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Semiconductor Import : तीन साल में सेमीकंडक्टर का आयात हुआ दोगुना

सेमीकंडक्टर के बढ़ते इस्तेमाल ने इसकी मांग को बढ़ा दिया है. इससे अछूता भारत भी नहीं है. संसद में सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Information and Technology State Minister Rajeev Chandrasekhar) द्वारा पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन सालों में देश में सेमीकंडक्टर का आयात (Semiconductor Import) दो गुणा बढ़ा है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट...

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सेमीकंडक्टर
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Published : Aug 1, 2023, 1:38 PM IST

नई दिल्ली : भारत का सेमी-कंडक्टर आयात पिछले तीन सालों में दोगुना हो गया है. इसमें मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट या माइक्रो-चिप्स, फ्लैश मेमोरी, एम्पलीफायर और माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक सर्किट जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं. इस आयात बढ़ोत्तरी को देखते हुए सरकार विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित कर रही है. ताकि सेमीकंडक्टर के मामले में दूसरे देशों पर उसकी निर्भरता कम हो सके. जिसमें माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक, एप्लाइड मैटेरियल्स और फॉक्सकॉन जैसे विदेशी निर्माताओं और पैकेजर्स शामिल हैं.

नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में 37,354 करोड़ रुपये के मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट या माइक्रोचिप्स का आयात किया. जो अगले साल बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया. यह आयात साल 2022-23 में बढ़कर 82,000 करोड़ रुपये के आंकड़ें तक पहुंच गया है. इसी तरह, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन और यूएसबी ड्राइव के लिए रैंडम एक्सेस मेमोरी (रैम) जैसी फ्लैश मेमोरी का आयात पिछले तीन वर्षों में 6,728 रुपये से बढ़कर 22,845 करोड़ रुपये हो गया है.

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सेमीकंडक्टर का बाजार कितना बड़ा (कान्सेप्ट इमेज)

इन उत्पादों का कुल आयात जिसमें एम्पलीफायर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्किट भी शामिल हैं, वित्त वर्ष 2020-21 में 67,497 करोड़ रुपये से बढ़कर अगले वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और पिछले वर्ष यह बढ़कर लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

चीन से बढ़ा सेमीकंडक्टर का आयात
सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों से पता चला है कि माइक्रो-चिप्स (मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट) का आयात वित्त वर्ष 2020-21 में 14,484 करोड़ रुपये से बढ़कर पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 31,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है. फ्लैश मेमोरी, एम्पलीफायर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्किट सहित इस श्रेणी के तहत चीन से कुल आयात वित्त वर्ष 2020-21 में 24,604 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 37,681 करोड़ रुपये हो गया है. हालांकि भारत के कुल सेमीकंडक्टर आयात में चीन की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से भी कम है. चीन की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत हो गई है.

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सेमीकंडक्टर क्या होता है (कान्सेप्ट इमेज)

सेमीकंडक्टर की ब्रिकी में चीन की हिस्सेदारी
सेमीकंडक्टर एक खास तरह का पदार्थ होता, जो सिलिकॉन से बनता है. इसे इलेक्ट्रिसिटी का अच्छा कंडक्टर माना जाता है. इसलिए लैपटॉप, स्मार्ट फोन, स्मार्ट टेलीविजन से लेकर ऑटोमोबाइल तक लगभग हर स्मार्ट डिवाइस में इसका इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, दुनिया में केवल कुछ ही देशों में इनका निर्माण होता है. क्योंकि इसे बनाना काफी मुश्किल है और इसकी फैक्ट्री लगाने के लिए भी काफी पूंजी की जरुरत होती है. दुनिया में सेमीकंडक्टर की ब्रिकी में चीन की हिस्सेदारी लगभग एक-तिहाई है.

