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UNION BUDGET 2014-2022 : नये बजट के पहले जानिए मोदी सरकार के पुराने बजट की कहानी - Budget Special News

वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट कल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में पेश करेंगी. बजट में क्या खास होगा, यह तो कल पता चलेगा. लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में 2014 से लेकर 2022 तक पेश किये गये सभी आम बजट में क्या था खास. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.....

KEY POINTS OF UNION BUDGET
केंद्रीय बजट
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Published : Jan 31, 2023, 3:05 PM IST

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्णकालिक आम बजट कल बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. उम्मीद की जा रही है कि 2024 के आम चुनावों के मद्देनजर यह 'चुनावी बजट' हो सकता है. वहीं अबतक नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से पेश किये गये आम बजटों में क्या खास रहा. आइये समझते हैं 2014 से 2022 के केंद्रीय बजट की प्रमुख बातों को.....

Union Finance Minister Nirmala Sitharaman
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट समारोह से पहले हलवा खिलाती हुई

'नमामि गंगे परियोजना' की शुरुआत
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराकार केंद्र में आई. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार में 2014-15 के लिए पहला आम बजट पेश किया. बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित कई घोषणाएं की गईं. इस दौरान देश में चिकित्सा शिक्षा और संस्थानों की स्थापना पर फोकस था. वित्त मंत्री ने बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं को महत्वा दिया. 2014 के आम बजट में केंद्र सराकार ने एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन के तहत 'नमामि गंगे परियोजना' स्थापित करने की योजना बनाई गई थी. बजट में इसके लिए 2,037 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.

कर चोरी रोकने पर किया गया फोकस
नरेंद्र मोदी सरकार में दूसरी बार 2015 में अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का यह पहला पूर्ण बजट था. 2015-16 के बजट में कर चोरी रोकने के लिए नियमों को कड़ा करने पर फोकस किया गया. इस दौरान रुपयों के नकद-लेन देन को सीमित किया गया. साथ ही देश में नये आईटी और एम्स खोलने के लिए मंजूरी दी गई. विश्लेषकों को अनुसार सामाजिक क्षेत्र को कम महत्व दिया गया. इस दौरान भविष्य में देश की उर्जा संरचना को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये गये.

2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का था लक्ष्य
2016 में मोदी सरकार में तीसरी बार अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया. केंद्र ने ग्रामीण स्वच्छता के लिए स्वच्छ भारत अभियान पर फोकस किया. इसके लिए 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. वित्त मंत्री द्वारा किए गए दूरगामी और महत्वाकांक्षी वादों में से एक 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना था.

रेल बजट की परंपरा समाप्त की गई
2017 में अरुण जेटली ने चौथी बार नरेंद्र मोदी सरकार के आम बजट को पेश किया. बजट से तीन महीने पहले देश में विमुद्रीकरण (पुराने नोटों को बंद ) किया गया था. इस कारण 2017 के बजट को पूरा देश बहुत करीब से देख रहा था. 2017-18 के आम बजट के साथ रेल बजट का विलय भी देखा गया. 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच आय वाले व्यक्तियों के लिए आयकर की दर में 5 फीसदी की कटौती की गई.

Former Finance Minister Arun Jaitley
2017 में आम बजट प्रस्तुत करने के लिए जाते वित्त मंत्री अरुण जेटली

नोटबंदी से राहत के लिए टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं
2018 में अरुण जेटली ने 5वीं बार बजट पेश किया. 2018-19 विनिर्माण सेवाओं और निर्यात के अच्छे विकास पथ पर वापस आने के साथ भारत की 8 फीसदी से अधिक की उच्च वृद्धि की ओर एक कदम था. तत्कालीन वित्त मंत्री, अरुण जेटली ने संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए कहा कि भारतीय समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था ने जीएसटी और विमुद्रीकरण जैसे संरचनात्मक सुधारों के साथ तालमेल बिठाने में उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है. बजट ने 2022 तक किसान की आय दोगुनी करने की दिशा में भी काम किया.

पीयूष गोयल ने जनवरी में पेश किया अंतरिम बजट
2019 में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आम चुनाव से पहले 2019-20 के लिए अंतरिम बजट सदन में पेश किया. 1 फरवरी 2019 को संसद में पेश बजट में में किसानों के लिए एक प्रमुख योजना पेश की और आयकर छूट देने की घोषणा की. तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने औसत मुद्रास्फीति को 4.6 फीसदी तक कम कर दिया, जो किसी भी पिछली सरकार के कार्यकाल से कम है.

हर घर 2022 तक बिजली और 2024 तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य
2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सराकर में वापस आने के बाद जुलाई में 2019-20 के लिए निर्मला सीतारमण ने पहली बार बजट पेश किया. इस दौरान 2-5 करोड़ आय वालों पर 3 फीसदी और 5 करोड़ रुपये से अधिक आय वालों पर 7 फीसदी अधिभार लगाने का निर्णय लिया गया. इस दौरान इलेक्ट्रिक वाहन और किफायती घरों के लिए कई कदम उठाये गये. अगले पांच वर्षों में, 80,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 1.25 लाख किलोमीटर सड़कों का उन्नयन का लक्ष्य रखा गया. देश में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में कई बदलाव किये गये. हवाई अड्डों को पट्टे पर देने की नीति को मंजूरी दी गई. 2019 के बजट से पेट्रोल, डीजल, आयातित सोना और कीमती धातुएं, मुद्रित किताबें, सीसीटीवी कैमरे, आयातित काजू की गुठली और सिगरेट सहित आयातित कागज और कागज उत्पाद महंगे हो गए .

