नई दिल्ली: हथिनी कुंड बैराज से साढ़े आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद यमुना का जलस्तर बढ़ गया है. ऐसे में यमुना के तेज बहाव को देखा जा सकता है. इसकी चपेट में लोग ना आए. इसके लिए दक्षिण जिला प्रशासन ने कालिंदी कुंज पर एक ऐसे तैराक को तैनात किया है, जिनको वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. आखिर कैसे कर रहे हैं, 19 वर्षीय सागर लोगों की सुरक्षा आइये जानते हैं.
14 वर्ष की उम्र में बचाई थी, 2012 में तीन लड़को की जान
वीरता पुरस्कार से सम्मानित सागर ने साल 2012 में कालिंदी कुंज यमुना में डूबते हुए तीन लड़कों को देखा. सागर अपनी जान हथेली पर रखकर यमुना में कूदे और तीनों लड़कों को एक-एक कर बाहर निकाला. इस पूरे घटनाक्रम के बाद साल 2013 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया.
सबसे अहम बात ये है कि जिस वक्त उन्होंने तीन लड़कों को बचाया तब उनकी उम्र मात्र 14 साल थी. आज वो19 साल के हो चुके हैं.
हर बार लगाई जाती है ड्यूटी
बता दें कि सागर को सम्मान मिलने के बाद से जब भी यमुना उफान पर होती है तो उनको ऐसी स्थिति में कालिंदी कुंज घाट पर बुलाया जाता है. उनका कहना है वो यहां पर सुबह 8 बजे से लेकर 12 बजे तक ड्यूटी करते हैं. जरूरत पड़ने पर भी वो आ जाते हैं. उनका मानना है कि समाज के लिए काम करना ही सबसे बड़ा धर्म है.
वहीं इस बार जिस तरीके से यमुना का जलस्तर बढ़ा है. उसके बाद से वो मोटर वोट के माध्यम से यमुना का जायजा लेते हैं.
पिता से सीखी तैराकी
सागर ने बताया कि उन्होंने अपने पिता भोला कश्यप से तैराकी के गुण सीखे हैं. उनका कहना है कि हमारे परिवार के कई लोग इस घाट पर ही शुरू से रह रहे हैं. ऐसे में मैं बचपन से ही अपने पिता को यमुना में गोताखोर होने के नाते देखता रहा. जिसके बाद पिता ने ही मुझे इस लायक बनाया कि मैं लोगों की जान बचा संकू. उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी अब तक करीब 100 लोगों की जान बचा चुके हैं.
लोगों से की अपील इस वक्त यमुना से रहें दूर
सागर ने बताया कि इस बार यमुना में पिछली साल के मुताबिक ज्यादा पानी छोड़ा गया है. इसलिए ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. इस बार निचले इलाके ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. इसलिए हम खुद ऐसी जगह पर जा रहे हैं, जहां पानी पहुंच सकता है. उनकी अपील है कि यमुना के बढ़ते जलस्तर को देख लोग खुद उस जगह से निकल जाएं जिससे कि कोई बड़ी अनहोनी ना हो.