नई दिल्ली: कोरोना का कहर हर नए दिन के साथ बढ़ता जा रहा है. इस बीच इस पर नकेल कसने के लिए दावा करने वाली कुछ दवाइयां भी बाजार में आई, लेकिन विवादों में फंस गई. बाबा रामदेव के आयुर्वेदिक रामबाण नुस्खा कोरोनिल बाजार में आने से पहले ही विवादों में फंस गया है. वहीं डॉक्टर्स अंग्रेजी टेबलेट्स मरीजों को धड़ल्ले से लिखने लगे हैं. इसके फायदे भी संदेह के घेरे में है लेकिन इसके लिए मरीजों को काफी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं.
ऐसे हालात में घूम-फिर कर वही सस्ता और भरोसेमंद प्लाज्मा की तरफ सबका ध्यान जा रहा है. इसमें कोई खर्च नहीं आता. प्लाज्मा डोनर मिलते ही फटाफट दो-तीन दिनों के भीतर ही मरीज वेंटिलेटर्स से भी बाहर आ जाते हैं. प्लाज्मा के फायदे को देखते हुए एम्स के कोरोना वॉरियर्स ने तो बकायदा एक मुहिम छेड़ दी है 'तुम मुझे प्लाज्मा दो और मैं तुम्हें कोरोना से आजादी दूंगा'.
कोरोना से मजबूती से लड़ने के लिए अभी तक प्लाज्मा ही एक कारगर उपाय साबित हुआ है. एलएनजेपी अस्पताल में 7 और साकेत मैक्स अस्पताल में 3 मरीज प्लाज्मा थेरेपी से कोविड को हरा चुके हैं. मैक्स साकेत में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के ऊपर भी प्लाज्मा थेरेपी अपनाया गया और वो क्रिटिकल कंडीशन से बाहर आ गएं. इसके बाद दिल्ली सरकार ने एलएनजेपी अस्पताल में 200 मरीजों के ऊपर प्लाज्मा थेरपी आजमाने का आदेश दे दिया है.
आईसीएमआर ने भी दे दी है मंजूरी
एलएनजेपी अस्पताल में भी 7 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी थी, लेकिन बीच में कुछ विवाद होने पर आईसीएमआर ने इस थेरेपी को लेकर सवाल उठाए और इसके प्रयोग पर पाबंदी लगा दी थी लेकिन अब आईसीएमआर ने ही एलएनजेपी अस्पताल को 200 मरीजों के ऊपर प्लाज्मा थेरेपी आजमाने की मंजूरी दे दी है.
एम्स के कार्डियो-रेडियो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमरिंदर सिंह ने कहा कि तुम मुझे प्लाज्मा दो, मैं तुम्हें कोरोना से आजादी दूंगा नाम से एक मुहिम छेड़ी है. उन्होंने कहा कि हमारे एम्स के दो नर्सिंग स्टाफ अभी तक अपना प्लाज्मा डोनेट कर सौ लोगों की जान बचा चुके हैं और दूसरे सभी स्टाफ ने प्लाज्मा डोनेट करने के लिए शपथ ली है.
90 फीसदी दोबारा कोविड इन्फेक्टेड होने के डर से ग्रसित
डॉ. अमरिंदर ने बताया कि अभी महाराष्ट्र में प्लाज्मा डोनेशन को लेकर एक स्टडी हुई थी उसके मुताबिक 90 फीसदी कोविड सर्वाइवर सिर्फ इस डर से प्लाज्मा डोनेट करने के लिये अस्पताल जाने से डरते हैं कि अस्पताल जाने और उन्हें दोबारा कोरोना पकड़ सकता है, लेकिन यह सच नहीं है. अगर आप किसी की जान बचाना चाहते हैं तो आपके लिए यह एक सुनहरा मौका है. प्लाज्मा ही अभी एक ऐसा रामबाण है जो वेंटिलेटर्स वाले मरीजों को भी ठीक कर देता है. एम्स के कोरोना वॉरियर्स लोकेश मौर्य और भंवर कनवत अपना प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं, कई और भी कतार में हैं.
कौन कर सकता है प्लाज्मा दान?
डॉ. अमरिंदर सिंह बताते हैं कि जो मरीज कोविड इंफेक्शन से ठीक हो गए हैं. उन्होंने रिकवर होने के बाद 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि भी पूरी कर ली है और उनके लगातार दो रिपोर्ट्स निगेटिव आई है तो ऐसे कोविड सर्वाइवर अपना प्लाज्मा दान कर सकते हैं. एक डोनर 400 एमएल तक प्लाज्मा दान कर सकता है.
इससे दो लोगों की जान बचाई जा सकती है, ऐसे लोग अगले 15 दिनों में फिर से प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार हो जाते हैं. जब तक कोविड का कोई वैक्सीन नहीं आ जाता है तब तक प्लाज्मा सस्ता और बेहतर विकल्प हो सकता है.