नई दिल्ली: अधिवक्ता एपी सिंह के अनुसार लखनऊ हाई कोर्ट में सोमवार को पीड़ित परिवार के सभी पांच सदस्यों को पेश किया गया. उनकी सुरक्षा में 60 पुलिसकर्मी लगे हुए थे. हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उनकी बात सुनी. जिसके बाद अगली तारीख 2 नवंबर की दी गई है. जिसमें परिवार के सदस्यों को नहीं बुलाया गया है. इससे यह प्रतीत होता है कि अदालत उनके परिवार द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है. उन्होंने कहा कि पीड़िता के परिवार को पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए. यूपी पुलिस की तरफ से उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाई गई है. इसके अलावा उनके घर के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. वह भी चाहते हैं कि इस परिवार की सुरक्षा होनी चाहिए.
अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि हाई कोर्ट ने इस मामले में खुद संज्ञान लिया है. ऐसे में केस ट्रांसफर करने की मांग गलत है. यह दर्शाता है कि पीड़ित पक्ष को न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा नहीं है. वह यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं करते. उन्हें एसआईटी पर भरोसा नहीं है. सीबीआई इस देश की अग्रिम जांच एजेंसी है. लेकिन पीड़ित परिवार को उनकी जांच पर भी भरोसा नहीं है. उन्हें जांच पर भरोसा करना चाहिए. इसके साथ ही लखनऊ हाइकोर्ट पर भरोसा करना चाहिए जिसने इस मामले पर खुद संज्ञान लिया है.
'मामले पर नहीं होनी चाहिए राजनीति'
अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा है कि इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. यह एक आपराधिक मामला है जिसकी सुनवाई अदालत में होगी. यूपी सरकार को गिराने की साजिश करने वाले लोग इस मामले में राजनीति न करें. जिन्हें राजनीति करनी है वह चुनाव की तैयारी करें. इस मामले के जरिये यूपी सरकार के खिलाफ काम करना बंद करें. अदालत पूरे मामले के तथ्यों को देखेगी और इसके अनुसार ही फैसला आएगा. उन्हें न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है.