नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वाले एक डॉक्टर और उसके साथी को गिरफ्तार किया है. इन पर आरोप है कि ये दोनों जेल में बंद आरोपियों के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाते थे, ताकि उन्हें आसानी से जमानत मिल सके.
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान डॉ. गजेंद्र कुमार नैयर और मुकेश सांगवान के रूप में हुई है. डॉक्टर गजेंद्र कुमार ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री भी ली हुई है.
'आरोपी डॉ. बनाता था बीमारी के फर्जी दस्तावेज'
क्राइम ब्रांच के डीसीपी राकेश पावेरिया ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 जून को जामिया नगर थाने में दर्ज एक मुकदमे में आरोपी अब्दुल रहमान की जमानत याचिका पर लगे उसके पत्नी की बीमारी के दस्तावेज की जांच के ऑर्डर दिए थे.
जांच के दौरान यह सामने आया कि डॉक्टर को दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने 29 नवंबर 2020 तक के लिए सस्पेंड किया है, लेकिन इसके बावजूद जेल में बंद कैदियों के परिजनों की बीमारी के फर्जी दस्तावेज बना रहा था.
क्राइम ब्रांच के एसीपी अरविंद की देखरेख में इंस्पेक्टर दिनेश कुमार ने डॉक्टर गजेंद्र कुमार और उसके साथी मुकेश को गिरफ्तार किया है. पूछताछ के दौरान डॉक्टर गजेंद्र ने बताया कि उसने साल 1969 में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया था. उसके बाद वह पढ़ाई के लिए बाहर चला गया. वहां उसने रॉयल कॉलेज ऑफ रेडियोलॉजिस्ट से डिग्री ली थी.
ऐसे की फर्जीवाड़े की शुरुआत
क्राइम ब्रांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सन 2006 में भारत लौटने के बाद डॉक्टर गजेंद्र कुमार ने अलग-अलग अस्पतालों में काम किया. सन 2015 में उसकी मुलाकात सुनीता नाम की महिला से हुई जिसका पति दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद था.
उसने अपने पति को जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कराने के लिए डॉक्टर से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार कराया. जिसके बाद उसके पति मुकेश संगवान को अंतरिम जमानत मिल गई. उसके बाद से ही मुकेश संगवान डॉक्टर से मिलकर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने लगा था.
2 नर्सिंग होम चलाता है डॉक्टर
क्राइम ब्रांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि आरोपी डॉक्टर परिवार वालों से फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने के लिए 15 से 25 हजार रुपय लेता था. डॉक्टर के ग्रेटर नोएडा और द्वारका मोड़ इलाके में 2 नर्सिंग होम है.
नर्सिंग होम खोलने का मुख्य उद्देश फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर रुपए कमाना था. डॉक्टर पर फर्जीवाड़ा का यह पहला मामला है, लेकिन उसके सहयोगी मुकेश सांगवान पर पहले से पोक्सो एक्ट समेत चार मुकदमे दर्ज हैं.