नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ग्लोबल इकॉनोमी को लेकर चिंता जाहिर की है. एक पॉडकास्ट में Raghuram Rajan ने कहा कि जिस तरह से हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में एक के बाद एक तीन बड़े बैंक धाराशाही हुए. अमेरिकी अथॉरिटीज ने जिस तरह से वहां आए बैंकिंग संकट को हैंडल किया, काफी हद तक उसके आने की उम्मीद थी क्योंकि शायद उनको अंदाजा था कि इस संकट के चलते वहां आर्थिक स्थिति को संभालना मुश्किल हो सकता है और घबराहट फैल सकती है.
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी अर्थवयवस्था के लिए अभी और कई चुनौतियां आनी बाकी है. उन्होंने अमेरिका को हिदायत देते हुए कहा कि एक तरह से ये अर्थव्यवस्था एक टाइम बाम्ब के मुहाने पर खड़ी है. जिसमें हानिरहित कैपिटलिज्म का खतरा है. डॉमिनो इंपेक्ट के चलते बैंकों के सामने कई तरह के चैलेंज हैं.
रघुराम राजन ने कहा कि अमेरिकी प्रबंधकों ने शार्ट टर्म की समस्या को जमाओं के समक्ष रखे इंश्योरेंस के जरिए सुलझा लिया है लेकिन लॉन्ग टर्म की समस्या अभी भी बरकरार रहने वाली है. बैंको के सामने डिपॉजिटर्स के पैसे को संभालना और बढ़ाना दोनों ही काम चुनौती बना हुआ है, जबकि डिपॉजिटर्स अपने पैसे सुरक्षित चाहते हैं. बैंक पहले ही मंदी के डर का सामना कर रहे हैं और ऐसी स्थिति में कुछ छोटे-बड़े बिजनेस के लिए परेशानियां बढ़ रही हैं और वो अपने कर्जों को चुकाने से लेकर Service Loan को चुकाने के लिए भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं.
अमेरिका में बैंकों के डूबने का कारण- फेडरल रिजर्व बैंक 2022 से अब तक अपनी ब्याज दरों में 4.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर चुका है. जिसका असर फर्स्ट रिपब्लिक बैंक और सिलिकॉन वैली बैंक पर देखने को मिला. दरअसल महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए उससे बॉन्ड यील्ड में जोरदार इजाफा हुआ. और उस समय सिलिकॉन वैली बैंक के पास बॉन्ड यील्ड अच्छी मात्रा में थे. जिससे वह दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया. इन्हीं सब परिस्थियों को देखते हुए रघुराम राजन का मानना है कि Banking System को ढहने से बचाने के लिए जो भी प्रयास हो रहे हैं वो एक तरह से रिस्कलेस कैपिटलिज्म को बढ़ा रहे हैं और ये स्थाई समाधान नहीं हैं. इनको लेकर जल्द ही ऐसे ठोस कदम उठाने होंगे जो बैंकों के साथ-साथ उनके Depositors के लिए भी राहत भरे साबित होंगे.