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सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए विदेशी निवेशकों को निमंत्रण

विदेशी निवेशकों को निमंत्रण
सेमीकंडक्टर सेक्टर में दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए, भारत और अमेरिका ने इस साल जनवरी में क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) की एक पहल पर हस्ताक्षर किया है. इस साल जून में अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी चिप निर्माताओं से भारत में निवेश करने का आग्रह किया और तीन देशों माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक, एप्लाइड मैटेरियल्स और एलएएम रिसर्च ने भारत में निवेश करने में रुचि दिखाई. चंद्रशेखर ने राज्यसभा को सूचित किया कि अब तक माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक के केवल एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. जिसमें 72.75 अरब डॉलर के संचयी निवेश की परिकल्पना की गई है.

सरकार देगी 50 फीसदी वित्तीय मदद
केंद्र ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए पिछले साल 76,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ संशोधित सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक सेमीकंडक्टर निर्माताओं को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया. उन्हें देश में फैक्ट्री लगाने के लिए 50 फीसदी वित्तीय सहायता देने की भी बात कही.

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नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में 37,354 करोड़ रुपये के मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट या माइक्रोचिप्स का आयात किया. जो अगले साल बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया. यह आयात साल 2022-23 में बढ़कर 82,000 करोड़ रुपये के आंकड़ें तक पहुंच गया है. इसी तरह, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन और यूएसबी ड्राइव के लिए रैंडम एक्सेस मेमोरी (रैम) जैसी फ्लैश मेमोरी का आयात पिछले तीन वर्षों में 6,728 रुपये से बढ़कर 22,845 करोड़ रुपये हो गया है.

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इन उत्पादों का कुल आयात जिसमें एम्पलीफायर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्किट भी शामिल हैं, वित्त वर्ष 2020-21 में 67,497 करोड़ रुपये से बढ़कर अगले वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और पिछले वर्ष यह बढ़कर लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

चीन से बढ़ा सेमीकंडक्टर का आयात
सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों से पता चला है कि माइक्रो-चिप्स (मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट) का आयात वित्त वर्ष 2020-21 में 14,484 करोड़ रुपये से बढ़कर पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 31,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है. फ्लैश मेमोरी, एम्पलीफायर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्किट सहित इस श्रेणी के तहत चीन से कुल आयात वित्त वर्ष 2020-21 में 24,604 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 37,681 करोड़ रुपये हो गया है. हालांकि भारत के कुल सेमीकंडक्टर आयात में चीन की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से भी कम है. चीन की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत हो गई है.

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सेमीकंडक्टर एक खास तरह का पदार्थ होता, जो सिलिकॉन से बनता है. इसे इलेक्ट्रिसिटी का अच्छा कंडक्टर माना जाता है. इसलिए लैपटॉप, स्मार्ट फोन, स्मार्ट टेलीविजन से लेकर ऑटोमोबाइल तक लगभग हर स्मार्ट डिवाइस में इसका इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, दुनिया में केवल कुछ ही देशों में इनका निर्माण होता है. क्योंकि इसे बनाना काफी मुश्किल है और इसकी फैक्ट्री लगाने के लिए भी काफी पूंजी की जरुरत होती है. दुनिया में सेमीकंडक्टर की ब्रिकी में चीन की हिस्सेदारी लगभग एक-तिहाई है.

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सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए विदेशी निवेशकों को निमंत्रण

विदेशी निवेशकों को निमंत्रण
सेमीकंडक्टर सेक्टर में दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए, भारत और अमेरिका ने इस साल जनवरी में क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) की एक पहल पर हस्ताक्षर किया है. इस साल जून में अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी चिप निर्माताओं से भारत में निवेश करने का आग्रह किया और तीन देशों माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक, एप्लाइड मैटेरियल्स और एलएएम रिसर्च ने भारत में निवेश करने में रुचि दिखाई. चंद्रशेखर ने राज्यसभा को सूचित किया कि अब तक माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक के केवल एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. जिसमें 72.75 अरब डॉलर के संचयी निवेश की परिकल्पना की गई है.

सरकार देगी 50 फीसदी वित्तीय मदद
केंद्र ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए पिछले साल 76,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ संशोधित सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक सेमीकंडक्टर निर्माताओं को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया. उन्हें देश में फैक्ट्री लगाने के लिए 50 फीसदी वित्तीय सहायता देने की भी बात कही.

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