नई दिल्ली : व्यापार सुधार कार्ययोजना-2020 को लागू करने के मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग में आंध्र प्रदेश, गुजरात और तेलंगाना सबसे सफल प्रदेशों की श्रेणी के अंतर्गत शीर्ष सात में शामिल हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने गुरुवार को इस बारे में रिपोर्ट जारी की. हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश अन्य राज्य हैं, जिन्हें रैंकिंग में लक्ष्य हासिल करने को लेकर सफल राज्यों के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
इस कवायद का उद्देश्य कारोबार सुधार कार्रवाई योजना (बीआरएपी), 2020 के तहत राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों का आकलन करके उनके बीच व्यावसायिक माहौल को बेहतर बनाने की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है जिससे कि वे घरेलू और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर सकें. आकांक्षी श्रेणी में असम, केरल और गोवा सहित सात राज्य शामिल हैं. इस श्रेणी में शामिल अन्य राज्य हैं छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल.
रिपोर्ट के अनुसार, उभरते कारोबारी परिवेश की श्रेणी में दिल्ली, पुडुचेरी और त्रिपुरा सहित 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है. इस श्रेणी में अन्य राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश हैं... अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, बिहार, चंडीगढ़, दमन एवं दीव, दादरा एवं नगर हवेली, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इस बार रैंकिंग की प्रणाली में बदलाव किया है. इसे श्रेणियों में बांटा गया है जो हैं सबसे सफल, सफल, आकांक्षी और उभरते कारोबारी परिवेश. इससे पहले तक रैंक घोषित की जाती थी. उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) में सचिव अनुराग जैन ने कहा कि विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बीच अंतर इतना कम था कि उन्हें रैंक में बांटने का कोई अर्थ नहीं था इसलिए उन्हें विभिन्न श्रेणियों में डाला गया.
बीआरएपी-2020 में 301 सुधार बिंदु शामिल हैं, जिसके तहत 15 कारोबार नियामकीय क्षेत्र आते हैं. इनमें सूचना तक पहुंच, एकल खिड़की प्रणाली, श्रम, पर्यावरण और अन्य सुधार आदि शामिल हैं. इस अवसर पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि 1991 के बाद से सुधारों की प्रकृति बदल गई है और अब जो सुधार हो रहे हैं उनका असर देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा, 1991 के सुधार लागू करने के लिए दिए गए थे लेकिन अब कोई अनिवार्यता नहीं है. अब जो लक्ष्य है वे यह हैं कि प्रणाली बेहतर कैसे होती है जिससे हमारी जिंदगी में सुधार आए.
सीतारमण ने हर स्तर पर क्षमता निर्माण की जरूरत पर भी जोर दिया जिससे प्रभावशीलता लाई जा सके. क्षमता निर्माण के लाभ के बारे में उन्होंने कहा, 'मैं राजस्व विभाग को लेकर यह कहना चाहती हूं कि राजस्व संग्रह को प्रभावी बनाने के लिए उसने क्षमता बनाने और उसे बेहतर करने के लिए राज्यों के साथ बहुत काम किया है.' उन्होंने कहा कि यही वजह है कि जीएसटी संग्रह बढ़ रहा है. वित्त मंत्री ने कहा, 'यह (जीएसटी संग्रह) बढ़ रहा है, न केवल इसलिए क्योंकि लोग अधिक कर अदा कर रहे हैं बल्कि इसलिए भी कि खामियों को दूर किया गया है और जो लोग अबतक जुड़े नहीं थे, वे भी इससे जुड़ गए है.'
ये भी पढ़ें - डिजिटलीकरण से निपटने के लिए नियामकों को उन्नतशील होना चाहिए: सीतारमण
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बीआरएपी कवायद का उद्देश्य एक-दूसरे के सबसे बेहतर तौर-तरीकों से सीख लेने की संस्कृति बनाना है. इसके साथ ही सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कारोबारी माहौल को सुधारना है ताकि भारत दुनियाभर में सबसे पसंदीदा निवेश स्थल के रूप में उभर सके.
उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) बीआरएपी के तहत सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 2014 से यह रैंकिंग तैयार करता आया है. पिछली रैंकिंग सितंबर, 2020 में जारी की गई थी जिसमें आंध्र प्रदेश को कारोबारी सुगमता के मामले में पहला स्थान मिला था. उसके बाद उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और झारखंड थे. यह रैंकिंग वर्ष 2015, 2016, 2017-18 और 2019 के लिए जारी की जा चुकी है.