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Reliance Jio : भारत में झंडे गाड़ने के बाद अब वैश्विक बाजार में उतरने जा रही रिलायंस - who run reliance jio

रिलायंस जियो वैश्विक स्तर पर अपने कंपनी का परचम लहराने के लिए पूरी तैयारी में है. इस बात का खुलासा रिलायंस जियो कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी मैथ्यू ओम्मन ने किया है. मैथ्यू ओम्मन क्या कहा है. पढ़िए पूरी खबर... (Telecom company Reliance Jio, Universal Services Obligation Fund, Muskesh ambani, aakash ambani, reliance group ltd)

Reliance Jio
रिलायंस जियो
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By PTI

Published : Oct 29, 2023, 5:33 PM IST

नई दिल्ली: रिलायंस जियो कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी मैथ्यू ओम्मन ने कहा कि भारत में सफलता का झंडा गाड़ने के बाद दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो (Telecom company Reliance Jio) वैश्विक स्तर पर प्रवेश को एक विकल्प के रूप में देखती है जिसका लगातार मूल्यांकन किया जा रहा है. इंडिया मोबाइल कांग्रेस में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान रिलायंस जियो के अध्यक्ष ने कहा कि भारत अब टियर 1 प्लस देश है और देश के लिए सही नीतियां बनाने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए.

telecom company Reliance Jio
रिलायंस जियो कंपनी

ओम्मन ने कहा कि हमारा मानना है कि भारत से वैश्विक जाने के बड़े अवसर हैं. रिलायंस उन अवसरों को तलाशने के लिए विकल्पों की समीक्षा करना जारी रखेगी कि विश्वस्तर पर भारत का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व कैसे किया जाए और प्रौद्योगिकी क्षमताओं (technology capabilities) का लाभ उठाकर ग्राहकों का अनुभव कैसे बेहतर किया जाए, जैसा कि हम अभी तक भारत में कर रहे हैं.

telecom company Reliance Jio
रिलायंस जियो कंपनी

वास्तव में डिजिटल इंडिया दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को ना केवल मोबाइल टावर स्थापित करने के लिए, बल्कि लोगों के वास्ते उपकरणों और सेवाओं को किफायती और सुलभ बनाने के लिए 75,700 करोड़ रुपये के Universal Services Obligation Fund (USOF) का लाभ उठाना शुरू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जियो भारत फोन पारिस्थितिकी तंत्र को 2जी मुक्त भारत और AI (artificial intelligence) युक्त भारत बनाने में सक्षम है.

ओम्मन ने आगे कहा कि अभी तक इस्तेमाल नहीं किए गए USO fund का उपयोग ना केवल दूरसंचार बुनियादी ढांचे के लिए किया जाना चाहिए, बल्कि इससे उन लोगों की सहायता की जानी चाहिए जो इस बदलाव का खर्च वहन नहीं कर सकते. जो कोई भी संपर्क या मासिक किराया वहन नहीं कर सकता, उसे इस कोष से उपकरण और सेवा मॉडल दिया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें-

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रिलायंस जियो कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ओम्मन ने साथ ही ये भी कहा कि USO fund के लिए पांच प्रतिशत कलेक्शन को हटाया जाना चाहिए और लाइसेंस शुल्क को घटाकर तीन प्रतिशत किया जाना चाहिए. वहीं मोबाइल नेटवर्क और उपग्रहों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन पद्धति (spectrum allocation method) समान होनी चाहिए.

नई दिल्ली: रिलायंस जियो कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी मैथ्यू ओम्मन ने कहा कि भारत में सफलता का झंडा गाड़ने के बाद दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो (Telecom company Reliance Jio) वैश्विक स्तर पर प्रवेश को एक विकल्प के रूप में देखती है जिसका लगातार मूल्यांकन किया जा रहा है. इंडिया मोबाइल कांग्रेस में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान रिलायंस जियो के अध्यक्ष ने कहा कि भारत अब टियर 1 प्लस देश है और देश के लिए सही नीतियां बनाने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए.

telecom company Reliance Jio
रिलायंस जियो कंपनी

ओम्मन ने कहा कि हमारा मानना है कि भारत से वैश्विक जाने के बड़े अवसर हैं. रिलायंस उन अवसरों को तलाशने के लिए विकल्पों की समीक्षा करना जारी रखेगी कि विश्वस्तर पर भारत का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व कैसे किया जाए और प्रौद्योगिकी क्षमताओं (technology capabilities) का लाभ उठाकर ग्राहकों का अनुभव कैसे बेहतर किया जाए, जैसा कि हम अभी तक भारत में कर रहे हैं.

telecom company Reliance Jio
रिलायंस जियो कंपनी

वास्तव में डिजिटल इंडिया दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को ना केवल मोबाइल टावर स्थापित करने के लिए, बल्कि लोगों के वास्ते उपकरणों और सेवाओं को किफायती और सुलभ बनाने के लिए 75,700 करोड़ रुपये के Universal Services Obligation Fund (USOF) का लाभ उठाना शुरू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जियो भारत फोन पारिस्थितिकी तंत्र को 2जी मुक्त भारत और AI (artificial intelligence) युक्त भारत बनाने में सक्षम है.

ओम्मन ने आगे कहा कि अभी तक इस्तेमाल नहीं किए गए USO fund का उपयोग ना केवल दूरसंचार बुनियादी ढांचे के लिए किया जाना चाहिए, बल्कि इससे उन लोगों की सहायता की जानी चाहिए जो इस बदलाव का खर्च वहन नहीं कर सकते. जो कोई भी संपर्क या मासिक किराया वहन नहीं कर सकता, उसे इस कोष से उपकरण और सेवा मॉडल दिया जाना चाहिए.

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रिलायंस जियो कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ओम्मन ने साथ ही ये भी कहा कि USO fund के लिए पांच प्रतिशत कलेक्शन को हटाया जाना चाहिए और लाइसेंस शुल्क को घटाकर तीन प्रतिशत किया जाना चाहिए. वहीं मोबाइल नेटवर्क और उपग्रहों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन पद्धति (spectrum allocation method) समान होनी चाहिए.

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