वाशिंगटन : दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चीन की अर्थव्यवस्था अब गहरे संकट में है. उसका 40 साल का सफल वृद्धि मॉडल चरमरा गया है. अमेरिका के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ने अपनी खबर में यह बात कही. ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ (डब्ल्यूएसजी) ने रविवार की अपनी बड़ी खबर में लिखा कि अर्थशास्त्री अब मानते हैं कि चीन बहुत धीमी वृद्धि के युग में प्रवेश कर रहा है. प्रतिकूल जनसांख्यिकी और अमेरिका तथा उसके सहयोगियों के साथ बढ़ती दूरियों से स्थिति और खराब हो गई है, जो विदेशी निवेश व व्यापार को खतरे में डाल रहा है.
खबर में कहा गया कि यह केवल आर्थिक कमजोरी का दौर नहीं है बल्कि इसका असर लंबे समय तक दिख सकता है. वित्तीय दैनिक पत्र ने कहा, ‘अब (आर्थिक) मॉडल चरमरा गया है.’ ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर व आर्थिक संकटों के विशेषज्ञ एडम टोजे के हवाले से कहा, ‘हम आर्थिक इतिहास के सबसे नाटकीय बदलाव को देख रहे हैं.’
खबर में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के आंकड़ों के हवाले से कहा गया कि सरकार व राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के विभिन्न स्तरों के कर्ज सहित कुल ऋण 2022 तक चीन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 300 प्रतिशत हो गया था, जो अमेरिकी स्तर को पार कर गया. यह 2012 में 200 प्रतिशत से भी कम था. बता दें, किसी देश के पास कितना पैसा है, यह जीडीपी से ही तय किया जाता है.
दूसरी ओर, चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) ने जून में कहा था कि चीन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023 की पहली छमाही में सालाना आधार पर 5.5 प्रतिशत बढ़ा. पहली छमाही में चीन की जीडीपी 59,300 अरब युआन (चीनी करेंसी) रहा. लेकिन हाल के समय में चीन की रियल एस्टेट सेक्टर खतरे में है. चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में एक एवरग्रैंड ने अमेरिका में दिवालिया होने की अर्जी तक लगा दी है. कुछ समय पहले ही कंपनी को 6.50 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. इससे पहले भी कंपनी 2021 में लगभग 25 लाख करोड़ रुपये के भारतीय कर्ज पर डिफॉल्ट कर गई थी. तब सरकार ने मदद देकर संभाला था. लेकिन कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा है.
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(भाषा इनपुट के साथ)