नई दिल्ली: लॉकडाउन की वजह से एक तरफ प्रधानमंत्री स्वयं निजी कंपनी के मालिकों से भी लोगों को नौकरी से न निकालने और पूरा वेतन देने की अपील कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकारी विभाग दिल्ली परिवहन निगम अपने कर्मचारियों को लिखित में स्पष्ट आदेश जारी कर उन्हें नियमित काम पर आने को कह रहा है. आरोप है कि उन्हें खुली धमकी दी जा रही है कि ऑफिस नहीं आने वाले कर्मचारियों का न सिर्फ वेतन काटा जाएगा, बल्कि उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी. दिल्ली परिवहन मजदूर संघ ने इसके खिलाफ आवाज उठा कर दिल्ली सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की है.
दिल्ली परिवहन मजदूर संघ के महामंत्री कैलाश चंद्र मल्लिक ने निगम के इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि आज पूरा देश कोरोना संकट से गुजर रहा है. प्रधानमंत्री भी सभी से अपने-अपने घरों में ही सुरक्षित रहने के लिए कह रहे हैं. ऐसे में काम न होने के बावजूद सिर्फ भीड़ जुटाने के लिए सभी कर्मचारियों को ऑफिस नियमित पंहुचने का फरमान जारी किया जा रहा है, जो गलत है. सोशल डिस्टेंस, जो कोरोना से बचने के लिए सबसे जरूरी है उसका भी ध्यान गैर जरूरी फरमान जारी करते समय नहीं रख गया है.
अनुबंध भी कर रहे खत्म
मल्लिक में बताया कि लॉकडाउन के दौरान जिन कर्मचारियों का अनुबंध समाप्त हो रहा है और जिनके लाइसेंस की अवधि समाप्त हो गयी है. उनके अनुबंध को न तो रिन्युअल किया जा रहा है और न ही लाइसेंस अवधि समाप्त होने पर इस संबंध में कोई निर्देश भी जारी नहीं किया जा रहा है. इन सभी चीजों को लेकर कर्मचारी नौकरी खोने के डर से बहुत परेशान हो रहे हैं.
मल्लिक ने बताया कि सभी कर्मचारियों को बुला लिया जाता है, लेकिन बसें नाममात्र ही आउट की जाती है. कहीं-कहीं पर तो ऑफिस में भी सभी को बुला लिया जाता है जिससे सभी को दिक्कत हो रही है और लॉकडाउन का भी पालन नहीं हो पा रहा है. इससे लगता है कि प्रशासन को या तो समझ नहीं आ रहा कि क्या करना है या इस पर कोई भी गंभीर नहीं है.