ETV Bharat / city

Exclusive: बाढ़ प्रभावित इलाके में तैनात वीरता पुरस्कार सम्मानित तैराक 'सागर' - दिल्ली

हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ने से यमुना का जलस्तर बढ़ गया है. जिसके मद्देनजर दक्षिण जिला प्रशासन ने कालिंदी कुंज पर वीरता पुरस्कार से सम्मानित तैराक 'सागर' को तैनात किया है.

वीरता पुरस्कार सम्मानित तैराक सागर etv bharat
author img

By

Published : Aug 20, 2019, 1:21 PM IST

नई दिल्ली: हथिनी कुंड बैराज से साढ़े आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद यमुना का जलस्तर बढ़ गया है. ऐसे में यमुना के तेज बहाव को देखा जा सकता है. इसकी चपेट में लोग ना आए. इसके लिए दक्षिण जिला प्रशासन ने कालिंदी कुंज पर एक ऐसे तैराक को तैनात किया है, जिनको वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. आखिर कैसे कर रहे हैं, 19 वर्षीय सागर लोगों की सुरक्षा आइये जानते हैं.

वीरता पुरस्कार सम्मानित तैराक सागर से खास बातचीत

14 वर्ष की उम्र में बचाई थी, 2012 में तीन लड़को की जान
वीरता पुरस्कार से सम्मानित सागर ने साल 2012 में कालिंदी कुंज यमुना में डूबते हुए तीन लड़कों को देखा. सागर अपनी जान हथेली पर रखकर यमुना में कूदे और तीनों लड़कों को एक-एक कर बाहर निकाला. इस पूरे घटनाक्रम के बाद साल 2013 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया.
सबसे अहम बात ये है कि जिस वक्त उन्होंने तीन लड़कों को बचाया तब उनकी उम्र मात्र 14 साल थी. आज वो19 साल के हो चुके हैं.

bravery award honored swimmer sagar posted in flood affected areas
वीरता पुरस्कार सम्मानित तैराक सागर

हर बार लगाई जाती है ड्यूटी
बता दें कि सागर को सम्मान मिलने के बाद से जब भी यमुना उफान पर होती है तो उनको ऐसी स्थिति में कालिंदी कुंज घाट पर बुलाया जाता है. उनका कहना है वो यहां पर सुबह 8 बजे से लेकर 12 बजे तक ड्यूटी करते हैं. जरूरत पड़ने पर भी वो आ जाते हैं. उनका मानना है कि समाज के लिए काम करना ही सबसे बड़ा धर्म है.
वहीं इस बार जिस तरीके से यमुना का जलस्तर बढ़ा है. उसके बाद से वो मोटर वोट के माध्यम से यमुना का जायजा लेते हैं.

पिता से सीखी तैराकी
सागर ने बताया कि उन्होंने अपने पिता भोला कश्यप से तैराकी के गुण सीखे हैं. उनका कहना है कि हमारे परिवार के कई लोग इस घाट पर ही शुरू से रह रहे हैं. ऐसे में मैं बचपन से ही अपने पिता को यमुना में गोताखोर होने के नाते देखता रहा. जिसके बाद पिता ने ही मुझे इस लायक बनाया कि मैं लोगों की जान बचा संकू. उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी अब तक करीब 100 लोगों की जान बचा चुके हैं.

लोगों से की अपील इस वक्त यमुना से रहें दूर
सागर ने बताया कि इस बार यमुना में पिछली साल के मुताबिक ज्यादा पानी छोड़ा गया है. इसलिए ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. इस बार निचले इलाके ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. इसलिए हम खुद ऐसी जगह पर जा रहे हैं, जहां पानी पहुंच सकता है. उनकी अपील है कि यमुना के बढ़ते जलस्तर को देख लोग खुद उस जगह से निकल जाएं जिससे कि कोई बड़ी अनहोनी ना हो.

नई दिल्ली: हथिनी कुंड बैराज से साढ़े आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद यमुना का जलस्तर बढ़ गया है. ऐसे में यमुना के तेज बहाव को देखा जा सकता है. इसकी चपेट में लोग ना आए. इसके लिए दक्षिण जिला प्रशासन ने कालिंदी कुंज पर एक ऐसे तैराक को तैनात किया है, जिनको वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. आखिर कैसे कर रहे हैं, 19 वर्षीय सागर लोगों की सुरक्षा आइये जानते हैं.

वीरता पुरस्कार सम्मानित तैराक सागर से खास बातचीत

14 वर्ष की उम्र में बचाई थी, 2012 में तीन लड़को की जान
वीरता पुरस्कार से सम्मानित सागर ने साल 2012 में कालिंदी कुंज यमुना में डूबते हुए तीन लड़कों को देखा. सागर अपनी जान हथेली पर रखकर यमुना में कूदे और तीनों लड़कों को एक-एक कर बाहर निकाला. इस पूरे घटनाक्रम के बाद साल 2013 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया.
सबसे अहम बात ये है कि जिस वक्त उन्होंने तीन लड़कों को बचाया तब उनकी उम्र मात्र 14 साल थी. आज वो19 साल के हो चुके हैं.

bravery award honored swimmer sagar posted in flood affected areas
वीरता पुरस्कार सम्मानित तैराक सागर

हर बार लगाई जाती है ड्यूटी
बता दें कि सागर को सम्मान मिलने के बाद से जब भी यमुना उफान पर होती है तो उनको ऐसी स्थिति में कालिंदी कुंज घाट पर बुलाया जाता है. उनका कहना है वो यहां पर सुबह 8 बजे से लेकर 12 बजे तक ड्यूटी करते हैं. जरूरत पड़ने पर भी वो आ जाते हैं. उनका मानना है कि समाज के लिए काम करना ही सबसे बड़ा धर्म है.
वहीं इस बार जिस तरीके से यमुना का जलस्तर बढ़ा है. उसके बाद से वो मोटर वोट के माध्यम से यमुना का जायजा लेते हैं.

