नई दिल्ली: आज के डिजिटल समय में आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) का देश में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है. यह सुविधा अब देश के हर क्षेत्र में उपलब्ध है. यह पेमेंट मेथर्ड बैंक ग्राहकों के बायोमेट्रिक क्रेडेंशियल्स के माध्यम से काम करता है. इसके जरिए पैसों का लेन-देन करना, किसी भी सामान का पेमेंट करना शामिल है, लेकिन हाल के आकड़ें AePS के लिए चिंताजनक है. नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के उपयोग के बावजूद, धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं. ग्राहक को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
मानसून सत्र 2023 के दौरान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कराड ने बताया कि मार्च 2023 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में AePS के माध्यम से 485.94 करोड़ लेनदेन किए गए और 34.10 करोड़ ग्राहकों को सेवा दी गई है.
क्या है आधार आधारित भुगतान प्रणाली?
Aadhaar Enabled Payment System (AePS), नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित एक सिस्टम है जो लोगों को आधार नंबर और उनके फिंगरप्रिंट/ आईरिस स्कैन की मदद से वेरिफिकेशन करके माइक्रो-ATM द्वारा वित्तीय ट्रांजेक्शन करने की अनुमति देता है. इसे फिनटेक इंडस्ट्री के रुप में भी जाना जाता है. इसमें बैंक ग्राहक अपने आधार से जुड़े बैंक अकाउंट पर बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंस के जरिए बेसिक बैंकिंग ट्रांजेक्शन कर सकते हैं. जिसमें कैश डिपॉजिट, कैश निकालना, इंट्राबैंक और इंटर बैंक कैश ट्रांसफर, बैलेंस इन्क्वॉयरी और मिनी स्टेटमेंट जैसी गतिविधियां शामिल है. इनमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के लाभार्थियों के खाते भी शामिल होते हैं.
आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम में फ्रॉड के मामले
आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों (2019 से 2023) में आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के तहत 8.68 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. जो एक बड़ा अमाउंट है. हालांकि, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के बावजूद, इन लेनदेन के समय उनके साथ हुई धोखाधड़ी के कारण बैंक ग्राहकों को 5.85 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है.
इस धोखाधड़ी के मामले से देश का सबसे बड़ा बैंक State Bank of India (SBI) भी अछूता नहीं है. वित्तीय वर्ष 2023 में, एसबीआई के माध्यम से आधार इनेबल्ड पेमेंट 41,861 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. जिसमें से उसके ग्राहकों को 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं, केनरा बैंक ने 4,369 करोड़ रुपये के एईपीएस आधारित लेनदेन की सूचना दी और उसके ग्राहकों को 14.29 लाख रुपये की चपत लगी है.
संसद में सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 10,383 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ, जिसमें ग्राहकों को 9.91 लाख रुपये का फ्रॉड हुआ है. जबकि पंजाब नेशनल बैंक ने 15,624 करोड़ रुपये के एईपीएस आधारित लेनदेन की सूचना दी और उसके ग्राहकों को वर्ष के दौरान धोखाधड़ी में 8.79 लाख रुपये से हाथ धोना पड़ा है.
साल 2022 में किस बैंक के ग्राहकों को कितना नुकसान हुआ
पिछले वित्तीय वर्ष में एसबीआई से 99,000 करोड़ रुपये का एईपीएस आधारित लेनदेन हुआ है. जिसमें धोखाधड़ी के चलते ग्रहकों को 30.88 लाख रुपये का नुकसान हुआ. जबकि केनरा बैंक से 13,317 करोड़ के लेनदने में से ग्रहकों को ठगी के चलते 17.14 लाख का नुकसान हुआ है. Union Bank of India में AePS के तहत हुए 24,341 करोड़ के लेनदेन में से 7.81 लाख का नुकसान ग्राहकों को हुआ है.
प्राइवेट बैंक के ग्राहक भी हुए फ्रॉड के शिकार
बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के उपयोग के बावजूद, धोखाधड़ी के मामले में प्राइवेट बैंक भी अछूते नहीं है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे शीर्ष निजी बैंक के ग्राहक भी धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं. उदाहरण के लिए, एचडीएफसी बैंक, जो इस साल हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी के साथ विलय के बाद भारत का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक बन गया है, ने 2022 के दौरान 1741 करोड़ रुपये के आधार आधारित लेनदेन की सूचना दी और इसके ग्राहकों को वर्ष के दौरान 7.37 लाख रुपये का नुकसान हुआ, जैसा कि लोकसभा में सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है.
इसी तरह, आईसीआईसीआई बैंक ने 2022 में 1,967 करोड़ रुपये के एईपीएस आधारित लेनदेन की सूचना दी और आधार आधारित भुगतान प्रणाली में हुई धोखाधड़ी के कारण उसके ग्राहकों को 6.61 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
आधार आधारित भुगतान में धोखाधड़ी से निपटना
लोकसभा में मंत्री कराड ने सदस्यों को बताया कि फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का प्रमुख तरीका है, इसलिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र को तेजी से सुरक्षित बनाने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है. मंत्री ने आगे कहा “किसी भी संभावित स्पूफिंग प्रयासों के उपयोग से एईपीएस धोखाधड़ी को रोकने के लिए, यूआईडीएआई ने एक इन-हाउस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-मशीन लर्निंग आधारित समाधान विकसित किया है जो डिवाइस के स्कैनर पर कैप्चर किए गए फिंगरप्रिंट की जीवंतता का पता लगाने में सक्षम है और इसलिए गमी फिंगर या स्पूफिंग के प्रयासों का पता चला है, ”
इसके अलावा, एईपीएस लेनदेन को सुरक्षित बनाने के लिए, नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने एक धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन (एफआरएम) प्रणाली विकसित की है, जो एक वास्तविक समय धोखाधड़ी निगरानी समाधान है और इसे बैंकों को मुफ्त में दिया गया है. एक मूल्यवर्धित सेवा के रूप में. सरकार ने कहा, एफआरएम पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नियम और सीमाएं तय करने की सुविधा प्रदान करता है.