नई दिल्ली: फिल्मिस्तान स्थित अनाज मंडी की आग की घटना जितनी भयावह थी, उससे कहीं ज्यादा भयावह है आज शव गृह के सामने उन लोगों की बदहवासी, जिनके परिजनों के शव अंदर पोस्टमार्टम के बाद रखे गए हैं, लेकिन सरकार या अस्पताल की तरफ से उन्हें ले जाने की कोई सुविधा नहीं दी जा रही.
परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल
बुजुर्ग साबिर अपने बेटे मुखिया का शव लेने के लिए सुबह 8 बजे से शव गृह के सामने बैठे हैं. आंखों में आंसू सूख चुके हैं और उम्मीद भी टूटती दिख रही है कि सरकार या अस्पताल की तरफ से शव लेकर जाने के लिए कोई सुविधा मिलेगी. ईटीवी भारत से बातचीत में भावुक होते हुए साबिर ने कहा कि उसकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है, अगर बेटे का शव नहीं पहुंचा, तो वी भी रो-रो कर मर जाएगी.
डॉक्टरों ने शव ले जाने का सुनाया फरमान
उन्होंने शिकायती लहजे में कहा कि कल से सभी नेता, सभी मंत्री यही कहते रहे कि गाड़ी देंगे, व्यवस्था करेंगे शव घर तक ले जाने के लिए, लेकिन आज यहां कोई पूछने वाला नहीं है. यही दर्द सद्दाम का भी है, जिनके भाई अफ़साद का शव पोस्टमार्टम के बाद बाहर रखा हुआ है, लेकिन डॉक्टरों ने फरमान सुना दिया है कि आप शव लेकर जाइए.
इनके अलावा ऐसे कई लोग हैं, जिनके परिजन के शव का पोस्टमार्टम होने वाला है, लेकिन उन्हें भी थोड़ी देर बाद यही चिंता सताने वाली है कि शव लेकर कैसे जाएंगे. गौरतलब है कि कल दिल्ली सरकार के मंत्रियों से लेकर बिहार सरकार के मंत्री तक ने यह बात कही थी कि जिनके परिजनों का शव रखा हुआ है, पोस्टमार्टम के बाद उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार करेगी, लेकिन आज यहां कोई नहीं है.