नई दिल्ली: ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) की ओर से नर्सिंग ऑफिसर की भर्ती के लिए महिला एवं पुरुष का अनुपात जारी किया गया है. अब 80 फ़ीसदी महिलाओं और सिर्फ 20 फ़ीसदी पुरुषों की ही भर्ती की जा सकती है. यह नियम देश भर के सभी AIIMS अस्पतालों पर लागू होगा, जिसको लेकर एम्स का नर्सिंग स्टाफ विरोध जता रहा है. इस अनुपात को लेकर नर्सेज ने AIIMS प्रशासन पर महिला एवं पुरुषों के बीच भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया है.
AIIMS अस्पताल के नर्स यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार काजला ने बताया कि हर साल सितंबर के महीने में NOR CET का एग्जाम होता है, जिसमें नर्सिंग ऑफिसर की भर्ती होती है, लेकिन इस भर्ती के लिए AIIMS प्रशासन ने 80 और 20 फ़ीसदी का अनुपात जारी किया है. यानी कि इस पद के लिए 80 फ़ीसदी महिलाओं और 20 फ़ीसदी पुरुषों की ही भर्ती हो पायेगी, जबकि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.
'पुरुषों के साथ भेदभाव सरासर गलत'
पुरुषों के साथ इस प्रकार का भेदभाव सरासर गलत है. इस प्रकार का अनुपात तब जारी किया जाता है, जब महिला या पुरुष की संख्या कम हो, लेकिन मौजूदा समय में इस प्रकार से नर्स की भर्ती के लिए महिला एवं पुरुषों का एक समान अनुपात नहीं होना चाहिए. हरीश कुमार ने बताया कि 15 जून को सेंट्रल इंस्टीट्यूट बॉडी (CIB) की मीटिंग होनी है, जिसमें हम स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के सामने अपनी इस समस्या को रखेंगे और यह मांग करेंगे कि नर्सिंग की भर्ती के लिए महिला एवं पुरुषों के बीच 80:20 का अनुपात खत्म होना चाहिए. इसे बराबर किया जाना चाहिए.
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बता दें कि इससे पहले जीबी पंत अस्पताल से भी नर्सिंग स्टाफ को लेकर एक मामला सुर्खियों में आया था. तब अस्पताल की ओर से ड्यूटी के दौरान मलयालम भाषा के इस्तेमाल पर रोक लगाने का सर्कुलर जारी किया गया था. हालांकि विवाद बढ़ने पर सरकार ने उस सर्कुलर को वापस लेने का आदेश जारी किया. साथ ही अब इस मामले में अस्पताल की ओर से सफाई भी दी गई है.