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Monetary Policy Committee: मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए रिजर्व बैंक की एमपीसी की 6 बैठकें होगी, जानें डिटेल्स

भारतीय रिजर्व बैंक ने ऐलान किया है कि ब्याज दर तय करने वाली समिति की अगले वित्त वर्ष में छह बैठकें होगी. पहली बैठक 3 से 6 अप्रैल को होगी. अन्य बैठकों की डिटेल्स जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Monetary Policy Committee
मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए रिजर्व बैंक की एमपीसी की 6 बैठकें होगी
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Published : Mar 25, 2023, 10:49 AM IST

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में महंगाई को नियंत्रित करने और विकास को सुचारू रूप से बनाएं रखने के लिए मौद्रिक नीति बनाता है. जिसके लिए वह Monetary Policy Committee के साथ बैठक करता है. इस बार मंदी को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने एक बड़ा फैसला लिया है. आरबीआई ने ऐलान किया है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये अगले वित्त वर्ष में छह बैठकें होंगी.

वित्त वर्ष में होने वाली बैठक का शेड्यूल
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ब्याज दर तय करने वाली समिति की अगले वित्त वर्ष की पहली बैठक 3 से 6 अप्रैल को होगी. मौजूदा घरेलू और आर्थिक स्थितियों पर MPC के विचार-विमर्श के बाद आरबीआई गवर्नर द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हैं. बैठक तीन दिन की होती है.

RBI द्वारा शुक्रवार को जारी समय सारिणी के अनुसार, अगले वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक नीति बैठक तीन, पांच और छह अप्रैल को होगी. उसके बाद दूसरी बैठक छह, सात और आठ जून को होगी. तीसरी बैठक आठ से 10 अगस्त, चौथी बैठक चार से छह अक्टूबर और पांचवीं छह से आठ दिसंबर को होगी. एमपीसी की छठी द्विमासिक बैठक छह से 8 फरवरी, 2024 को होगी.

समिति का संवैधानिक पहलू
भारतीय रिजर्व बैंक के अधिनियम 1934 (जिसे 2016 में संशोधित किया गया था) में कहा गया है कि RBI को विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. आसान भाषा में कहा जाए तो देश में बढ़ती महंगाई और अचानक से मार्केट में कम होती समान की मांग के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए समय-समय पर बैठक करनी होती है.

धारा 45ZA के तहत केंद्र सरकार के साथ RBI परामर्श कर हर पांच साल में एक बार महंगाई का लक्ष्य निर्धारित करती है और उसे सरकारी राजपत्र में अधिसूचित करती है. पिछली बार यह निर्धारण 31 मार्च 2021 को किया गया था, जिसमें 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक के लिए देश में महंगाई की दर अधिकतम 6 फीसदी और न्यूनतम 2 फीसदी तय किया गया था. यानि सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) का लक्ष्य 4 फीसदी है. बता दें, इस समिति में 6 सदस्यीय टीम होती है.

(पीटीआई- भाषा)

पढ़ें : अमेरिका में बढ़ती महंगाई, ऊंची नीतिगत दरें किस तरह भारत पर बना रही हैं दबाव

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में महंगाई को नियंत्रित करने और विकास को सुचारू रूप से बनाएं रखने के लिए मौद्रिक नीति बनाता है. जिसके लिए वह Monetary Policy Committee के साथ बैठक करता है. इस बार मंदी को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने एक बड़ा फैसला लिया है. आरबीआई ने ऐलान किया है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये अगले वित्त वर्ष में छह बैठकें होंगी.

वित्त वर्ष में होने वाली बैठक का शेड्यूल
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ब्याज दर तय करने वाली समिति की अगले वित्त वर्ष की पहली बैठक 3 से 6 अप्रैल को होगी. मौजूदा घरेलू और आर्थिक स्थितियों पर MPC के विचार-विमर्श के बाद आरबीआई गवर्नर द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हैं. बैठक तीन दिन की होती है.

RBI द्वारा शुक्रवार को जारी समय सारिणी के अनुसार, अगले वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक नीति बैठक तीन, पांच और छह अप्रैल को होगी. उसके बाद दूसरी बैठक छह, सात और आठ जून को होगी. तीसरी बैठक आठ से 10 अगस्त, चौथी बैठक चार से छह अक्टूबर और पांचवीं छह से आठ दिसंबर को होगी. एमपीसी की छठी द्विमासिक बैठक छह से 8 फरवरी, 2024 को होगी.

समिति का संवैधानिक पहलू
भारतीय रिजर्व बैंक के अधिनियम 1934 (जिसे 2016 में संशोधित किया गया था) में कहा गया है कि RBI को विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. आसान भाषा में कहा जाए तो देश में बढ़ती महंगाई और अचानक से मार्केट में कम होती समान की मांग के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए समय-समय पर बैठक करनी होती है.

धारा 45ZA के तहत केंद्र सरकार के साथ RBI परामर्श कर हर पांच साल में एक बार महंगाई का लक्ष्य निर्धारित करती है और उसे सरकारी राजपत्र में अधिसूचित करती है. पिछली बार यह निर्धारण 31 मार्च 2021 को किया गया था, जिसमें 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक के लिए देश में महंगाई की दर अधिकतम 6 फीसदी और न्यूनतम 2 फीसदी तय किया गया था. यानि सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) का लक्ष्य 4 फीसदी है. बता दें, इस समिति में 6 सदस्यीय टीम होती है.

(पीटीआई- भाषा)

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