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Bank Saving : रिटर्न के मामले में डाकघर बचत योजनाएं भी पीछे नहीं, दे रहीं बैंकों को टक्कर

कोई भी व्यक्ति ज्यादा रिटर्न देने वाली बचत योजना में निवेश करता है. ऐसे में डाकघर भी एफडी रिटर्न देने के मामले में बैंकों को टक्कर दे रही हैं. पहले के मुकाबले अब डाकघर एफडी पर कितना इंटरेस्ट रेट बढ़कर मिलेगा, जाननें के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Bank Saving
डाकघर बचत योजनाएं
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Published : Apr 10, 2023, 10:12 AM IST

नई दिल्ली : छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में लगातार तीन बार बढ़ोतरी होने से डाकघर की फिक्स्ड डिपॉजिट एक बार फिर बैंक एफडी के मुकाबले में खड़ी हो गई हैं. लघु बचत योजनाओं के तहत डाकघर में दो साल की फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6.9 फीसदी ब्याज मिल रहा है. जो अधिकांश बैंकों की तरफ से समान परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर दी जाने वाली दर के बराबर है.

रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में रेपो दर में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था और तब से यह 4 फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी हो चुकी है. इसका असर यह हुआ कि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बैंकों ने अधिक वित्त जुटाने के लिए खुदरा जमाओं पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि मई, 2022 से फरवरी, 2023 के दौरान बैंकों की नई जमाओं पर भारित औसत घरेलू सावधि जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) 2.22 फीसदी तक बढ़ गई.

पढ़ें : Saving Scheme : FD सेविंग पर शानदार रिटर्न, ये प्राइवेट बैंक दे रहा 9 फीसदी इंटरेस्ट

वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में बैंकों का जोर थोक जमाओं पर अधिक था. लेकिन दूसरी छमाही में उनकी प्राथमिकता बदली और खुदरा जमा जुटाने पर उन्होंने अधिक ध्यान दिया. ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना इसी का हिस्सा रहा. सरकार ने लघु बचत योजनाओं (एसएसआई) के लिए ब्याज दरें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए 0.1-0.3 प्रतिशत, जनवरी-मार्च तिमाही के लिए 0.2-1.1 फीसदी और अप्रैल-जून 2023 तिमाही के लिए 0.1-0.7 फीसदी तक बढ़ा दीं.

इसके पहले लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें लगातार नौ तिमाहियों से अपरिवर्तित बनी हुई थीं. वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही से 2022-23 की दूसरी तिमाही तक इनमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी. लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का निर्णय सरकार करती है. इनका निर्धारण तुलनीय परिपक्वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले प्रतिफल से जुड़ा होता है.

पढ़ें : Retirement Planning : रिटायरमेंट के बाद जीना है टेंशन फ्री, तो प्लानिंग करते समय इन बातों का रखें ख्याल

रिजर्व बैंक ने कहा, ‘बैंकों की सावधि जमा दरें अब डाकघर सावधि जमा दरों की तुलना में प्रतिस्पर्धी रूप से निर्धारित हैं.’ रिजर्व बैंक के मुताबिक, एक से दो साल की परिपक्वता वाली बैंक खुदरा जमा पर डब्ल्यूएडीटीडीआर फरवरी, 2023 में 6.9 फीसदी हो गया जबकि सितंबर, 2022 में यह 5.8 फीसदी और मार्च, 2022 में 5.2 फीसदी था. लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर लगातार तीन बार बढ़ने के बाद द्विवर्षीय डाकघर सावधि जमा पर अब 6.9 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है. यह दर सितंबर, 2022 में 5.5 फीसदी थी.

देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई 1 साल से अधिक और 2 साल से कम की जमा पर 6.8 प्रतिशत ब्याज दे रहा है. वहीं दो साल से अधिक और तीन साल से कम की जमा पर एसबीआई की ब्याज दर 7 फीसदी है. बैंकों ने मई, 2022-मार्च, 2023 के दौरान नीतिगत रेपो दर में हुई वृद्धि के अनुरूप अपनी बाहरी बेंचमार्क-आधारित ऋण दरों (ईबीएलआर) में 2.50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है. इस दौरान ऋण मूल्य निर्धारण के आंतरिक मानक एमसीएलआर में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

पढ़ें : जेब काटने वाली कर बचत योजनाओं में निवेश से पहले रखें इन बातों का ध्यान

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में लगातार तीन बार बढ़ोतरी होने से डाकघर की फिक्स्ड डिपॉजिट एक बार फिर बैंक एफडी के मुकाबले में खड़ी हो गई हैं. लघु बचत योजनाओं के तहत डाकघर में दो साल की फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6.9 फीसदी ब्याज मिल रहा है. जो अधिकांश बैंकों की तरफ से समान परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर दी जाने वाली दर के बराबर है.

रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में रेपो दर में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था और तब से यह 4 फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी हो चुकी है. इसका असर यह हुआ कि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बैंकों ने अधिक वित्त जुटाने के लिए खुदरा जमाओं पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि मई, 2022 से फरवरी, 2023 के दौरान बैंकों की नई जमाओं पर भारित औसत घरेलू सावधि जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) 2.22 फीसदी तक बढ़ गई.

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वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में बैंकों का जोर थोक जमाओं पर अधिक था. लेकिन दूसरी छमाही में उनकी प्राथमिकता बदली और खुदरा जमा जुटाने पर उन्होंने अधिक ध्यान दिया. ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना इसी का हिस्सा रहा. सरकार ने लघु बचत योजनाओं (एसएसआई) के लिए ब्याज दरें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए 0.1-0.3 प्रतिशत, जनवरी-मार्च तिमाही के लिए 0.2-1.1 फीसदी और अप्रैल-जून 2023 तिमाही के लिए 0.1-0.7 फीसदी तक बढ़ा दीं.

इसके पहले लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें लगातार नौ तिमाहियों से अपरिवर्तित बनी हुई थीं. वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही से 2022-23 की दूसरी तिमाही तक इनमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी. लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का निर्णय सरकार करती है. इनका निर्धारण तुलनीय परिपक्वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले प्रतिफल से जुड़ा होता है.

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रिजर्व बैंक ने कहा, ‘बैंकों की सावधि जमा दरें अब डाकघर सावधि जमा दरों की तुलना में प्रतिस्पर्धी रूप से निर्धारित हैं.’ रिजर्व बैंक के मुताबिक, एक से दो साल की परिपक्वता वाली बैंक खुदरा जमा पर डब्ल्यूएडीटीडीआर फरवरी, 2023 में 6.9 फीसदी हो गया जबकि सितंबर, 2022 में यह 5.8 फीसदी और मार्च, 2022 में 5.2 फीसदी था. लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर लगातार तीन बार बढ़ने के बाद द्विवर्षीय डाकघर सावधि जमा पर अब 6.9 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है. यह दर सितंबर, 2022 में 5.5 फीसदी थी.

देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई 1 साल से अधिक और 2 साल से कम की जमा पर 6.8 प्रतिशत ब्याज दे रहा है. वहीं दो साल से अधिक और तीन साल से कम की जमा पर एसबीआई की ब्याज दर 7 फीसदी है. बैंकों ने मई, 2022-मार्च, 2023 के दौरान नीतिगत रेपो दर में हुई वृद्धि के अनुरूप अपनी बाहरी बेंचमार्क-आधारित ऋण दरों (ईबीएलआर) में 2.50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है. इस दौरान ऋण मूल्य निर्धारण के आंतरिक मानक एमसीएलआर में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

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(पीटीआई-भाषा)

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