नई दिल्ली: कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने एक बार फिर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लेटर भेजा है. जिसके जरिए ई कॉमर्स कंपनी अमेजन, फ्लिपकार्ट, रिलायंस, सहित अन्य ई फ़ार्मेसी व्यापार में ड्रग एवं कॉस्मैटिक्स क़ानून 1940 के प्रावधानों के ख़िलाफ़ दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री करने का मुद्दा ज़ोरदार तरीक़े से उठाया है. साथ ही इन कम्पनियों द्वारा ऑनलाइन व्यापार के ज़रिए दावा व्यापार पर रोक लगाने की मांग की है.
कैट ने केंद्रीय मंत्री को लिखे लेटर में कहा है कि मेड लाइफ़, अमेजन, फ्लिपकार्ट और रिलायंस के स्वामित्व वाली कम्पनी दवाइयों पर 30% -40% की छूट के साथ कीमतों पर परिचालन करके ई-कॉमर्स व्यापार का दुरुपयोग कर रहे हैं. विदेशी निवेश के कारण इन ई-फार्मेसियों को मुफ्त शिपिंग देने में कोई नुकसान नही उठाना पड़ता है. जबकि देश भर में लाखों केमिस्ट एवं दवा विक्रेता सरकार के हर क़ानून एवं नियम का पालन करते हुए अपने लिए एवं कर्मचारियों के लिए तथा उनके परिवारों के लिए रोज़ी रोटी कमाते हैं.
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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि पूंजी डंपिंग की यह प्रथा उद्योग के निर्वाह और भविष्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती है, क्योंकि ई-फार्मेसियों की अपनी सीमाएं हैं. लेकिन उपभोक्ताओं से सीधा संबंध और आपातकालीन परिस्थितियों में दवाओं की किसी भी समय पहुंचाने का काम सिर्फ एक केमिस्ट की दुकान ही कर सकती है.