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FAIMA ने की डॉ. बीसी रॉय पुरस्कार शुरू करने की मांग

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Published : Jun 23, 2021, 5:11 AM IST

डॉक्टर्स की संस्था फेमा ने एलोपैथिक डॉक्टर्स (Allopathic Doctors) को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान डॉक्टर बीसी रॉय अवार्ड के लिए नॉमिनेशन शुरू करने कि मांग की है. उन्होंने पिछले तीन वर्षों से डॉक्टर बीसी रॉय अवॉर्ड नॉमिनेशन नहीं होने पर NMC पर सवाल खड़ा किया है.

BC Roy award
डॉ. बी सी रॉय अवार्ड

नई दिल्ली: पिछले तीन वर्षों से भारतीय डॉक्टर्स को हर वर्ष दिए जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड डॉ. बीसी रॉय अवार्ड (Dr. BC Roy Award) का नॉमिनेशन बंद है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) को भंग कर, इसकी जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के गठन के बाद ऐसा हो रहा है. इसको लेकर डॉक्टर्स, रिसर्चर्स और साइंटिस्ट्स काफी निराश हैं. ऐसे में डॉक्टर्स की संस्था फेमा ने भारत सरकार (Indian Government) और स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) से सवाल किया है.




एलोपैथिक डॉक्टर्स को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान

भारत में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हर डॉक्टर का डॉ. बिधान चंद्र रॉय यानी डॉक्टर बीसी रॉय अवॉर्ड पाने का एक सपना होता है. भारतीय चिकित्सकों में इसका महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) पाने जैसा होता है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) इस अवार्ड की हर साल नॉमिनेशन लेती थी, लेकिन जब से इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन किया गया है, तब से एलोपैथिक डॉक्टर्स (Allopathic Doctors) को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान डॉक्टर बीसी राय अवार्ड के लिए नॉमिनेशन लेना भी बंद कर दिया गया है. देशभर के डॉक्टर की संस्था ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. साथ ही NMC पर सवाल खड़ा किया है कि पिछले तीन वर्षों से डॉक्टर बीसी रॉय अवॉर्ड नॉमिनेशन क्यों नहीं हो रहा है.

फेेमा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन
डॉक्टर्स डे पर एक जुलाई को हर वर्ष अवार्ड की होती थी घोषणा

फेेमा (FAIMA) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन (Dr. Rohan Krishnan) बताते हैं कि डॉक्टर बीसी रॉय अवॉर्ड डॉक्टरों को मिलने वाला सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है, जो पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे डॉ. बिधान चंद्र राय के नाम पर हर वर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले डॉक्टर को दिया जाता है. हर वर्ष मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया कुछ डॉक्टर्स के नाम का सुझाव डॉक्टर बीसी राय अवार्ड के लिए देती थी. इनमें से विशेषज्ञों का एक पैनल योग्य उम्मीदवारों के नाम का चयन करता था. पिछले तीन वर्षों से यह प्रक्रिया बंद कर दी गई है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर, इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल काउंसिल का गठन किया गया है, जो इसको लेकर काफी सुस्त रवैया अपना रहा है. डॉक्टर्स, साइंटिस्ट्स और रिसर्चर्स को मोटिवेट करने के लिए यह अवार्ड दिया जाता है, जो अपने क्षेत्र में बहुत माहिर होते हैं. कई चरणों में यह अवार्ड नॉमिनेट हुआ करता था. इसके लिए राज्यपाल (Governor), मुख्यमंत्री या किसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योग्य उम्मीदवारों को नॉमिनेट करते थे. यह एक पवित्र अवार्ड है, जिसे पाने की ख्वाहिश हर उम्र के डॉक्टर्स की होती है.


ये भी पढ़ें: फेमा ने AIIMS के सुपर स्पेशिलिटी कोर्स के दाखिले में भेदभाव का लगाया आरोप

तीन वर्षों से नॉमिनेशन प्रक्रिया बंद

डॉक्टर रोहन बताते हैं कि दुर्भाग्य की बात यह है कि पिछले तीन वर्षों से, जब से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर, उसकी जगह पर नेशनल मेडिकल कमीशन लाया गया है, तब से इस प्रतिष्ठित अवार्ड का नॉमिनेशन ही बंद कर दिया गया है. उन्होंने इस को लेकर सवाल भी खड़ा किया है और सक्षम अथॉरिटी के पास कई लेटर्स भी लिखे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें इस बारे में कोई भी जवाब नहीं मिला है.

