नई दिल्ली : बीजेपी के पोल खोल अभियान की दिल्ली की जनता ने हवा निकालकर रख दी है. पोल खोल अभियान के तहत लोगों के बीच पहुंचे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता पर गुस्साई जनता ने सवालों की बौछार कर दी. जिसके बाद उन्हें बचते बचाते वहां से निकलना पड़ा. पश्चिमी दिल्ली में आदेश गुप्ता लोगों को केजरीवाल सरकार की नाकामियां और अधूरे वादे याद दिलाने पहुंचे थे. लेकिन लोगों ने उनसे ही उनके वादों और बेरोजगारी के साथ ही महंगाई व अन्य मुद्दों का हिसाब मांगना शुरू कर दिया. जिसका जवाब न तो बीजेपी अध्यक्ष के पास था औऱ न ही उनके साथ चल रहे तमाम कार्यकर्ता ही दे सके.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता हाथों में केजरीवाल सरकार की नाकामियों का चिट्ठा लेकर जनता के बीच पोल खोल अभियान के तहत पहुंचे थे. वह लोगों को बता रहे थे कि केजरीवाल सरकार ने बिजली-पानी और नौकरियों के साथ ही अस्पताल व स्कूल बनाने के वादे पूरे नहीं किए. इस पर गुस्साए लोगों ने चौपट हुए रोजगार, महंगाई और बिगड़ती व्यवस्था का उनसे हिसाब मांगना शुरू कर दिया. लोगों का गुस्सा देखकर उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करें.
कई लोगों ने भाजपा के मंदिर-मस्जिद की राजनीति को लेकर भी सवाल खड़े किए. उनका कहना था कि क्या नाले पर मंदिर बनाकर उस पर प्राचीन मंदिर लिखवा देने से वहां भगवान आ जाएंगे. क्या भगवान राम ने मंदिर की मांग की थी. उन्होंने तो महल भी छोड़ दिया था, फिर हम मंदिर के पीछे क्यों भाग रहे हैं.
बेतहाशा महंगाई और बेरोजगारी का जिम्मेदार कौन?
इसके बाद कई लोगों ने देश में बेतहाशा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और गिरती अर्थव्यवस्था के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. लोगों ने कहा कि बेटे को पढ़ाया-लिखाया अब वह बेरोजगार भटकता फिर रहा है. क्या करें, कहां से उसे नौकरी दें. लोगों ने रेलवे और अन्य कई उपक्रमों के निजीकरण को लेकर भी सवाल खड़े किए. जनता का गुस्सा अब बढ़ता ही जा रहा है. लोगों का कहना है कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने कितने लोगों को नौकरी दी. सरकारी सेक्टर के निजीकरण को लेकर लोग आगबबूला हो गए.
धार्मिक मामलों में जनता को उलझाकर क्या मिलेगा?
पोल खोल अभियान के दौरान भाजपा अध्यक्ष से लोग सवाल पूछ रहे हैं कि धार्मिक मामलों में जनता को उलझाकर क्या मिलेगा. देश को रोजगार और विकास चाहिए. उसे देने में अब तक तो सरकार नाकाम रही है औऱ धार्मिक मुद्दों के जरिए जनता का ध्यान भटकाया जा रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह कि जो बीजेपी आप सरकार की पोल खोलने में इतने बड़े स्तर पर अभियान चला रही है, लेकिन जनता के सवालों से बचने का अब उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा है.