नई दिल्ली: अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने यूएस में बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की है. यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें 75 बेसिस पॉइंट यानी 0.75 फीसदी बढ़ाई हैं. इस खबर से भारतीय बाजार को भी झटका लग सकता है. भारतीय करेंसी रुपया और नीचे जा सकता है.
ब्याज दरों में साल 1994 के बाद से सबसे बड़ा इजाफा: अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने बुधवार को जो दरें बढ़ाई हैं वह ब्याज दर में साल 1994 के बाद से सबसे बड़ा इजाफा है. इस खबर के बाद से ग्लोबल बाजारों में जोरदार हलचल देखने को मिल सकती है. फेड ने ये फैसला अमेरिका में बेतहाशा बढ़ती महंगाई दर के मद्देनजर लिया है. अमेरिका में कंज्यूमर प्राइस इंफ्लेशन साल 1981 के बाद से सबसे उच्च स्तर पर आ गया है और ये 8.6 फीसदी रहा है. अमेरिका में खाने पीने की वस्तुओं और एनर्जी कीमतों में इजाफे के चलते महंगाई दर में ये बढ़ोतरी देखी गई है.
फेड ने पहले ही दे दिया था इशारा: फेड ऑफिशियल्स ने ब्याज दरों में आगे भी और बढ़ोतरी का संकेत दिया है. लोगों के कर्ज लेने की ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने का इशारा पहले ही दे दिया था और इसी तर्ज पर ब्याज दरों में ये बढ़ोतरी की गई है. फेड ने ये भी कहा है कि वो अमेरिकी शेयर बाजार पर इस रेट हाइक का असर आने पर नजर रखेगा.
अमेरिका में सुस्त हो सकती है अर्थव्यवस्था की तेजी की रफ्तार: अमेरिकी केंद्रीय बैंक (US Federal Reserve) ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी का इजाफा करके इस बात को साफ कर दिया है कि वो यहां बढ़ती महंगाई दरों को निचले स्तर पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है. दरें बढ़ाने के अपने बयान में केंद्रीय बैंक ने साफ कहा कि वो महंगाई दर को 2 फीसदी पर लाने के लिए कड़े कदम उठाएगा. फेड ने इस बात को भी हाईलाइट किया कि अमेरिका में आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ सकती है, इतना ही नहीं देश की बेरोजगारी दर में भी और इजाफा देखा जा सकता है.
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भारतीय बाजारों पर कैसे आएगा बुरा असर: यूएस फेडरल रिजर्व के दरें बढ़ाने का भारतीय बाजारों पर भी बुरा असर आने का पूरा अंदेशा है और इसका सबसे बड़ा कारण है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट आ सकती है. फेड के दरें बढ़ाने के बाद डॉलर के रेट में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा सकती है और रुपये की गिरावट और गहरा सकती है. इतना ही नहीं भारत के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर भी नीतिगत ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव आ सकता है.