पिता से सीखी तैराकी
सागर ने बताया कि उन्होंने अपने पिता भोला कश्यप से तैराकी के गुण सीखे हैं. उनका कहना है कि हमारे परिवार के कई लोग इस घाट पर ही शुरू से रह रहे हैं. ऐसे में मैं बचपन से ही अपने पिता को यमुना में गोताखोर होने के नाते देखता रहा. जिसके बाद पिता ने ही मुझे इस लायक बनाया कि मैं लोगों की जान बचा संकू. उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी अब तक करीब 100 लोगों की जान बचा चुके हैं.

लोगों से की अपील इस वक्त यमुना से रहें दूर
सागर ने बताया कि इस बार यमुना में पिछली साल के मुताबिक ज्यादा पानी छोड़ा गया है. इसलिए ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. इस बार निचले इलाके ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. इसलिए हम खुद ऐसी जगह पर जा रहे हैं, जहां पानी पहुंच सकता है. उनकी अपील है कि यमुना के बढ़ते जलस्तर को देख लोग खुद उस जगह से निकल जाएं जिससे कि कोई बड़ी अनहोनी ना हो.

Intro:वीरता पुरस्कार से सम्मानित 'सागर' कालिंदी कुंज चप्पे-चप्पे पर रख रहे नजर

दक्षिणी दिल्ली: हथिनी कुंड बैराज से साढ़े आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद दिल्ली का जलस्तर बढ़ चुका है. ऐसे में यमुना उफान पर है और अब तेज बहाव यमुना में देखा जा सकता है.लेकिन यमुना के निचले स्तर पर रहने वाले लोग चपेट में ना आए. इसके लिए दक्षिण जिला प्रशासन ने कालिंदी कुंज पर एक ऐसे तैराक को तैनात किया है, जो कि वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.आखिर कैसे कर रहे हैं 19 वर्षीय सागर लोगों की सुरक्षा आइये जानते हैं.


Body:14 वर्ष की उम्र में बचाई थी, 2012 में तीन लड़को की जान
आपको बता दें कि वीरता पुरस्कार से सम्मानित सागर ने वर्ष 2012 में कालिंदी कुंज यमुना में डूबते हुए तीन लड़कों को देखा. इस दरमियान घाट पर कई लोग मौजूद थे, लेकिन उन्होंने अपनी जान हथेली पर रखकर यमुना में कूदे और तीनों लड़कों को एक एक कर बाहर निकाला.यह वक्त था जब उन्हें अपने अंदर की प्रतिभा पर पूरा विश्वास था. और लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद वर्ष 2013 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उन्हें नवाजा था. सबसे अहम बात यह है कि जिस वक्त उन्होंने तीन लड़कों को बचाया तब उनकी उम्र मात्र 14 वर्ष थी और आज 19 वर्ष के हो चुके हैं. लेकिन वे लगातार कालिंदी कुंज घाट और सकस आस-पास के एरिया में रहकर अनहोनी होने पर सतर्क रहते हैं.

हर बार लगाई जाती है ड्यूटी
आपको बता दें कि जिस तरीके से तैराक सागर को सम्मानित किया गया उसके बाद दक्षिणी-पूर्वी जिला प्रशासन ने उनको इतनी तवज्जो दी है कि जब भी यमुना उफान पर होती है तो उनको ऐसी स्थिति में कालिंदी कुंज घाट पर बुलाया जाता है. उनका कहना है कि यहां पर वह सुबह 8:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक ड्यूटी करते हैं और जरूरत पड़ने पर भी वह आते हैं.उनका मानना है कि समाज के लिए काम करना ही सबसे बड़ा धर्म है. वहीं इस बार जिस तरीके से यमुना का जलस्तर बढ़ा है उसके बाद वह मोटर वोट के माध्यम से यमुना का जायजा लेते हैं और यमुना की हलचल पर पूरी निगरानी बनाए हुए हैं.

पिता से सीखी तैराकी
सागर ने बताया कि उन्होंने अपने पिता भोला कश्यप से तैराकी के गुण सीखे हैं. हमारे परिवार के कई लोग इस घाट पर ही शुरू से रहे हैं. ऐसे में मैं बचपन से ही अपने पिता को यमुना में गोताखोर होने के नाते देखता रहा. जिसके बाद पापा ने ही मुझे इस लायक बनाया कि मैं लोगों की जान बचा सकें. उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी अब तक कई 100 लोगों की जान बचा चुके हैं.

लोगों से की अपील इस वक्त यमुना से रहें दूर
सागर ने बताया कि इस बार यमुना में इसी साल के मुताबिक ज्यादा पानी छोड़ा गया है.इसलिए ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. इस बार निचले इलाके ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं.इसलिए हम खुद ऐसी जगह पर जा रहे हैं जहां पानी पहुंच सकता है. उनकी अपील है कि यमुना के बढ़ते जलस्तर को देख लोग खुद उस जगह से निकल जाए जिससे कि कोई बड़ी अनहोनी ना हो.


Conclusion:फिलहाल यमुना का जलस्तर काफी मात्रा में बढ़ चुका है और इसको लेकर कालिंदी कुंज घाट पर कई गोताखोर तैनात किए गए. लेकिन सबसे अहम बात यह है कि वीरता पुरस्कार से सम्मानित सागर की तैनाती बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है जो कि इस बार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लगाई गई है.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.