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Delhi Court News: कोर्ट आज इन अलग-अलग मामलों पर करेगा सुनवाई

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Published : Oct 6, 2021, 7:38 AM IST

कोर्ट बुधवार को इन अलग-अलग मामलों पर सुनवाई करेगा, जिसमें जयपुर गोल्डेन अस्पताल में अप्रैल में 21 कोरोना मरीजों की मौत का मामला, स्वामी चक्रपाणि महाराज को जेड प्लस श्रेणी सुरक्षा देने की मांग का मामला और 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मांग करने वाली याचिका शामिल है.

CASES TO BE HEARD IN DELHI COURT
कोर्ट आज इन अलग-अलग मामलों पर करेगा सुनवाई

नई दिल्ली: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट जयपुर गोल्डेन अस्पताल में अप्रैल में 21 कोरोना मरीजों की मौत के मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा. इस मामले की सुनवाई मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विवेक बेनीवाल करेंगे.

तीन अगस्त को दिल्ली पुलिस ने कहा था कि जयपुर गोल्डेन अस्पताल में अप्रैल में 21 कोरोना मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी. सुनवाई के दौरान डीसीपी प्रणव तायल ने कहा था कि सभी मृतकों के डेथ समरी की जांच करने के बाद ये पता चला कि किसी भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई. उन्होंने कहा था कि आरोपी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर हैं इसलिए लापरवाही की जांच के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल की सलाह ली जा रही है.

अपनी स्टेटस रिपोर्ट में जयपुर गोल्डेन अस्पताल ने दिल्ली पुलिस के दावों के उलट कहा है. उनका कहना है कि मरीजों की मौत और ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति में सीधा संबंध है. कई बार मदद मांगने के बावजूद करीब तीस घंटे तक ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की गई. अस्पताल ने कहा है कि आईनॉक्स ने 22 अप्रैल को शाम साढ़े पांच बजे केवल 3.8 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की. 23 अप्रैल को आईनॉक्स ने कोई रिफिलिंग नहीं की, जिसकी वजह से ये संकट पैदा हुआ.

अस्पताल प्रशासन ने कहा कि इस घटना के पहले और बाद में अस्पताल में मौतों का आंकड़ा रोजाना दो से तीन तक का रहा है, जबकि 23 और 24 अप्रैल को 7-8 घंटे में ही 21 मरीजों की मौत हो गई.

पिछले 13 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर की थी. कोर्ट ने कहा था कि पुलिस ने बड़े हल्के अंदाज में रिपोर्ट दायर की है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दोबारा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मामला गंभीर है. संबंधित इलाके के डीसीपी खुद स्टेटस रिपोर्ट दायर करें. पिछले 25 जून को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब किया था.
याचिका सुनीता गुप्ता समेत छह मृतकों के परिजनों ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील साहिल आहूजा और सिद्धांत सेठी ने कहा कि उनके परिजनों की 23 और 24 अप्रैल की दरम्यानी रात को मौत हो गई. उस रात अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो गया था. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस के पास शिकायत की गई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.


याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि अस्पताल प्रशासन के खिलाफ हत्या, लापरवाही से मौत, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और साक्ष्यों को मिटाने के मामले में एफआईआर दर्ज की जाए. याचिका में कहा गया है कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो गई तो अस्पताल प्रशासन को नए मरीजों को भर्ती नहीं करना चाहिए था. साथ ही पहले से भर्ती मरीजों को डिस्चार्ज करना चाहिए था. अस्पताल प्रशासन ने सबको अंधेरे में रखा, जिससे मरीजों की मौत हो गई.

स्वामी चक्रपाणि महाराज को सुरक्षा उपलब्ध कराये जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि को दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील की ओर से मिल रही धमकियों के बाद जेड प्लस श्रेणी सुरक्षा देने की मांग पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच इस मामले में सुनवाई करेगी.


29 सितंबर को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान स्वामी चक्रपाणि की ओर से वकील राजेश रैना ने कहा था कि उन्हें दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और उसके सहयोगियों की ओर से लगातार धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने कहा था कि स्वामी चक्रपाणि की जान को खतरा है. उन्होंने कहा था कि उनकी जेड प्लस की सुरक्षा घटाकर एक्स श्रेणी की कर दी गई थी.

