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छठ पूजा के लिए आम की लकड़ी, बांस की टोकरियों की भारी मांग, फलों के कारोबार में आई तेजी

दिवाली के बाद, लोग विशेष रूप से 'पूर्वांचलवासी' चार दिवसीय त्योहार, छठ पूजा की तैयारी शुरू कर देते हैं. यह मुख्य रूप से भारत और नेपाल में बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इन दिनों कई चीजों के मांग में बढ़ोतरी देखी जाती है. पढ़ें पूरी खबर...(Chhath Ghat, chhath puja, Chhath Puja 2023, Chhath Puja 2023 Date, Chhath Puja 2023)

Chhath Puja 2023
छठ पूजा 2023
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 17, 2023, 12:58 PM IST

Updated : Nov 17, 2023, 6:32 PM IST

नई दिल्ली: लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा आज से शुरू हो चुका है. इसको लेकर बाजार में सूखी आम की लकड़ी, बांस की टोकरियां और मिट्टी के चूल्हों की बिक्री बढ़ गई है. बिहार का लोकप्रिय छठ पूजा के दूसरे दिन को 'खरना' भी कहा जाता है, जब प्रसाद के रूप में 'खीर' या चावल का हलवा तैयार किया जाता है. इसके साथ ही कद्दू जैसी सब्जियां और नारियल, केला, गन्ना, सेब, अनानास, शकरकंद, सिंघाड़े सहित अन्य वस्तुएं - जिनका उपयोग सूर्य देव को अर्पित करने के लिए किया जाता है. इनका बाजार में मांग के साथ ही भाव में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है.

Chhath Puja 2023
छठ पूजा 2023

इस समय दुकानदार और विक्रेता काफी खुश होते है, क्योंकि ग्राहकों से ज्यादा मोल-भाव किए बिना तेजी से कारोबार कर रहे हैं. इसके साथ ही सड़क किनारे मिट्टी का चूल्हा की भी मांग बढ़ जाती है. आम की सूखी लकड़ी, विभिन्न आकृतियों की बांस की टोकरियां और मिट्टी के चूल्हे छठ करने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक वस्तुएं हैं. इन वस्तुओं के बिना, छठ संभव नहीं है.

Chhath Puja 2023
छठ पूजा 2023

छठ पूजा में पारंपरिक भोजन पकाने के लिए जलावन के रूप में केवल आम की लकड़ी को शुद्ध माना जाता है चार दिवसीय छठ पूजा नहाय खाय के साथ शुरू होता है, जिसमें चावल और कद्दू का पारंपरिक भोजन तैयार किया जाता है. त्योहार के दौरान, छठ व्रती 36 घंटे का उपवास रखती हैं और भक्त पारंपरिक रूप से सूर्य देव को गेहूं, चावल से तैयार फल, दूध, गन्ना, केले और नारियल चढ़ाते हैं. इसके साथ ही सात घोड़ों वाले रथ पर सवार सूर्य देव की रंग-बिरंगी मूर्तियां, जो इस साल एक नया आकर्षण हैं, नदी किनारे पर बेची जा रही हैं.

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नई दिल्ली: लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा आज से शुरू हो चुका है. इसको लेकर बाजार में सूखी आम की लकड़ी, बांस की टोकरियां और मिट्टी के चूल्हों की बिक्री बढ़ गई है. बिहार का लोकप्रिय छठ पूजा के दूसरे दिन को 'खरना' भी कहा जाता है, जब प्रसाद के रूप में 'खीर' या चावल का हलवा तैयार किया जाता है. इसके साथ ही कद्दू जैसी सब्जियां और नारियल, केला, गन्ना, सेब, अनानास, शकरकंद, सिंघाड़े सहित अन्य वस्तुएं - जिनका उपयोग सूर्य देव को अर्पित करने के लिए किया जाता है. इनका बाजार में मांग के साथ ही भाव में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है.

Chhath Puja 2023
छठ पूजा 2023

इस समय दुकानदार और विक्रेता काफी खुश होते है, क्योंकि ग्राहकों से ज्यादा मोल-भाव किए बिना तेजी से कारोबार कर रहे हैं. इसके साथ ही सड़क किनारे मिट्टी का चूल्हा की भी मांग बढ़ जाती है. आम की सूखी लकड़ी, विभिन्न आकृतियों की बांस की टोकरियां और मिट्टी के चूल्हे छठ करने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक वस्तुएं हैं. इन वस्तुओं के बिना, छठ संभव नहीं है.

Chhath Puja 2023
छठ पूजा 2023

छठ पूजा में पारंपरिक भोजन पकाने के लिए जलावन के रूप में केवल आम की लकड़ी को शुद्ध माना जाता है चार दिवसीय छठ पूजा नहाय खाय के साथ शुरू होता है, जिसमें चावल और कद्दू का पारंपरिक भोजन तैयार किया जाता है. त्योहार के दौरान, छठ व्रती 36 घंटे का उपवास रखती हैं और भक्त पारंपरिक रूप से सूर्य देव को गेहूं, चावल से तैयार फल, दूध, गन्ना, केले और नारियल चढ़ाते हैं. इसके साथ ही सात घोड़ों वाले रथ पर सवार सूर्य देव की रंग-बिरंगी मूर्तियां, जो इस साल एक नया आकर्षण हैं, नदी किनारे पर बेची जा रही हैं.

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Last Updated : Nov 17, 2023, 6:32 PM IST
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