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Production-Based Incentive Scheme: केंद्रीय मंत्री का बयान, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना लाएगी सरकार, योजना के फायदे जानें

Production-Based Incentives : केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार देश में बैटरी के लिये एक और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (Production-Based Incentive Scheme, Union Minister statement, advanced chemical cell ) योजना लाने पर विचार कर रही है.

Production-Based Incentive Scheme
उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना
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By PTI

Published : Oct 16, 2023, 4:24 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार देश में बैटरी के लिये एक और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (Production-Based Incentive Scheme) योजना लाने पर विचार कर रही है. इसका मकसद बैटरी की लागत में कमी लाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है. सिंह ने यहां ओएमआई फाउंडेशन के 'EV (इलेक्ट्रिक वाहन) रेडी इंडिया डैशबोर्ड' कार्यक्रम में कहा कि हम भंडारण मात्रा या बैटरी संख्या बढ़ाने के लिये एक और पीएलआई योजना लेकर आ रहे हैं.

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का भी दायित्व संभालने वाले सिंह ने कहा कि बैटरी की मात्रा बढ़ने के साथ भंडारण की कीमत में भी कमी आएगी. भंडारण की कीमत तभी कम होगी जब मात्रा बढ़ाएंगे. यही कारण है कि भंडारण के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना है. उन्होंने कहा कि उच्च लागत और ईवी के कम दूरी तक सफर कर पाने की क्षमता इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के रास्ते में कुछ प्रमुख मुद्दे हैं.


सरकार ने मई 2021 में 18,100 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय के साथ उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी के विनिर्माण के लिये पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य 45,000 करोड़ रुपये के विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित करना था. इस योजना का मकसद बैटरी भंडारण के क्षेत्र में 50 हजार मेगावाट क्षमता सृजित करना है. मंत्री ने कहा कि एक देश के रूप में हमारे लिए इलेक्ट्रिक परिवहन व्यवस्था को अपनाना काफी महत्वपूर्ण है. एक शक्ति (अर्थव्यवस्था) के रूप में उभरने की एक शर्त यह है कि आप ऊर्जा पर आश्रित नहीं हो सकते. यह इलेक्ट्रिक वाहन की ओर बढ़ने का हमारा प्राथमिक कारण है.

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. बिजली मंत्री ने कहा कि बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम का 80 प्रतिशत संसाधन एक ही देश तक सीमित है और लिथियम का 88 प्रतिशत प्रसंस्करण भी एक ही देश में होता है. हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास जम्मू में कुछ लिथियम भंडार हैं. उन्होंने लिथियम से अन्य रसायनों वाली बैटरी की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. आर के सिंह आगे ने कहा कि सोडियम आयन पर शोध चल रहा है विकल्प का होना आवश्यक है. एक बार जब आपके पास वैकल्पिक रसायन होता है, तो आपके पास आपूर्ति की सुरक्षा होती है.

उन्होंने अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बिजली की उच्च मांग में 16 प्रतिशत बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए कहा कि बिजली की मांग बहुत बढ़ रही है. अगस्त में बिजली मांग पिछले साल अगस्त की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़ी है. सितंबर में यह फिर से 20 प्रतिशत बढ़ी. अक्टूबर के पिछले चौदह दिनों में इसमें लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले दो या तीन दशकों में यह स्थिति बनी रहेगी.

मंत्री आर के सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष हमारी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत थी। इस वर्ष हम 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं और मेरा आकलन है कि हम 7.5 से 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ते रहेंगे. इसीलिए वृद्धि दर बढ़ेगी और स्थिर नहीं रहेगी. देश में बिजली की स्थापित उत्पादन क्षमता 4,25,000 मेगावाट है और यह 2030 तक बढ़कर 8,00,000 मेगावाट हो जाएगी। इसका कारण यह है कि देश की बिजली मांग 2030 तक दोगुनी होने वाली है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार देश में बैटरी के लिये एक और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (Production-Based Incentive Scheme) योजना लाने पर विचार कर रही है. इसका मकसद बैटरी की लागत में कमी लाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है. सिंह ने यहां ओएमआई फाउंडेशन के 'EV (इलेक्ट्रिक वाहन) रेडी इंडिया डैशबोर्ड' कार्यक्रम में कहा कि हम भंडारण मात्रा या बैटरी संख्या बढ़ाने के लिये एक और पीएलआई योजना लेकर आ रहे हैं.

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का भी दायित्व संभालने वाले सिंह ने कहा कि बैटरी की मात्रा बढ़ने के साथ भंडारण की कीमत में भी कमी आएगी. भंडारण की कीमत तभी कम होगी जब मात्रा बढ़ाएंगे. यही कारण है कि भंडारण के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना है. उन्होंने कहा कि उच्च लागत और ईवी के कम दूरी तक सफर कर पाने की क्षमता इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के रास्ते में कुछ प्रमुख मुद्दे हैं.


सरकार ने मई 2021 में 18,100 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय के साथ उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी के विनिर्माण के लिये पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य 45,000 करोड़ रुपये के विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित करना था. इस योजना का मकसद बैटरी भंडारण के क्षेत्र में 50 हजार मेगावाट क्षमता सृजित करना है. मंत्री ने कहा कि एक देश के रूप में हमारे लिए इलेक्ट्रिक परिवहन व्यवस्था को अपनाना काफी महत्वपूर्ण है. एक शक्ति (अर्थव्यवस्था) के रूप में उभरने की एक शर्त यह है कि आप ऊर्जा पर आश्रित नहीं हो सकते. यह इलेक्ट्रिक वाहन की ओर बढ़ने का हमारा प्राथमिक कारण है.

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. बिजली मंत्री ने कहा कि बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम का 80 प्रतिशत संसाधन एक ही देश तक सीमित है और लिथियम का 88 प्रतिशत प्रसंस्करण भी एक ही देश में होता है. हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास जम्मू में कुछ लिथियम भंडार हैं. उन्होंने लिथियम से अन्य रसायनों वाली बैटरी की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. आर के सिंह आगे ने कहा कि सोडियम आयन पर शोध चल रहा है विकल्प का होना आवश्यक है. एक बार जब आपके पास वैकल्पिक रसायन होता है, तो आपके पास आपूर्ति की सुरक्षा होती है.

उन्होंने अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बिजली की उच्च मांग में 16 प्रतिशत बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए कहा कि बिजली की मांग बहुत बढ़ रही है. अगस्त में बिजली मांग पिछले साल अगस्त की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़ी है. सितंबर में यह फिर से 20 प्रतिशत बढ़ी. अक्टूबर के पिछले चौदह दिनों में इसमें लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले दो या तीन दशकों में यह स्थिति बनी रहेगी.

मंत्री आर के सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष हमारी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत थी। इस वर्ष हम 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं और मेरा आकलन है कि हम 7.5 से 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ते रहेंगे. इसीलिए वृद्धि दर बढ़ेगी और स्थिर नहीं रहेगी. देश में बिजली की स्थापित उत्पादन क्षमता 4,25,000 मेगावाट है और यह 2030 तक बढ़कर 8,00,000 मेगावाट हो जाएगी। इसका कारण यह है कि देश की बिजली मांग 2030 तक दोगुनी होने वाली है.

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