नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करें कि लोक सेवक रिटायर होने के बाद सरकारी बंगलों में लंबे समय तक कब्जा नहीं जमाएं. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने आवास और शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो अनाधिकृत रुप से कब्जा जमाए लोक सेवकों से बंगला खाली कराएं और अनाधिकृत रुप से रहने का जुर्माना भी वसूलें.
सुनवाई के दौरान आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने हाईकोर्ट को बताया कि उसने रिटायर होने के बाद भी अनाधिकृत रुप से रह रहे 565 लोक सेवकों से सरकारी आवासों को खाली कराया है. उन लोक सेवकों से अनाधिकृत रुप से रहने के रुप में तीन करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूला गया है. उनसे अभी नौ करोड़ रुपये वसूले जाना बाकी हैं. आवास और शहरी विकास मंत्रालय की इस दलील के बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया.
15 दिन में खाली कराने का दिया था आदेश
पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने आवास और शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वे 1998 से अनाधिकृत रुप से सरकारी बंगलों में रह रहे लोगों से 15 दिनों में बंगला खाली करने को कहें. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर वे 15 दिनों के अंदर बंगला खाली नहीं करते हैं तो उनका सामान सड़क पर डाल दें. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था कि अगर किसी बंगले को खाली करने पर किसी कोर्ट या ट्रिब्युनल की रोक है तो आवास और शहरी विकास मंत्रालय उन्हें खाली नहीं कराएगा.
दो याचिकाएं दायर की गई थीं
दरअसल सरकारी बंगलों में पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व नौकरशाहों द्वारा तय समय बीत जाने के बावजूद अनाधिकृत रुप से रहने के खिलाफ दो याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थीं. याचिका एंटी करप्शन काउंसिल और चेन्नई फाइनेंस मार्केट एंड अकाउंटेबिलिटी ने दायर की थी. याचिका में सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से रहने वाले लोगों पर होने वाले खर्च का ब्यौरा देने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी.
'पूर्व नौकरशाहों ने अनाधिकृत रुप से कब्जा जमाया'
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील जेडयू खान ने कोर्ट से कहा था कि पूर्व नौकरशाहों ने करीब सौ सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से कब्जा जमा रखा है. कोर्ट को बताया गया था कि अनाधिकृत रुप से कब्जा करने की वजह से कई वर्तमान विधायक और सांसदों को सरकारी खर्च पर पांचसितारा होटलों में रखा जा रहा है. याचिकाकर्ता ने आरटीआई के जरिये सूचना मांगी थी. लेकिन संबंधित विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी थी.