दाऊद इब्राहिम की संपत्तियों को नीलामी में खरीदने के बाद स्वामी चक्रपाणि को धमकियां मिली थीं. स्वामी चक्रपाणि को दाऊद इब्राहिम से मिल रही धमकियों के बाद 2015 में केंद्र ने जेड प्लस की सुरक्षा उपलब्ध कराई थी, लेकिन 2021 में उनकी सुरक्षा घटाकर एक्स श्रेणी की कर दी गई. उसके बाद उन्हें फिर दाऊद इब्राहिम की धमकियां मिलीं. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील अजय दिगपाल ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर की ओर से किए गए सुरक्षा आकलन के आधार पर सुरक्षा दी जाती है. उन्होंने कोर्ट से इस मामले पर निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की. तब कोर्ट ने 6 अक्टूबर तक जवाब देने का निर्देश दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा

दिल्ली हाईकोर्ट एक महिला के 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मांग करनेवाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.

एक सितंबर को कोर्ट ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अस्पताल को यह बताने को निर्देश दिया कि क्या महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है.


सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि महिला को 23 हफ्ते का भ्रूण है. उसका लेडी हार्डिंग अस्पताल में चेकअप के दौरान पता चला कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के मुताबिक भ्रूण के सिर में कोई हड्डी नहीं है. इसके अलवा उसे स्मॉल एट्रोफिक है और उसकी हड्डियों में खराबी है. रिपोर्ट में ये भी पाया गया है कि भ्रूण को हल्का जलोदर है.

याचिका में कहा गया है कि एमपीटी एक्ट में संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन इस संशोधन को अभी नोटिफाई नहीं किया गया है. इसकी वजह से उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. कोर्ट ने कहा कि महिला का इलाज लेडी हार्डिंग अस्पताल में चल रहा है इसलिए एम्स अस्पताल की बजाय वहीं मेडिकल बोर्ड गठित कर ये बताए कि याचिकाकर्ता का भ्रूण हटाने से कोई परेशानी तो नहीं होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के मामले पर करेगा सुनवाई

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को उपबल्ध कराने और उन्हें दूसरे कामों से मुक्त कर बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग करनेवाली एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई है. हाईकोर्ट इस याचिका पर आज सुनवाई करेगा.

याचिका सोशल जूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में दसवीं और बारहवीं के क्लास शुरु हो गए हैं. दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने 30 अगस्त को एक आदेश के जरिये दसवीं और बारहवीं के क्लास शुरु करने का आदेश दिया था. छात्रों के प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क 1 सितंबर से शुरु हो गए हैं. सीबीएसई के दसवीं और बारहवीं के फर्स्ट टर्म की परीक्षा नवंबर में होने के आसार हैं. ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा जरुरत है ताकि बच्चे अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें.


याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में से 70 फीसदी शिक्षकों को दिल्ली सरकार ने कोरोना ड्यूटी में लगा रखा है, जिसकी वजह से स्कूलों में बच्चों की बोर्ड परीक्षा की तैयारी पर असर पड़ रहा है. इससे बच्चों की परीक्षा के रिजल्ट पर असर पड़ सकता है. 23 सितंबर को दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सभी डिवीजनल कमिश्नर को पत्र लिखकर टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों को तुरंत उनके कार्य से मुक्त करने की मांग की थी. शिक्षा निदेशालय के पत्र लिखे जाने के बावजूद उन शिक्षकों को जिलों के डीएम रिलीव नहीं कर रहे हैं. इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.


याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में दिल्ली सरकार के 1053 स्कूल हैं, जिनमें नर्सरी से लेकर बारहवीं तक के करीब 18 लाख छात्र पढ़ते हैं. शिक्षा निदेशालय के पास 57 हजार शिक्षक हैं, लेकिन इनमें से 39 हजार 900 शिक्षकों स्कूल में इसलिए उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि उन्हें अप्रैल 2020 से डिवीजनल कमिश्नर ने आपदा प्रबंधन के कामों में लगा रखा है. ऐसी ही स्थिति नगर निगमों के स्कूलों में भी है. दिल्ली के नगर निगमों की ओर से संचालित स्कूलों में करीब आठ लाख बच्चे प्राईमरी क्लासों में पढ़ते हैं. इन स्कूलों के शिक्षकों को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सीईओ ने अध्यापन से अलावा दूसरे काम में लगा रखा है. इन शिक्षकों में से 69 शिक्षकों को एयरपोर्ट ड्यूटी पर रखा गया है.