नेशनल मेडिकल कमीशन के गठन के बाद किसी को नहीं मिला अवार्ड

डॉक्टर रोहन बताते हैं कि एनएमसी के वेबसाइट पर तो बीसी रॉय अवॉर्ड का जिक्र जरूर हुआ है, लेकिन इस अवार्ड को देने की उसे कोई फिक्र नहीं है. हर साल यह अवार्ड एक जुलाई को डॉक्टर्स डे (Doctors Day) के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर्स, रिसर्च और साइंटिस्ट को दिया जाता था. जब से नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन हुआ है, तब से यह देखा गया है कि इस अवार्ड को नॉमिनेट नहीं किया जा सका है. डॉ. रोहन सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि जिस तरह से कोरोना काल में डॉक्टर जान की परवाह किए बगैर, कोरोना संक्रमितों का इलाज करते रहें और इस क्रम में सैकड़ों डॉक्टर ने, जान गंवा दी. ऐसे माहौल में सैक्रिफाइस करने के बावजूद डॉक्टर्स की सेवा की पहचान करते हुए, उन्हें मोटिवेट करने के लिए डॉक्टर बीसी राय अवार्ड नहीं दिया गया. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. जब पूरी दुनिया में डॉक्टर्स को अलग-अलग तरीकों से सम्मानित किया जा रहा है, उनकी सेवा को सर्वोच्च सम्मान दिया जा रहा है, तो फिर भारत सरकार का डॉक्टर के प्रति यह रवैया क्यों हैं.

चैयरमेन और मेंबर्स की नियुक्ति के बावजूद एनएमसी फंक्शनल नहीं

डॉ. रोहन बताते हैं कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, इसीलिए इसे भंग कर, इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल कमीशन लाया गया, तो फिर डॉक्टर बीसी रॉय अवार्ड का नॉमिनेशन क्यों बंद किया गया. इस अवार्ड को देने में देरी करने पर किसी को कोई लाभ तो मिल नहीं रहा. इसमें देरी क्यों की जा रही है. डॉ. रोहन ने एनएमसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए बताया कि जब एनएमसी में अध्यक्ष पद का चयन हो गया है. बकायदा, इसके कई मेंबर्स भी है, फिर भी यह पूरी तरह से फंक्शनल क्यों नहीं हो पाई है.

प्रधानमंत्री से अपील अवार्ड को जल्द शुरू किये जाने की अपील की

डॉक्टर रोहन ने प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य राज्यमंत्री से अपील की है कि वह नेशनल मेडिकल कमिशन की कार्यप्रणाली पर नजर रखें और उससे डॉक्टर बीसी रॉय अवार्ड की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा.

नई दिल्ली: पिछले तीन वर्षों से भारतीय डॉक्टर्स को हर वर्ष दिए जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड डॉ. बीसी रॉय अवार्ड (Dr. BC Roy Award) का नॉमिनेशन बंद है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) को भंग कर, इसकी जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के गठन के बाद ऐसा हो रहा है. इसको लेकर डॉक्टर्स, रिसर्चर्स और साइंटिस्ट्स काफी निराश हैं. ऐसे में डॉक्टर्स की संस्था फेमा ने भारत सरकार (Indian Government) और स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) से सवाल किया है.




एलोपैथिक डॉक्टर्स को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान

भारत में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हर डॉक्टर का डॉ. बिधान चंद्र रॉय यानी डॉक्टर बीसी रॉय अवॉर्ड पाने का एक सपना होता है. भारतीय चिकित्सकों में इसका महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) पाने जैसा होता है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) इस अवार्ड की हर साल नॉमिनेशन लेती थी, लेकिन जब से इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन किया गया है, तब से एलोपैथिक डॉक्टर्स (Allopathic Doctors) को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान डॉक्टर बीसी राय अवार्ड के लिए नॉमिनेशन लेना भी बंद कर दिया गया है. देशभर के डॉक्टर की संस्था ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. साथ ही NMC पर सवाल खड़ा किया है कि पिछले तीन वर्षों से डॉक्टर बीसी रॉय अवॉर्ड नॉमिनेशन क्यों नहीं हो रहा है.

