नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा सांसदों के विकास निधि में की गई कटौती पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना सांसदों के रायशुमारी के केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है, जो पूरी तरह से गलत है. कई सांसद पहले ही अपने निधि से केंद्र सरकार का सहयोग कर चुके हैं.
'थम जाएगा विकास का रास्ता'
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान संजय सिंह ने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए ही सांसद को विकास निधि दी जाती है. लेकिन विकास निधि में कटौती के कारण क्षेत्र का विकास रुक जाएगा. केंद्र सरकार को यह कदम उठाने से पहले सांसदों से बात करनी चाहिए थी और उनके भी विचार जाने चाहिए थे. सांसदों की वेतन में कटौती का हम स्वागत करते हैं, लेकिन विकास निधि में कटौती से कई सांसदों के क्षेत्र में विकास के काम रुक जाएंगे.
'कई विकल्प और थे'
बातचीत के दौरान संजय सिंह ने ने कहा कि अगर सरकार इस मसले को लेकर गंभीर होती तो वह उद्योगपतियों पर एक पर्सेंट टैक्स बढ़ा सकती थी. जिससे सरकार के खजाने में 60 से 70 हजार करोड़ पर आ जाते हैं. लेकिन सरकार तो उद्योगपतियों की हितैषी है. संजय सिंह ने बातचीत के दौरान कहा कि सरकार विकास निधि में कटौती के बदले सांसदों को यह अधिकार दे देती कि 2 साल के दौरान सांसद विकास निधि का उपयोग सिर्फ स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद में खर्च कर सकेंगे और उन उपकरणों को अपने-अपने क्षेत्रों के अस्पताल में दिए जाते. लेकिन सरकार ने जल्दबाजी में बिना किसी सांसद से रायशुमारी किए इस फैसले को लागू कर दिया, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ेगा.