कराची : पाकिस्तानी सरकार International Monetary Fund (IMF) सौदे को बहाल करने में असफल रही. जिस कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खतरे में है. यह चेतावनी दी है ब्रिटिश प्रकाशन फाइनेंशियल टाइम्स ने. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, रोलिंग ब्लैकआउट और विदेशी मुद्रा की भारी कमी व्यवसायों के लिए संचालन जारी रखना मुश्किल बना रही है. जियो न्यूज ने बताया कि आयात से भरे शिपिंग कंटेनर बंदरगाहों पर जमा हो रहे हैं, क्योंकि खरीदार उसके भुगतान के लिए डॉलर देने में असमर्थ हैं.
एयरलाइंस और विदेशी कंपनियों के संघों ने चेतावनी दी है कि घटते विदेशी भंडार को बचाने के लिए लगाए गए पूंजी नियंत्रण द्वारा उन्हें डॉलर वापस करने से रोक दिया गया है. अधिकारियों ने कहा कि कपड़ा निर्माता जैसे कारखाने ऊर्जा और संसाधनों के संरक्षण के लिए बंद हो रहे थे या घंटों में कटौती कर रहे थे. मुश्किलें बढ़ गई थीं. यूके के अखबार ने बताया कि सोमवार को 12 घंटे से अधिक समय तक देशव्यापी ब्लैकआउट किया गया.
रुपये में भारी गिरावट से बाजार में सकारात्मक धारणा
ओपन और इंटरबैंक बाजारों में रुपये के अवमूल्यन के बाद पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (पीएसएक्स) के बेंचमार्क इंडेक्स में 1,000 से अधिक अंकों की बढ़ोतरी हुई और लाभ हुआ. यह जानकारी मीडिया रिपोर्टो में दी गई. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, आरिफ हबीब लिमिटेड के शोध प्रमुख ताहिर अब्बास ने डेवलपमेंट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि रुपये में भारी गिरावट से बाजार में सकारात्मक धारणा बनी है. अब्बास ने कहा, 'बाजार के पीछे ड्राइविंग फेक्टर रुपये की बाजार आधारित विनिमय दर है. इससे निवेशकों को घेरने वाली अनिश्चितता को दूर करने में मदद मिली है.'
विश्लेषक ने कहा कि सरकार के कदमों से बाजार को उबरने में मदद मिल रही है. साथ ही उन निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम के पुनरुद्धार को लेकर अनिश्चितता के कारण मुश्किल स्थिति में थे. अब्बास ने कहा, उम्मीद है कि अगले आठ से 10 दिनों के भीतर एक मिनी-बजट पेश हो सकता है. जिसमें गैस और बिजली के टैरिफ में भी वृद्धि देखी जा सकती है और अधिक टैक्स लगाए जा सकते हैं.
पाक रुपए की कीमत दो दशक में सबसे निचले स्तर पर
द न्यूज के मुताबिक, पाक में विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी आई. साथ ही आईएमएफ कमजोर पड़ गया. जिस कारण पाक रुपया दो दशक से भी अधिक समय में डॉलर के मुकाबले अपनी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की. जिससे सरकार को मुद्रा पर अपनी पकड़ ढीली करने के लिए मजबूर होना पड़ा. आईएमएफ की शर्त के तहत रुपया-डॉलर विनिमय दर पर अपना नियंत्रण समाप्त करने के सरकार के फैसले के बाद पाक मुद्रा 9.61 प्रतिशत या 24.5 रुपये की गिरावट के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 255.43 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया. 9 प्रतिशत से अधिक की गिरावट 30 अक्टूबर 1999 के बाद से सबसे अधिक थी जब मुद्रा 9.4 प्रतिशत गिर गई थी.
पूंजी बाजार विशेषज्ञ साद अली ने द न्यूज को बताया, 'स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान' (State Bank of Pakistan) आधिकारिक और खुले बाजार दर के बीच व्यापक अंतर को दूर करने और अनौपचारिक बाजार के माध्यम से डॉलर के प्रवाह को रोकने के लिए विनिमय दर को खुले बाजार के करीब बाजार दर में समायोजित कर रहा है.'
(आईएएनएस)
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