मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को प्रॉपर्टी पर लोन के मामले में ग्राहकों के पक्ष में एक बड़ा फैसला लिया है. अगर लोन चुका देने के बाद भी बैंक, एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां ग्राहकों के डाक्यूमेंट वापस देने में देरी करती हैं, तो उन्हें ग्राहकों को हर्जाना देना होगा. साथ ही आरबीआई ने यह भी आदेश जारी किया है कि लोन रिपेमेंट के 30 दिनों के अंदर किसी भी पर्सनल लोन उधारकर्ताओं के खिलाफ दर्ज आरोपों को भी हटाना होगा.
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Responsible Lending Conduct – Release of Movable / Immovable Property Documents on Repayment/ Settlement of Personal Loanshttps://t.co/zyUFHP36Gl
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रिजर्व बैंक ने यह कदम ग्राहकों द्वारा मिल रहे शिकायत के बाद उठाया है. दरअसल कई बार लोन का पूरा भुगतान कर देने के बाद भी बैंक व एनबीएफसी आदि ग्राहकों को उनके प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट लौटाने में देरी करते हैं. इसके अलावा रेगुलेटर संस्थाएं या बैंक अलग-अलग नियमों का पालन करती हैं, जिससे ग्राहकों को दिक्कत होती है. विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां पैदा होती है. उधारकर्ताओं के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करने और जिम्मेदार लोन आचरण को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने आज निर्देशों की एक सीरीज जारी की है.
- जिसमें ये कहा गया है कि ग्राहकों को ये ऑप्शन दिया जाएगा कि वे अपनी सुविधा के अनुसार या तो संबंधित ब्रांच से डॉक्यूमेंट ले सकते हैं या फिर उस ब्रांच या कार्यालय से ले सकते हैं, जहां डॉक्यूमेंट को फिलहाल रखा गया है.
- सेंट्रल बैंक ने सभी बैंकों को ये भी आदेश दिया है कि वे लोन सेंक्शन लेटर में सारे डाक्यूमेंट को वापस करने की तारीख और जगह का भी जिक्र करेंगे.
- अगर कर्ज लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. तो कानूनी उत्तराधिकारी को सारे डाक्यूमेंट्स वापस करने के संबंध में बैंकों को स्पष्ट प्रक्रिया अपनानी होगी. जिसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी दिखानी होगी.
- आरबीआई ने अपने निर्देशों के तहत ऐसे दस्तावेजों को जारी करने में देरी के लिए मुआवजा प्रदान करने का भी प्रस्ताव रखा है. अगर बैंक 30 दिनों के अंदर ग्राहक को उनके डॉक्यूमेंट नहीं लौटाते हैं तो बैंक को हर दिन की देरी के बदले ग्राहक को 5,000 रुपये के हिसाब से हर्जाना देना होगा.
- बैंक द्वारा ग्राहकों के डॉक्यूमेंट खो जाने या किसी भी तरह से नुकसान होने की स्थिति में यह बैंक या संबंधित संस्थान की जिम्मेदारी होगी कि वह ग्राहक को फिर से डॉक्यूमेंट निकलवाने में मदद करें. साथ ही खर्च का वहन भी करे. हालांकि ऐसे मामलों में REs को एक्सट्रा 30 दिनों का समय मिलेगा. यानी हर्जाने की गणना 60 दिनों के बाद की जाएगी.