नई दिल्ली: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट जयपुर गोल्डेन अस्पताल में अप्रैल में 21 कोरोना मरीजों की मौत के मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा. इस मामले की सुनवाई मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विवेक बेनीवाल करेंगे.

तीन अगस्त को दिल्ली पुलिस ने कहा था कि जयपुर गोल्डेन अस्पताल में अप्रैल में 21 कोरोना मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी. सुनवाई के दौरान डीसीपी प्रणव तायल ने कहा था कि सभी मृतकों के डेथ समरी की जांच करने के बाद ये पता चला कि किसी भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई. उन्होंने कहा था कि आरोपी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर हैं इसलिए लापरवाही की जांच के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल की सलाह ली जा रही है.

अपनी स्टेटस रिपोर्ट में जयपुर गोल्डेन अस्पताल ने दिल्ली पुलिस के दावों के उलट कहा है. उनका कहना है कि मरीजों की मौत और ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति में सीधा संबंध है. कई बार मदद मांगने के बावजूद करीब तीस घंटे तक ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की गई. अस्पताल ने कहा है कि आईनॉक्स ने 22 अप्रैल को शाम साढ़े पांच बजे केवल 3.8 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की. 23 अप्रैल को आईनॉक्स ने कोई रिफिलिंग नहीं की, जिसकी वजह से ये संकट पैदा हुआ.

अस्पताल प्रशासन ने कहा कि इस घटना के पहले और बाद में अस्पताल में मौतों का आंकड़ा रोजाना दो से तीन तक का रहा है, जबकि 23 और 24 अप्रैल को 7-8 घंटे में ही 21 मरीजों की मौत हो गई.

पिछले 13 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर की थी. कोर्ट ने कहा था कि पुलिस ने बड़े हल्के अंदाज में रिपोर्ट दायर की है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दोबारा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मामला गंभीर है. संबंधित इलाके के डीसीपी खुद स्टेटस रिपोर्ट दायर करें. पिछले 25 जून को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब किया था.
याचिका सुनीता गुप्ता समेत छह मृतकों के परिजनों ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील साहिल आहूजा और सिद्धांत सेठी ने कहा कि उनके परिजनों की 23 और 24 अप्रैल की दरम्यानी रात को मौत हो गई. उस रात अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो गया था. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस के पास शिकायत की गई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.


याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि अस्पताल प्रशासन के खिलाफ हत्या, लापरवाही से मौत, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और साक्ष्यों को मिटाने के मामले में एफआईआर दर्ज की जाए. याचिका में कहा गया है कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो गई तो अस्पताल प्रशासन को नए मरीजों को भर्ती नहीं करना चाहिए था. साथ ही पहले से भर्ती मरीजों को डिस्चार्ज करना चाहिए था. अस्पताल प्रशासन ने सबको अंधेरे में रखा, जिससे मरीजों की मौत हो गई.

स्वामी चक्रपाणि महाराज को सुरक्षा उपलब्ध कराये जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि को दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील की ओर से मिल रही धमकियों के बाद जेड प्लस श्रेणी सुरक्षा देने की मांग पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच इस मामले में सुनवाई करेगी.


29 सितंबर को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान स्वामी चक्रपाणि की ओर से वकील राजेश रैना ने कहा था कि उन्हें दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और उसके सहयोगियों की ओर से लगातार धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने कहा था कि स्वामी चक्रपाणि की जान को खतरा है. उन्होंने कहा था कि उनकी जेड प्लस की सुरक्षा घटाकर एक्स श्रेणी की कर दी गई थी.

