नई दिल्ली: राजधानी में लॉकडाउन लगने के बाद से मेट्रो सेवा को बंद रखा गया है. लगभग चार महीने से बंद चल रही मेट्रो सेवा के चलते डीएमआरसी को अब तक लगभग 1200 करोड़ का नुकसान हो चुका है.
ऐसे में मेट्रो बनाने के लिए लिया गया लोन चुकाना उसके लिए मुश्किल हो गया है. डीएमआरसी ने अब इसके लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी है और लोन की किश्त चुकाने के लिए अगले साल तक की मोहलत मांगी है.
जानकारी के अनुसार डीएमआरसी को मेट्रो परिचालन से रोजाना लगभग 10 करोड़ रुपये की आमदनी होती थी. बीते 22 मार्च से मेट्रो सेवा को लॉकडाउन के चलते बंद रखा गया है. आगामी 31 जुलाई तक इसके चलने की कोई संभावना नहीं है.
ऐसे में बीते चार महीने में मेट्रो नहीं चलने की वजह से डीएमआरसी को 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. डीएमआरसी के कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं. इसलिए उनके वेतन का खर्च भी डीएमआरसी उठा रही है. मेट्रो को दुरुस्त रखने के लिए ट्रैक पर रोजाना कुछ मेट्रो ट्रेन भी चलाई जा रही है.
केंद्र सरकार से DMRC ने मांगी मोहलत
दिल्ली में मेट्रो नेटवर्क बनाने के लिए भारत सरकार के माध्यम से जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जीका) से लगभग 35 हजार करोड़ का लोन लिया गया था. इस लोन की रकम को 30 वर्षों में डीएमआरसी को चुकाना है.
प्रत्येक वर्ष इस लोन को डीएमआरसी समय पर चुकाती रही है. लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से मेट्रो सेवा बंद है. इस वर्ष डीएमआरसी को 1242.8 करोड़ रुपयों की किश्त चुकानी है, लेकिन वह इसे देने की स्थिति में नहीं है.
ऐसे में डीएमआरसी ने लोन चुकाने में असमर्थता जताते हुए केंद्र सरकार से अपील की है कि वह उन्हें लोन की किश्त चुकाने के लिए एक वर्ष की मोहलत दें.
रखरखाव पर भी हो रहा खर्च
डीएमआरसी सूत्रों ने बताया कि दिल्ली एनसीआर में लगभग 400 किलोमीटर नेटवर्क वह बना चुके हैं. उनके 285 मेट्रो स्टेशन, ट्रैक, मेट्रो आदि को अभी चालू हालत में रखा जा रहा है. इसके साथ ही लगभग 10 हजार कर्मचारियों का वेतन भी डीएमआरसी दे रही है.
ऐसे में आमदनी नहीं होने के चलते डीएमआरसी के लिए पहली बार ऐसी मुश्किल घड़ी सामने आई है. उन्हें उम्मीद है कि इस मुश्किल के समय में केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें मदद मिलेगी.