फेेमा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन
डॉक्टर्स डे पर एक जुलाई को हर वर्ष अवार्ड की होती थी घोषणा

फेेमा (FAIMA) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन (Dr. Rohan Krishnan) बताते हैं कि डॉक्टर बीसी रॉय अवॉर्ड डॉक्टरों को मिलने वाला सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है, जो पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे डॉ. बिधान चंद्र राय के नाम पर हर वर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले डॉक्टर को दिया जाता है. हर वर्ष मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया कुछ डॉक्टर्स के नाम का सुझाव डॉक्टर बीसी राय अवार्ड के लिए देती थी. इनमें से विशेषज्ञों का एक पैनल योग्य उम्मीदवारों के नाम का चयन करता था. पिछले तीन वर्षों से यह प्रक्रिया बंद कर दी गई है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर, इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल काउंसिल का गठन किया गया है, जो इसको लेकर काफी सुस्त रवैया अपना रहा है. डॉक्टर्स, साइंटिस्ट्स और रिसर्चर्स को मोटिवेट करने के लिए यह अवार्ड दिया जाता है, जो अपने क्षेत्र में बहुत माहिर होते हैं. कई चरणों में यह अवार्ड नॉमिनेट हुआ करता था. इसके लिए राज्यपाल (Governor), मुख्यमंत्री या किसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योग्य उम्मीदवारों को नॉमिनेट करते थे. यह एक पवित्र अवार्ड है, जिसे पाने की ख्वाहिश हर उम्र के डॉक्टर्स की होती है.


ये भी पढ़ें: फेमा ने AIIMS के सुपर स्पेशिलिटी कोर्स के दाखिले में भेदभाव का लगाया आरोप

तीन वर्षों से नॉमिनेशन प्रक्रिया बंद

डॉक्टर रोहन बताते हैं कि दुर्भाग्य की बात यह है कि पिछले तीन वर्षों से, जब से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर, उसकी जगह पर नेशनल मेडिकल कमीशन लाया गया है, तब से इस प्रतिष्ठित अवार्ड का नॉमिनेशन ही बंद कर दिया गया है. उन्होंने इस को लेकर सवाल भी खड़ा किया है और सक्षम अथॉरिटी के पास कई लेटर्स भी लिखे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें इस बारे में कोई भी जवाब नहीं मिला है.

नेशनल मेडिकल कमीशन के गठन के बाद किसी को नहीं मिला अवार्ड

डॉक्टर रोहन बताते हैं कि एनएमसी के वेबसाइट पर तो बीसी रॉय अवॉर्ड का जिक्र जरूर हुआ है, लेकिन इस अवार्ड को देने की उसे कोई फिक्र नहीं है. हर साल यह अवार्ड एक जुलाई को डॉक्टर्स डे (Doctors Day) के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर्स, रिसर्च और साइंटिस्ट को दिया जाता था. जब से नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन हुआ है, तब से यह देखा गया है कि इस अवार्ड को नॉमिनेट नहीं किया जा सका है. डॉ. रोहन सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि जिस तरह से कोरोना काल में डॉक्टर जान की परवाह किए बगैर, कोरोना संक्रमितों का इलाज करते रहें और इस क्रम में सैकड़ों डॉक्टर ने, जान गंवा दी. ऐसे माहौल में सैक्रिफाइस करने के बावजूद डॉक्टर्स की सेवा की पहचान करते हुए, उन्हें मोटिवेट करने के लिए डॉक्टर बीसी राय अवार्ड नहीं दिया गया. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. जब पूरी दुनिया में डॉक्टर्स को अलग-अलग तरीकों से सम्मानित किया जा रहा है, उनकी सेवा को सर्वोच्च सम्मान दिया जा रहा है, तो फिर भारत सरकार का डॉक्टर के प्रति यह रवैया क्यों हैं.

चैयरमेन और मेंबर्स की नियुक्ति के बावजूद एनएमसी फंक्शनल नहीं

डॉ. रोहन बताते हैं कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, इसीलिए इसे भंग कर, इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल कमीशन लाया गया, तो फिर डॉक्टर बीसी रॉय अवार्ड का नॉमिनेशन क्यों बंद किया गया. इस अवार्ड को देने में देरी करने पर किसी को कोई लाभ तो मिल नहीं रहा. इसमें देरी क्यों की जा रही है. डॉ. रोहन ने एनएमसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए बताया कि जब एनएमसी में अध्यक्ष पद का चयन हो गया है. बकायदा, इसके कई मेंबर्स भी है, फिर भी यह पूरी तरह से फंक्शनल क्यों नहीं हो पाई है.

प्रधानमंत्री से अपील अवार्ड को जल्द शुरू किये जाने की अपील की

डॉक्टर रोहन ने प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य राज्यमंत्री से अपील की है कि वह नेशनल मेडिकल कमिशन की कार्यप्रणाली पर नजर रखें और उससे डॉक्टर बीसी रॉय अवार्ड की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा.

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