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नौ माह बाद शेयर बाजार में लौटे एफपीआई, जुलाई में किया 4,989 करोड़ रुपये का निवेश - Foreign Portfolio Investment

नौ माह तक बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजारों में लौट आए हैं. इस वजह से शेयर बाजारों में लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है. हालांकि उस दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 61973 करोड़ रुपये निकाले थे.

FPI
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक
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Published : Jul 31, 2022, 6:05 PM IST

नई दिल्ली : लगातार नौ माह तक बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजारों में लौट आए हैं. जुलाई में एफपीआई ने शेयर बाजारों में करीब 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. डॉलर इंडेक्स के नरम पड़ने और कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों के बाद एफपीआई एक बार फिर लिवाल बन गए हैं. इससे पहले जून में एफपीआई ने शेयरों से 50,145 करोड़ रुपये निकाले थे. यह मार्च, 2020 के बाद किसी एक माह में सबसे अधिक निकासी है. उस समय एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे.

यस सिक्योरिटीज के प्रमुख विश्लेषक-इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज हितेश जैन का मानना है कि अगस्त में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक बना रहेगा. इसकी वजह यह है कि रुपये का सबसे खराब समय अब बीत चुका है और कच्चे तेल के दाम भी एक दायरे में कारोबार कर रहे हैं. इसके अलावा भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बेहतर रहे हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 4,989 करोड़ रुपये का निवेश किया। माह के दौरान नौ दिन वे शुद्ध लिवाल रहे.

इससे पहले पिछले लगातार नौ माह से एफपीआई बिकवाल बने हुए थे. पिछले साल अक्टूर से इस साल जून तक वे भारतीय शेयर बाजारों से 2.46 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, 'जुलाई में एफपीआई के प्रवाह की वजह फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल का बयान है. पावेल ने कहा कि है कि अमेरिका अभी मंदी में नहीं है. पावेल के बयान के बाद धारणा में सुधार हुआ है और वैश्विक स्तर पर निवेशक अब जोखिम उठाने को तैयार दिख रहे हैं.'

हालांकि, जुलाई में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 2,056 करोड़ रुपये की निकासी की है. श्रीवास्तव का मानना है कि आगे एफपीआई का रुख क्या रहेगा, इसको अनुमान लगाने में अभी कुछ समय लगेगा.

ये भी पढ़ें - जुलाई में सेंसेक्स 8.6 फीसदी चढ़ा, विश्व में सबसे अधिक ग्रोथ

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : लगातार नौ माह तक बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजारों में लौट आए हैं. जुलाई में एफपीआई ने शेयर बाजारों में करीब 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. डॉलर इंडेक्स के नरम पड़ने और कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों के बाद एफपीआई एक बार फिर लिवाल बन गए हैं. इससे पहले जून में एफपीआई ने शेयरों से 50,145 करोड़ रुपये निकाले थे. यह मार्च, 2020 के बाद किसी एक माह में सबसे अधिक निकासी है. उस समय एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे.

यस सिक्योरिटीज के प्रमुख विश्लेषक-इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज हितेश जैन का मानना है कि अगस्त में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक बना रहेगा. इसकी वजह यह है कि रुपये का सबसे खराब समय अब बीत चुका है और कच्चे तेल के दाम भी एक दायरे में कारोबार कर रहे हैं. इसके अलावा भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बेहतर रहे हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 4,989 करोड़ रुपये का निवेश किया। माह के दौरान नौ दिन वे शुद्ध लिवाल रहे.

इससे पहले पिछले लगातार नौ माह से एफपीआई बिकवाल बने हुए थे. पिछले साल अक्टूर से इस साल जून तक वे भारतीय शेयर बाजारों से 2.46 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, 'जुलाई में एफपीआई के प्रवाह की वजह फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल का बयान है. पावेल ने कहा कि है कि अमेरिका अभी मंदी में नहीं है. पावेल के बयान के बाद धारणा में सुधार हुआ है और वैश्विक स्तर पर निवेशक अब जोखिम उठाने को तैयार दिख रहे हैं.'

हालांकि, जुलाई में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 2,056 करोड़ रुपये की निकासी की है. श्रीवास्तव का मानना है कि आगे एफपीआई का रुख क्या रहेगा, इसको अनुमान लगाने में अभी कुछ समय लगेगा.

ये भी पढ़ें - जुलाई में सेंसेक्स 8.6 फीसदी चढ़ा, विश्व में सबसे अधिक ग्रोथ

(पीटीआई-भाषा)

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