नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की है. इसको लेकर उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार वैश्विक आपदा के समय संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में पूर्णतया विफल रही है.
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लोग बन रहे मौत का ग्रास
चौधरी अनिल कुमार ने राष्ट्रपति को पत्र के माध्यम से मांग करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विगत कई दिनों से नागरिक अस्पताल में भर्ती न हो पाने और ऑक्सीजन की उपलब्धता न हो पाने के कारण तड़पकर मौत का ग्रास बन रहे हैं. इस वैश्विक आपदा के प्रबंधन में राज्य सरकार का कार्यकलाप पूर्णतया गैर जिम्मेदाराना और लापरवाही वाला रहा है. दिल्ली सरकार ने झूठे प्रचार और प्रसार पर करोड़ों रुपये विज्ञापन पर, तो खर्च किए, लेकिन महामारी से निपटने की कोई तैयारी नही की. उन्होंने कहा कि दिल्ली में नागरिक चिकित्सा व्यवस्थाओं के आभाव में जनता सड़कों पर दम तोड़ने को विवश हैं. ऑक्सीजन गैस और दवाइयों की कालाबजारी हो रही है. सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई है. वर्तमान परिदृश्य इस बात को सिद्ध करते हैं कि प्रदेश सरकार नागरिकों के प्रति संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में पूर्णत: विफल रही हैं और कर्तव्यों से विमुख हो चुकी है.
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व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई
चौधरी अनिल कुमार ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गई है. प्रदेश में स्थिति अराजकता की तरफ बढ़ रही है. दिल्ली हाईकोर्ट को दिल्ली में ऑक्सीजन कि कमी और चिकित्सा व्यवस्था के आभाव के कारण मर रहे नागरिकों के प्रति राज्य सरकार की असंवेदनशीलता और अकर्मण्यता को देखते हुए टिपण्णी करने को विवश होना पड़ा. प्रदेश सरकार ने गत एक वर्ष से इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए है. उसका खामियाजा आज प्रदेश की जनता भुगत रही है. प्रदेश सरकार नागरिकों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने की अपेक्षा कोरोना महामारी से होने वाली मौत के आंकड़ों से खिलवाड़ कर, नाकामियों को छिपाने में व्यस्त है. गरीब मजदूर भूखे मरने की कगार पर है. दिल्ली छोड़कर अपने राज्य वापिस जा रहें हैं, लेकिन प्रदेश सरकार कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रही है.
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