें केवल बीपीएल कार्ड धारकों को अपने पास उपलब्ध बीमारियों के इलाज के लिए निशुल्क सुविधा देनी होगी.बता दें कि इस पूरे मामले पर नॉर्थ एमसीडी में बीजेपी नेताओं ने बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि निगम एनजीओ को नॉमिनल चार्ज वसूलने की छूट इसलिए दे रही है, ताकि मरीजों को लगे कि वह अपना इलाज कराने आए हैं और जगह की मेंटेनेंस हो सके. साथ ही साथ मरीजों का स्वाभिमान भी बना रहे.