दाऊद इब्राहिम की संपत्तियों को नीलामी में खरीदने के बाद स्वामी चक्रपाणि को धमकियां मिली थीं. स्वामी चक्रपाणि को दाऊद इब्राहिम से मिल रही धमकियों के बाद 2015 में केंद्र ने जेड प्लस की सुरक्षा उपलब्ध कराई थी, लेकिन 2021 में उनकी सुरक्षा घटाकर एक्स श्रेणी की कर दी गई. उसके बाद उन्हें फिर दाऊद इब्राहिम की धमकियां मिलीं. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील अजय दिगपाल ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर की ओर से किए गए सुरक्षा आकलन के आधार पर सुरक्षा दी जाती है. उन्होंने कोर्ट से इस मामले पर निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की. तब कोर्ट ने 6 अक्टूबर तक जवाब देने का निर्देश दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा

दिल्ली हाईकोर्ट एक महिला के 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मांग करनेवाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.

एक सितंबर को कोर्ट ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अस्पताल को यह बताने को निर्देश दिया कि क्या महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है.


सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि महिला को 23 हफ्ते का भ्रूण है. उसका लेडी हार्डिंग अस्पताल में चेकअप के दौरान पता चला कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के मुताबिक भ्रूण के सिर में कोई हड्डी नहीं है. इसके अलवा उसे स्मॉल एट्रोफिक है और उसकी हड्डियों में खराबी है. रिपोर्ट में ये भी पाया गया है कि भ्रूण को हल्का जलोदर है.

याचिका में कहा गया है कि एमपीटी एक्ट में संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन इस संशोधन को अभी नोटिफाई नहीं किया गया है. इसकी वजह से उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. कोर्ट ने कहा कि महिला का इलाज लेडी हार्डिंग अस्पताल में चल रहा है इसलिए एम्स अस्पताल की बजाय वहीं मेडिकल बोर्ड गठित कर ये बताए कि याचिकाकर्ता का भ्रूण हटाने से कोई परेशानी तो नहीं होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के मामले पर करेगा सुनवाई

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को उपबल्ध कराने और उन्हें दूसरे कामों से मुक्त कर बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग करनेवाली एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई है. हाईकोर्ट इस याचिका पर आज सुनवाई करेगा.

याचिका सोशल जूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में दसवीं और बारहवीं के क्लास शुरु हो गए हैं. दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने 30 अगस्त को एक आदेश के जरिये दसवीं और बारहवीं के क्लास शुरु करने का आदेश दिया था. छात्रों के प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क 1 सितंबर से शुरु हो गए हैं. सीबीएसई के दसवीं और बारहवीं के फर्स्ट टर्म की परीक्षा नवंबर में होने के आसार हैं. ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा जरुरत है ताकि बच्चे अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें.


याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में से 70 फीसदी शिक्षकों को दिल्ली सरकार ने कोरोना ड्यूटी में लगा रखा है, जिसकी वजह से स्कूलों में बच्चों की बोर्ड परीक्षा की तैयारी पर असर पड़ रहा है. इससे बच्चों की परीक्षा के रिजल्ट पर असर पड़ सकता है. 23 सितंबर को दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सभी डिवीजनल कमिश्नर को पत्र लिखकर टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों को तुरंत उनके कार्य से मुक्त करने की मांग की थी. शिक्षा निदेशालय के पत्र लिखे जाने के बावजूद उन शिक्षकों को जिलों के डीएम रिलीव नहीं कर रहे हैं. इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.


याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में दिल्ली सरकार के 1053 स्कूल हैं, जिनमें नर्सरी से लेकर बारहवीं तक के करीब 18 लाख छात्र पढ़ते हैं. शिक्षा निदेशालय के पास 57 हजार शिक्षक हैं, लेकिन इनमें से 39 हजार 900 शिक्षकों स्कूल में इसलिए उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि उन्हें अप्रैल 2020 से डिवीजनल कमिश्नर ने आपदा प्रबंधन के कामों में लगा रखा है. ऐसी ही स्थिति नगर निगमों के स्कूलों में भी है. दिल्ली के नगर निगमों की ओर से संचालित स्कूलों में करीब आठ लाख बच्चे प्राईमरी क्लासों में पढ़ते हैं. इन स्कूलों के शिक्षकों को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सीईओ ने अध्यापन से अलावा दूसरे काम में लगा रखा है. इन शिक्षकों में से 69 शिक्षकों को एयरपोर्ट ड्यूटी पर रखा गया है.

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