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सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रूप से रहने वाले बंगला खाली करें- दिल्ली हाईकोर्ट

शहरी विकास मंत्रालय को दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि वे 1998 से अनाधिकृत रुप से सरकारी बंगलों में रह रहे लोगों से 15 दिनों में बंगला खाली करने को कहें. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि अगर किसी बंगले को खाली करने पर किसी कोर्ट या ट्रिब्यूनल की रोक है, तो आवास और शहरी विकास मंत्रालय उन्हें खाली नहीं कराएगा.

Delhi HC directs to modi gov over unauthorized government bungalows
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Feb 5, 2020, 2:26 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 3:01 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आवास और शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वे 1998 से अनाधिकृत रुप से सरकारी बंगलों में रह रहे लोगों से 15 दिनों में बंगला खाली करने को कहें. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर वे 15 दिनों के अंदर बंगला खाली नहीं करते हैं, तो उनके सामान सड़क पर डाल दें.


'कोर्ट या ट्रिब्यूनल की रोक है तो खाली नहीं कराएं'
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि अगर किसी बंगले को खाली करने पर किसी कोर्ट या ट्रिब्यूनल की रोक है, तो आवास और शहरी विकास मंत्रालय उन्हें खाली नहीं कराएगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी. दरअसल, सरकारी बंगलों में पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व नौकरशाहों द्वारा तय समय बीत जाने के बावजूद अनाधिकृत रुप से रहने के खिलाफ एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई है. 14 नवंबर 2019 को याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से रहनेवाले लोगों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अनाधिकृत रुप से रहने वाले लोगों से कितनी रकम वसूली जाए यह भी बताने का निर्देश दिया था.



याचिका एंटी करप्शन काउंसिल ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से रहने वाले लोगों पर होने वाले खर्च का ब्यौरा देने का दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील जेडयू खान ने कोर्ट से कहा था कि पूर्व नौकरशाहों ने करीब सौ सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से कब्जा जमा रखा है. कोर्ट को बताया गया था कि अनाधिकृत रुप से कब्जा करने की वजह से कई वर्तमान विधायक और सांसदों को सरकारी खर्च पर पांच सितारा होटलों में रखा जा रहा है. याचिकाकर्ता ने आरटीआई के जरिये सूचना मांगी थी, लेकिन संबंधित विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी.


कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर इस मामले पर एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो संबंधित सचिव को कोर्ट में तलब किया जाएगा.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आवास और शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वे 1998 से अनाधिकृत रुप से सरकारी बंगलों में रह रहे लोगों से 15 दिनों में बंगला खाली करने को कहें. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर वे 15 दिनों के अंदर बंगला खाली नहीं करते हैं, तो उनके सामान सड़क पर डाल दें.


'कोर्ट या ट्रिब्यूनल की रोक है तो खाली नहीं कराएं'
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि अगर किसी बंगले को खाली करने पर किसी कोर्ट या ट्रिब्यूनल की रोक है, तो आवास और शहरी विकास मंत्रालय उन्हें खाली नहीं कराएगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी. दरअसल, सरकारी बंगलों में पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व नौकरशाहों द्वारा तय समय बीत जाने के बावजूद अनाधिकृत रुप से रहने के खिलाफ एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई है. 14 नवंबर 2019 को याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से रहनेवाले लोगों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अनाधिकृत रुप से रहने वाले लोगों से कितनी रकम वसूली जाए यह भी बताने का निर्देश दिया था.



याचिका एंटी करप्शन काउंसिल ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से रहने वाले लोगों पर होने वाले खर्च का ब्यौरा देने का दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील जेडयू खान ने कोर्ट से कहा था कि पूर्व नौकरशाहों ने करीब सौ सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से कब्जा जमा रखा है. कोर्ट को बताया गया था कि अनाधिकृत रुप से कब्जा करने की वजह से कई वर्तमान विधायक और सांसदों को सरकारी खर्च पर पांच सितारा होटलों में रखा जा रहा है. याचिकाकर्ता ने आरटीआई के जरिये सूचना मांगी थी, लेकिन संबंधित विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी.


कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर इस मामले पर एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो संबंधित सचिव को कोर्ट में तलब किया जाएगा.

Intro:नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने आवास और शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वे 1998 से अनाधिकृत रुप से सरकारी बंगलों में रह रहे लोगों से 15 दिनों में बंगला खाली करने को कहें। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर वे 15 दिनों के अंदर बंगला खाली नहीं करते हैं तो उनके सामान सड़क पर डाल दें।



Body:कोर्ट या ट्रिब्युनल की रोक है तो खाली नहीं कराएं
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि अगर किसी बंगले को खाली करने पर किसी कोर्ट या ट्रिब्युनल की रोक है तो आवास और शहरी विकास मंत्रालय उन्हें खाली नहीं कराएगा। इस मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
तय समय बीतने के बावजूद रह रहे हैं
दरअसल सरकारी बंगलों में पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व नौकरशाहों द्वारा तय समय बीत जाने के बावजूद अनाधिकृत रुप से रहने के खिलाफ एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई है। 14 नवंबर 2019 को याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से रहनेवाले लोगों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अनाधिकृत रुप से रहनेवाले लोगों से कितनी रकम वसूली जाए यह भी बताने का निर्देश दिया था।
पूर्व नौकरशाहों ने करीब सौ सरकारी बंगलों पर कब्जा किया हुआ है
याचिका एंटी करप्शन काउंसिल ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से रहनेवाले लोगों पर होने वाले खर्च का ब्यौरा देने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील जेडयू खान ने कोर्ट से कहा था कि पूर्व नौकरशाहों ने करीब सौ सरकारी बंगलों में अनाधिकृत रुप से कब्जा जमा रखा है। कोर्ट को बताया गया था कि अनाधिकृत रुप से कब्जा करने की वजह से कई वर्तमान विधायक और सांसदों को सरकारी खर्च पर पंचसितारा होटलों में रखा जा रहा है। याचिकाकर्ता ने आरटीआई के जरिये सूचना मांगी थी लेकिन संबंधित विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी।



Conclusion:गंभीरता से ले केंद्र सरकार
कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया था । कोर्ट ने कहा था कि अगर इस मामले पर एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो संबंधित सचिव को कोर्ट में तलब किया जाएगा।
Last Updated : Feb 5, 2020, 3:01 PM IST
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