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Budget 2023 : बजट से पहले क्यों पेश किया जाता है Economic Survey , जानिए इसके मायने

हर साल 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाता है, लेकिन इससे पहले संसद के पटल पर एक और जरूरी डाक्यूमेंट रखा जाता है. जिसे आर्थिक सर्वेक्षण या इकोनॉमिक सर्वे कहा जाता है. Economic Survey क्या है, इसे कौन तैयार करता है, बजट से इसका क्या रिश्ता है, जानेंगे इन सब सवालों का जवाब इस रिपोर्ट में...

Economic Survey
इकोनॉमिक सर्वे
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Published : Jan 29, 2023, 2:17 PM IST

नई दिल्ली : जनवरी का महीना खत्म होने वाला है. एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. ऐसे में अर्थ जगत में चर्चांए बजट की ही हैं. लेकिन आम बजट पेश होने के पहले संसद में एक और दस्तावेज पेश किया जाता है. इस दस्तावेज को इकोनॉमिक सर्वे कहते हैं. अब इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है? इसे कौन बनाता है और बजट से इसका क्या रिश्ता है? इसे बजट के पहले ही क्यों पेश किया जाता है? इन सब सवालों का जवाब जानेंगे इस रिपोर्ट में...

इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) एक साल में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. जिसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल से अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही. इकोनॉमिक सर्वे एक फाइनेंशियल सर्वे है. जिसमें इकोनॉमी की आर्थिक तस्वीर का जिक्र किया जाता है. इसमें सरकार की कमाई और खर्च और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए कहां फोकस करना चाहिए, इसका लेख जोखा होता है. इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर ये अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल के अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह रही, किन मोर्चों पर फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ. आर्थिक विकास की समीक्षा की जाती है. इसके लिए विभिन्न सेक्टर और इंडस्ट्रीज एग्रीकल्चर, विभिन्न प्रोडक्शन, रोजगार, महंगाई और एक्सपोर्ट जैसे डाटा का सहारा लिया जाता है.

Finance Minister Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

क्यों जरूरी है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे मनी सप्लाई और फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व जैसे पहलुओं पर भी गौर करता है. जिनका असर भारत की इकोनॉमी पर भी पड़ता है. इसमें न सिर्फ पिछले वित्त वर्ष के माईक्रो इकोनॉमिक सिचुएशन को एनालाइज किया जाता है, बल्कि इससे अगले वित्त वर्ष के लिए दिशा- निर्देश भी तय किया जाता है. इकोनोमिक सर्वे में सरकार को सुझाव भी दिए जाते हैं. लेकिन इन्हें लागू करना है या नहीं, ये सरकार पर निर्भर करता है. यही वजह है कि इकोनॉमिक सर्वे को बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले संसद के पटल पर रखा जाता है.

कौन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे को आर्थिक सर्वेक्षण के नाम से भी जाना जाता है. वित्त मंत्रालय के तहत एक विभाग होता है, जिसे Economic Affairs कहा जाता है. इसमें एक Econmic Division होता है. यही इकोनॉमिक डिविजन Cheif Econmic Division (CEA) की देख रेख में इकोनॉमिक सर्वे को तैयार करता है. देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) 1950-51 के बीच पेश किया गया था. खास बात यह है कि 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को देश के आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था. लेकिन फिर इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा है. इकोनॉमिक सर्वे से काफी हद तक इस बात का भी अंदाजा लगाया जाता है कि बजट में क्या आने वाला है.

पढ़ें : Budget 2023: सरकार की कमाई का जरिया क्या है, आइए आसान भाषा में इसका गणित समझें

नई दिल्ली : जनवरी का महीना खत्म होने वाला है. एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. ऐसे में अर्थ जगत में चर्चांए बजट की ही हैं. लेकिन आम बजट पेश होने के पहले संसद में एक और दस्तावेज पेश किया जाता है. इस दस्तावेज को इकोनॉमिक सर्वे कहते हैं. अब इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है? इसे कौन बनाता है और बजट से इसका क्या रिश्ता है? इसे बजट के पहले ही क्यों पेश किया जाता है? इन सब सवालों का जवाब जानेंगे इस रिपोर्ट में...

इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) एक साल में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. जिसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल से अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही. इकोनॉमिक सर्वे एक फाइनेंशियल सर्वे है. जिसमें इकोनॉमी की आर्थिक तस्वीर का जिक्र किया जाता है. इसमें सरकार की कमाई और खर्च और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए कहां फोकस करना चाहिए, इसका लेख जोखा होता है. इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर ये अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल के अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह रही, किन मोर्चों पर फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ. आर्थिक विकास की समीक्षा की जाती है. इसके लिए विभिन्न सेक्टर और इंडस्ट्रीज एग्रीकल्चर, विभिन्न प्रोडक्शन, रोजगार, महंगाई और एक्सपोर्ट जैसे डाटा का सहारा लिया जाता है.

Finance Minister Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

क्यों जरूरी है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे मनी सप्लाई और फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व जैसे पहलुओं पर भी गौर करता है. जिनका असर भारत की इकोनॉमी पर भी पड़ता है. इसमें न सिर्फ पिछले वित्त वर्ष के माईक्रो इकोनॉमिक सिचुएशन को एनालाइज किया जाता है, बल्कि इससे अगले वित्त वर्ष के लिए दिशा- निर्देश भी तय किया जाता है. इकोनोमिक सर्वे में सरकार को सुझाव भी दिए जाते हैं. लेकिन इन्हें लागू करना है या नहीं, ये सरकार पर निर्भर करता है. यही वजह है कि इकोनॉमिक सर्वे को बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले संसद के पटल पर रखा जाता है.

कौन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे को आर्थिक सर्वेक्षण के नाम से भी जाना जाता है. वित्त मंत्रालय के तहत एक विभाग होता है, जिसे Economic Affairs कहा जाता है. इसमें एक Econmic Division होता है. यही इकोनॉमिक डिविजन Cheif Econmic Division (CEA) की देख रेख में इकोनॉमिक सर्वे को तैयार करता है. देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) 1950-51 के बीच पेश किया गया था. खास बात यह है कि 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को देश के आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था. लेकिन फिर इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा है. इकोनॉमिक सर्वे से काफी हद तक इस बात का भी अंदाजा लगाया जाता है कि बजट में क्या आने वाला है.

पढ़ें : Budget 2023: सरकार की कमाई का जरिया क्या है, आइए आसान भाषा में इसका गणित समझें

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