नई दिल्ली: लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा आज से शुरू हो चुका है. इसको लेकर बाजार में सूखी आम की लकड़ी, बांस की टोकरियां और मिट्टी के चूल्हों की बिक्री बढ़ गई है. बिहार का लोकप्रिय छठ पूजा के दूसरे दिन को 'खरना' भी कहा जाता है, जब प्रसाद के रूप में 'खीर' या चावल का हलवा तैयार किया जाता है. इसके साथ ही कद्दू जैसी सब्जियां और नारियल, केला, गन्ना, सेब, अनानास, शकरकंद, सिंघाड़े सहित अन्य वस्तुएं - जिनका उपयोग सूर्य देव को अर्पित करने के लिए किया जाता है. इनका बाजार में मांग के साथ ही भाव में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है.
इस समय दुकानदार और विक्रेता काफी खुश होते है, क्योंकि ग्राहकों से ज्यादा मोल-भाव किए बिना तेजी से कारोबार कर रहे हैं. इसके साथ ही सड़क किनारे मिट्टी का चूल्हा की भी मांग बढ़ जाती है. आम की सूखी लकड़ी, विभिन्न आकृतियों की बांस की टोकरियां और मिट्टी के चूल्हे छठ करने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक वस्तुएं हैं. इन वस्तुओं के बिना, छठ संभव नहीं है.
छठ पूजा में पारंपरिक भोजन पकाने के लिए जलावन के रूप में केवल आम की लकड़ी को शुद्ध माना जाता है चार दिवसीय छठ पूजा नहाय खाय के साथ शुरू होता है, जिसमें चावल और कद्दू का पारंपरिक भोजन तैयार किया जाता है. त्योहार के दौरान, छठ व्रती 36 घंटे का उपवास रखती हैं और भक्त पारंपरिक रूप से सूर्य देव को गेहूं, चावल से तैयार फल, दूध, गन्ना, केले और नारियल चढ़ाते हैं. इसके साथ ही सात घोड़ों वाले रथ पर सवार सूर्य देव की रंग-बिरंगी मूर्तियां, जो इस साल एक नया आकर्षण हैं, नदी किनारे पर बेची जा रही हैं.