नई दिल्ली: आज यानी 7 अगस्त को आज़ादी के जश्न से महज 8 दिन पहले मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया था. समाज में बराबरी लाने की एवज में साल 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने इसे लागू करने की अधिसूचना जारी की थी. इसी के बाद से देशभर में इसे लेकर विरोध भी हुए लेकिन आज 31 साल बाद जबकि ये सिफ़ारिशें लागू हैं, समाज में कितना बदलाव आया है. ये चर्चा का विषय ज़रूर है लेकिन इससे पहले आइए जानते हैं क्या था मंडल आयोग और क्या थे उसके सुझाव...
दरअसल, मंडल कमीशन का गठन साल 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा किया गया था. इसकी अगुवाई बिहार के साथ में मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी नारायण मंडल कर रहे थे. कहां जाता है कि मंडल आयोग ने समाज में अलग-अलग जातियों के लोगों को आरक्षण के सूत्र में बांधने के लिए साल 1931 की जनगणना को आधार बनाया. इसमें अलग-अलग वर्ग के लोगों को उनकी संख्या के आधार पर मेजॉरिटी और माइनॉरिटी में रख आरक्षण की नींव रखी.
आज के दिन ही लागू हुई थीं मंडल आयोग की सिफारिशें, जानें क्या आए बदलाव
आज यानी 7 अगस्त को आज़ादी के जश्न से महज 8 दिन पहले मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया था. मंडल कमीशन का गठन साल 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा किया गया था.
नई दिल्ली: आज यानी 7 अगस्त को आज़ादी के जश्न से महज 8 दिन पहले मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया था. समाज में बराबरी लाने की एवज में साल 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने इसे लागू करने की अधिसूचना जारी की थी. इसी के बाद से देशभर में इसे लेकर विरोध भी हुए लेकिन आज 31 साल बाद जबकि ये सिफ़ारिशें लागू हैं, समाज में कितना बदलाव आया है. ये चर्चा का विषय ज़रूर है लेकिन इससे पहले आइए जानते हैं क्या था मंडल आयोग और क्या थे उसके सुझाव...
दरअसल, मंडल कमीशन का गठन साल 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा किया गया था. इसकी अगुवाई बिहार के साथ में मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी नारायण मंडल कर रहे थे. कहां जाता है कि मंडल आयोग ने समाज में अलग-अलग जातियों के लोगों को आरक्षण के सूत्र में बांधने के लिए साल 1931 की जनगणना को आधार बनाया. इसमें अलग-अलग वर्ग के लोगों को उनकी संख्या के आधार पर मेजॉरिटी और माइनॉरिटी में रख आरक्षण की नींव रखी.