नई दिल्ली : म्युचुअल फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों निवेश के बेहतर तरीके हैं. हालांकि दोनों में से किसी एक को निवेश के लिए चुनना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं. एक मध्यआयु वर्ग के निवेशक को अपने फाइनेंशियल स्थिती, निवेश लक्ष्य और जोखिम के आधार पर इंवेस्टमेंट का तरीका चुनना होगा. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि किसमें निवेश करना चाहिए और क्यों...
जोखिम के आधार पर
अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं और बाजार के उतार- चढ़ाव पर अपने इंवेस्टमेंट के लिए इंतजार कर सकते हैं, तो mutual funds में निवेश का ऑप्शन चुन सकते हैं. लेकिन वहीं, अगर आप किसी तरह का रिस्क नहीं चाहते हैं तो फिक्स्ड डिपॉजिट एक बेहतर ऑप्शन है. फिक्स्ड डिपॉजिट एक कम जोखिम वाला निवेश विकल्प है, जहां निवेशक एक निश्चित अवधि के लिए और एक निश्चित इंटरेस्ट रेट पर बैंक या वित्तीय संस्थान में पैसा जमा करता है. एफडी में एक फिक्स्ड रिटर्न मिलता है. लेकिन दूसरे इंवेस्टमेंट ऑप्शन की तुलना में रिटर्न अपेक्षाकृत कम होता है. ये ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा ऑप्शन हैं जो न्यूनतम जोखिम के साथ एक निश्चित आय पसंद करते हैं.
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लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट चाहने वालों के लिए म्युचुअल फंड : वहीं, दूसरी तरफ म्युचुअल फंड निवेश करने का नया तरीका हैं, जिसमें आप कई तरीकों जैसे स्टॉक, बॉन्ड या अन्य प्रतिभूतियों या पोर्टफोलियो के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. ये अच्छा रिटर्न देते हैं लेकिन FD की तुलना में इसमें जोखिम होती है.
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