नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के बीच 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजन को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सबसे ज्यादा वो छात्र परेशान हो रहे हैं जो अपनी उच्च शिक्षा विदेश में करने के इच्छुक है. वहीं छात्रों का कहना है कि परीक्षा परिणाम जारी न होने से वीजा पासपोर्ट बनवाने में उनको देरी हो रही है. साथ ही सबसे बड़ी समस्या यह है की फॉरेन यूनिवर्सिटी में सितंबर-अक्टूबर माह से क्लास शुरू हो जाएंगी.
ऐसे में सीबीएसई द्वारा परीक्षा की अनियमितता उनके लिए परेशानी का सबब बन रही है. साथ ही छात्रों का कहना है कि अभी तक उनके वैक्सीनेशन को लेकर भी कोई चर्चा नहीं की गई है. ऐसे में अन्य देशों में उन्हें जाने की अनुमति मिलेगी या नहीं मिलेगी इस तरह की तमाम स्थितियों से छात्र परेशान है और इस पर सीबीएसई से जल्द से जल्द कदम उठाने मांग कर रहे.
ये भी पढ़ें: 12वीं की परीक्षाओं को लेकर सुनवाई स्थगित, केंद्र ने दो दिन का समय मांगा
परीक्षा में देरी छात्रों के लिए बन रही परेशानी का सबब
बता दें कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति अब विदेश में पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्र पर भारी पड़ने लगी है. छात्रों का कहना है कि फॉरेन यूनिवर्सिटी में सितंबर अक्टूबर माह से सत्र की शुरुआत हो जाएगी. ऐसे में सीबीएसई ने परीक्षा पर कोई फैसला नहीं लिया है और यदि वह उसी दौरान परीक्षा आयोजित कराते हैं तो उनके लिए फॉरेन यूनिवर्सिटी में पढ़ने का सपना पूरा करना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में छात्र चाहते हैं कि उन्हें आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परीक्षा परिणाम जारी कर दिया जाए. हालांकि सीबीएसई द्वारा दिए गए निर्देशों से स्पष्ट हो रहा है कि सीबीएसई परीक्षा आयोजित कराएगी. ऐसे में छात्र यही यही मंशा रखते हैं कि उनकी मार्कशीट जल्द से जल्द जारी की जाए जिससे फॉरेन यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने में उनका सपना पूरा हो सके.
ये भी पढ़ें: बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन के पक्ष में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, पीएम को दिया ज्ञापन
आर्थिक तंगी से जूझ रहा छात्रों का परिवार
इसी तरह बाहर की यूनिवर्सिटी में पढ़ने के ख्वाब देखने वाले अन्य छात्रों का भी मानना है कि परीक्षा परिणाम में हो रही देरी उनके सपनों पर भारी पड़ सकती है. कई छात्र ऐसे हैं जिनका परिवार लॉकडाउन के चलते आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है. ऐसे में छात्रों को यह चिंता सता रही है कि मां-बाप विदेश में पढ़ाई का खर्चा कैसे उठाएंगे. साथ ही बहुत ही छात्रों में यह भी चिंता का सबब बना हुआ है कि अभी तक उन्हें वैक्सीनेशन की एक भी डोज़ नहीं दी गई है तो फॉरेन यूनिवर्सिटीज उन्हें दाखिला देंगी भी या नहीं.
ये भी पढ़ें: 12वीं की परीक्षा दे रहे छात्रों को सबसे पहले दी जाए वैक्सीन : एनएसयूआई
सीबीएसई परीक्षा में देरी छात्रों की बढ़ेगी चुनौती
वहीं इस संबंध में यूनिवर्सिटी लीप की फाउंडर साक्षी मित्तल से बात की तो उन्होंने बताया की फॉरेन यूनिवर्सिटी अब तक छात्रों को काफी सहयोग देती आई हैं. कई यूनिवर्सिटी ने अपने एंट्रेंस एग्जाम भी कैंसिल कर दिए हैं, लेकिन अब वह कितना सहयोग करेंगे इसको लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. साथ ही उन्होंने कहा कि इस समय छात्रों के लिए बड़ी चुनौती होगी क्योंकि अगर सीबीएसई सितंबर माह तक परीक्षा आयोजित करता है तो उसी दौरान छात्रों को फॉरेन यूनिवर्सिटी में भी रिपोर्ट करना होगा. ऐसे में छात्रों के सामने असमंजस की स्थिति आ सकती है.
ये भी पढ़ें: एबीवीपी ने शिक्षा मंत्रालय को 12वीं की परीक्षा के लिए दिए सुझाव
अनुमानित अंक नहीं आने पर टूट जाएगा विदेश में पढ़ने का सपना
साथ ही उन्होंने कहा कि कई फॉरेन यूनिवर्सिटी बोर्ड में बोर्ड की परीक्षा में मिले अंक के अनुसार एडमिशन देती है. ऐसे में फिलहाल छात्र केवल अनुमान के आधार पर विश्वविद्यालय का चुनाव कर रहे हैं. ऐसे में अगर उनके अनुमानित अंक नहीं आते हैं तो उनका विदेश में पढ़ने का सपना टूट सकता है.
ये भी पढ़ें: CBSE BOARD EXAMINATION: 12वीं की परीक्षा को लेकर दो गुट में बंटे शिक्षक
छात्रों के वैक्सीनेशन पर फैसला जरूरी
इसके अलावा साक्षी ने बताया कि कई विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जो छात्रों को वैक्सीनेट करने की बात कह रहे हैं, लेकिन कई यूनिवर्सिटी ऐसी भी हैं जो तभी छात्रों को दाखिला देगी जब उनका वैक्सीनेशन हुआ हो. ऐसे में साक्षी का कहना है कि अभी तक किसी छात्र को वैक्सीन लगी नहीं दो वैक्सीन के बीच का अंतराल भी काफी बढ़ा दिया गया है. ऐसे में नहीं कहा जा सकता है कि यदि छात्र एक वैक्सीन भारत से लगाकर जाएगा तो दूसरी वैक्सीन उसे फॉरेन में दी जाएगी. वहीं साक्षी ने कहा कि इन तमाम बातों पर गौर किए जाने की जरूरत है जिससे छात्रों को विदेशी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने में किसी तरह की समस्या ना हो.
आकंड़ों पर एक नजर
फॉरेन यूनिवर्सिटी में शिक्षा हासिल करने के मामले में भारत के छात्र दूसरे स्थान पर हैं. बता दें कि भारत से हर साल विदेश में उच्च शिक्षा करने के लिए लाखों की संख्या में छात्र जाते हैं, लेकिन गत वर्ष कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से विदेश में पढ़ने के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या में 55 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. वहीं मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2020 में 2.6 लाख छात्र विदेश पढ़ने के लिए गए जबकि वर्ष 2019 में 5.9 लाख छात्र विदेश पढ़ने के लिए गए थे.
ये देश हैं छात्रों की पहली पसंद
वहीं विदेश से पढ़ने के छात्रों की बात करें तो वर्ष 2020 में आंध्र प्रदेश के 35,614, पंजाब के 33,412, महाराष्ट्र के 29,079, गुजरात के 23,156, तमिलनाडु के 15,564, कर्नाटका के 13,699 व देश के अन्य हिस्सों से 1,10,882 छात्र विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए गए.वहीं विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करने के मामलों में भारतीय छात्रों की पहली पसंद की बात करें तो अमेरिका, कनाडा, यूके, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस आदि देश हैं.