नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की चुनाव समिति को ग्रीवेंस रिड्रेसल सेल (जीआरसी) की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है. जिसमें जेएनयू चुनाव समिति पर यह आरोप लगा है कि उन्होंने लिंगदोह समिति की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप छात्र संघ चुनाव नहीं कराया है.
साथ ही इनमें दिए गए नियमों का उल्लंघन भी किया है. जीआरसी ने बुधवार सुबह 10 बजे तक चुनाव समिति से जवाब तलब किया है.
बता दें कि जेएनयू के ग्रीवेंस रिड्रेसल सेल के अध्यक्ष प्रोफेसर उमेश कदम ने जेएनयू छात्रसंघ चुनाव समिति को एक नोटिस भेजा है जिसमें समिति ने जारी किए गए दिशानिर्देशों के 10 बिंदुओं का उल्लंघन किया है.
संविधान के तहत नहीं हुआ चुनाव
जीआरसी ने चुनाव समिति से जवाब तलब किया है कि उन्होंने जेएनयू छात्रसंघ चुनाव संविधान के तहत क्यों नहीं करवाया.
साथ ही पूछा है कि लिंगदोह समिति की सिफारिश के अनुसार अनुसार चुनाव की पूरी प्रक्रिया 10 दिन के अंदर पूरी करनी थी.
चुनाव समिति ने 26 अगस्त 2019 को नामांकन दाखिल करने और 8 सितंबर को नतीजे घोषित करने की तिथि की अनुसूची तैयार की थी.
जिसमें कुल 14 दिन लगे थे. इस उल्लंघन का क्या कारण रहा. इसके अलावा चुनाव समिति पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रत्याशियों की घोषणा करने से पहले इस बात की जांच नहीं की कि उनका कोई अकादमिक बकाया है या नहीं.
रिकॉर्ड चेक किए बिना घोषित हुए प्रत्याशी
वहीं ग्रीवेंस रिड्रेसल सेल(जीआरसी) ने चुनाव समिति पर प्रत्याशियों के हाजिरी के रिकॉर्ड को चेक किए बिना ही उन्हें प्रत्याशी घोषित करने का आरोप लगाया है.
साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि प्रत्याशियों की आधिकारिक घोषणा करने से पहले जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय से यह भी जानकारी नहीं दी गई कि उम्मीदवारों के विरुद्ध किसी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है या नहीं.
इस चुनाव के दौरान काउंसलर के पद के लिए पार्ट टाइम छात्र को एक सीट आवंटित की गई थी जो कि नियमानुसार वैध नहीं है. विश्वविद्यालय नियम के अनुसार विश्वविद्यालय के स्थाई छात्र ही चुनाव की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं.
यह सभी तथ्य लिंगदोह समिति की सिफारिश का उल्लंघन करते हैं जिसका जवाब चुनाव आयोग से तलब किया गया है.
संबंधित अधिकारियों से नहीं ली गई अनुमति
इसके अलावा जीआरसी ने यह भी आरोप लगाया है कि जेएनयू कैंपस में जिन जगहों को चुनाव समिति ने सार्वजनिक बैठकों के लिए आवंटित किया था. उसके लिए प्रशासन के संबंधित अधिकारियों से किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली गई थी.
साथ ही विश्वविद्यालय में चुनाव के दौरान वह लोग भी पोलिंग बूथ पर नजर आए जो विश्वविद्यालय का हिस्सा ही नहीं थे. कई बाहरी लोग बैलट बॉक्स और मतगणना कक्ष के आसपास घूमते नजर आए जबकि नियम के अनुसार विश्वविद्यालय से ताल्लुक ना रखने वाले लोग चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकते हैं.
जीआरसी ने मांगा स्पष्टीकरण
आरोप यह भी लगा है कि जेएनयू में होने वाली छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और स्वतंत्र हो इसके लिए एक समीक्षक नियुक्त किया गया था, लेकिन उस समीक्षक को चुनाव समिति ने पोलिंग बूथ और मतगणना कक्ष के आसपास भी जाने की अनुमति नहीं दी थी.
इन सभी कारणों पर जेएनयू चुनाव समिति की तरफ से जीआरसी ने स्पष्टीकरण मांगा है जिसे बुधवार सुबह 10 बजे तक चुनाव समिति को देना होगा.