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दिल्ली हिंसा: सरकार के फैसले को LG ने पलटा, वकीलों के पुराने पैनल को ही लागू करने का आदेश

दिल्ली दंगे को लेकर वकीलों का पैनल गठित करने को लेकर कैबिनेट के फैसले को उपराज्यपाल खारिज कर सकते हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत ने पहले ही स्टोरी प्रमुखता से चलाई थी. इस बात का अंदेशा जताया था कि इस मुद्दे पर सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव बढ़ेगा और आखिरकार हुआ भी वही.

delhi LG reversed the decision of kejriwal govt to set up panel of lawyers in Delhi riot
केजरीवाल सरकार के फैसले को LG ने पलटा
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Published : Jul 30, 2020, 7:41 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने को लेकर मंगलवार को केजरीवाल सरकार की कैबिनेट के निर्णय को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने खारिज कर दिया है. संविधान से मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल कर उपराज्यपाल ने ऐसा किया है. साथ ही दिल्ली सरकार के गृह विभाग को आदेश दिया है कि दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को मंजूरी दें. अब संविधान के तहत उपराज्यपाल का यह आदेश दिल्ली सरकार पर बाध्य होगा और दिल्ली सरकार को यह आदेश हर हाल में लागू करना होगा.

वीडियो रिपोर्ट

मंगलवार को हुई थी दिल्ली कैबिनेट की बैठक

दिल्ली दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने के लेकर मंगलवार को दिल्ली सरकार की कैबिनेट की बैठक हुई थी. इसमें दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया था. दिल्ली सरकार का मानना था कि दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की जांच को अदालत ने सही नहीं माना है. ऐसे में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से इसकी निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है.

उपराज्यपाल ने विशेष अधिकार का किया प्रयोग

संविधान के अनुच्छेद 239 एए (4) अधिकार का इस्तेमाल कर उपराज्यपाल ने इस अनुच्छेद से मिले अधिकार के तहत दिल्ली सरकार को अंतरिम आदेश जारी किया है कि दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी दी जाए. मंगलवार को शाम को हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव के साथ दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के सुझाव पर विचार किया गया था.

इसमें चर्चा हुई थी कि दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के लिए जो भी दोषी हैं उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए. साथ ही यह भी तय हुआ था कि निर्दोष को परेशानियां या दंडित नहीं किया जाना चाहिए. इस कारण दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली पुलिस के वकीलों की नियुक्ति पर असहमति जताई. उपराज्यपाल द्वारा दिए गए सुझाव को अस्वीकार कर दिया था.



कैबिनेट के निर्णय को उपराज्यपाल ने पलटा

दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना था कि क्रिमिनल जस्टिस का मूल सिद्धांत है कि जांच पूरी तरह से अभियोजन से स्वतंत्र होनी चाहिए. दिल्ली पुलिस दिल्ली दंगों की जांच एजेंसी रही है. ऐसे में उनके वकीलों के पैनल को मंजूरी देने से निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं. सरकार द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना था कि जांच एजेंसी को वकीलों को तय करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. वकीलों को जांच एजेंसी से स्वतंत्र होना चाहिए इसे दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अस्वीकार कर दिया है और दिल्ली सरकार के गृह विभाग को आदेश दिया है कि दिल्ली पुलिस के पैनल को मॉडिफाइड करें.

नई दिल्ली: दिल्ली दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने को लेकर मंगलवार को केजरीवाल सरकार की कैबिनेट के निर्णय को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने खारिज कर दिया है. संविधान से मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल कर उपराज्यपाल ने ऐसा किया है. साथ ही दिल्ली सरकार के गृह विभाग को आदेश दिया है कि दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को मंजूरी दें. अब संविधान के तहत उपराज्यपाल का यह आदेश दिल्ली सरकार पर बाध्य होगा और दिल्ली सरकार को यह आदेश हर हाल में लागू करना होगा.

वीडियो रिपोर्ट

मंगलवार को हुई थी दिल्ली कैबिनेट की बैठक

दिल्ली दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने के लेकर मंगलवार को दिल्ली सरकार की कैबिनेट की बैठक हुई थी. इसमें दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया था. दिल्ली सरकार का मानना था कि दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की जांच को अदालत ने सही नहीं माना है. ऐसे में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से इसकी निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है.

उपराज्यपाल ने विशेष अधिकार का किया प्रयोग

संविधान के अनुच्छेद 239 एए (4) अधिकार का इस्तेमाल कर उपराज्यपाल ने इस अनुच्छेद से मिले अधिकार के तहत दिल्ली सरकार को अंतरिम आदेश जारी किया है कि दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी दी जाए. मंगलवार को शाम को हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव के साथ दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के सुझाव पर विचार किया गया था.

इसमें चर्चा हुई थी कि दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के लिए जो भी दोषी हैं उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए. साथ ही यह भी तय हुआ था कि निर्दोष को परेशानियां या दंडित नहीं किया जाना चाहिए. इस कारण दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली पुलिस के वकीलों की नियुक्ति पर असहमति जताई. उपराज्यपाल द्वारा दिए गए सुझाव को अस्वीकार कर दिया था.



कैबिनेट के निर्णय को उपराज्यपाल ने पलटा

दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना था कि क्रिमिनल जस्टिस का मूल सिद्धांत है कि जांच पूरी तरह से अभियोजन से स्वतंत्र होनी चाहिए. दिल्ली पुलिस दिल्ली दंगों की जांच एजेंसी रही है. ऐसे में उनके वकीलों के पैनल को मंजूरी देने से निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं. सरकार द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना था कि जांच एजेंसी को वकीलों को तय करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. वकीलों को जांच एजेंसी से स्वतंत्र होना चाहिए इसे दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अस्वीकार कर दिया है और दिल्ली सरकार के गृह विभाग को आदेश दिया है कि दिल्ली पुलिस के पैनल को मॉडिफाइड करें.

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