गांव, गरीब और किसान पर फोकस कर बनाया बजट
2019-20 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ' गांव, गरीब और किसान' सभी कार्यक्रमों का केंद्र बिंदु है. मेकइन इंडिया के पोषित लक्ष्य को बढ़ावा देने के लिए कुछ वस्तुओं पर मूल सीमा शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया. भारत में निर्मित नहीं होने वाले रक्षा उपकरणों के आयात को बुनियादी सीमा शुल्क से छूट दी गई. सरकार ने सोने पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी. बजट प्रस्तावों के अनुसार, सोने और कीमती धातुओं पर आयात शुल्क मौजूदा 10 फीसदी के स्तर से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया. 2022 तक सभी परिवारों के लिए बिजली, स्वच्छ खाना पकाने की सुविधा, 2024 तक सभी ग्रामीण घरों के लिए पानी का लक्ष्य रखा गया.

कॉर्पोरेट कर में कमी और आवास के लिए रियायतों की घोषणा
2020 में दूसरी बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया. वित्त मंत्री ने पेट्रोल और डीजल पर कर बढ़ाया, सोने पर आयात शुल्क बढ़ाया, अति अमीरों पर अतिरिक्त अधिभार लगाया और उच्च मूल्य की नकद निकासी पर कर का प्रावधान किया गया. उन्होंने कॉर्पोरेट कर में कमी और आवास के लिए रियायतें देकर विकास को गति देने की मांग की थी. स्टार्टअप और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये गये.

कोरोना महामारी से निपटने के लिए कदमों पर किया गया फोकस
2021 में निर्मला सीतारमण ने तीसरी बार आम बजट पेश किया. कोरोनो महामारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के केंद्रीय बजट में छह बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया - स्वास्थ्य और सेहत, वित्तीय पूंजी और बुनियादी ढांचा के साथ भारत के लिए समावेशी विकास पर फोकस किया गया. मानव पूंजी, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को पुनर्जीवित करने और न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन की नीति पर बल दिया गया. कई प्रत्यक्ष कर सुधार जैसे कि 75 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर में छूट, राष्ट्रीय पहचान रहित आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण केंद्र, पूर्व-दाखिल रिटर्न, लाभांश आय पर अग्रिम कर आदि प्रस्तावित थे.

सार्वजनिक पूंजी निवेश पर फोकस रहा 2022 का बजट
2022 निर्मला सीतारमण ने चौथी बार आम बजट पेश किया. वित्त वर्ष 2022-23 के बजट लक्ष्यों का उद्देश्य अमृत काल में भारत की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाया गया, क्योंकि यह स्वतंत्रता के बाद अपने 100वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है. विकास और सर्व-समावेशी कल्याण पर ध्यान दिया गया. प्रौद्योगिकी-सक्षम विकास, ऊर्जा जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों को ध्यान में रखकर निजी निवेश को बढ़ाव देने के लिए सार्वजनिक पूंजी निवेश पर फोकस किया गया. वर्ष वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट का लक्ष्य चार प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए बुनियादी ढांचे को मजबूत करना रखा गया. इनमें पीएम गतिशक्ति, समावेशी विकास के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि, निवेश, उर्जा और जलवायु से जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखकर आम बजट पेश किया गया.

ये भी पढ़ें-Budget session 2023 : संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण- आतंक के खिलाफ देश की आवाज मुखर

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्णकालिक आम बजट कल बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. उम्मीद की जा रही है कि 2024 के आम चुनावों के मद्देनजर यह 'चुनावी बजट' हो सकता है. वहीं अबतक नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से पेश किये गये आम बजटों में क्या खास रहा. आइये समझते हैं 2014 से 2022 के केंद्रीय बजट की प्रमुख बातों को.....

Union Finance Minister Nirmala Sitharaman
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट समारोह से पहले हलवा खिलाती हुई

'नमामि गंगे परियोजना' की शुरुआत
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराकार केंद्र में आई. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार में 2014-15 के लिए पहला आम बजट पेश किया. बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित कई घोषणाएं की गईं. इस दौरान देश में चिकित्सा शिक्षा और संस्थानों की स्थापना पर फोकस था. वित्त मंत्री ने बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं को महत्वा दिया. 2014 के आम बजट में केंद्र सराकार ने एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन के तहत 'नमामि गंगे परियोजना' स्थापित करने की योजना बनाई गई थी. बजट में इसके लिए 2,037 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.

कर चोरी रोकने पर किया गया फोकस
नरेंद्र मोदी सरकार में दूसरी बार 2015 में अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का यह पहला पूर्ण बजट था. 2015-16 के बजट में कर चोरी रोकने के लिए नियमों को कड़ा करने पर फोकस किया गया. इस दौरान रुपयों के नकद-लेन देन को सीमित किया गया. साथ ही देश में नये आईटी और एम्स खोलने के लिए मंजूरी दी गई. विश्लेषकों को अनुसार सामाजिक क्षेत्र को कम महत्व दिया गया. इस दौरान भविष्य में देश की उर्जा संरचना को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये गये.

2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का था लक्ष्य
2016 में मोदी सरकार में तीसरी बार अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया. केंद्र ने ग्रामीण स्वच्छता के लिए स्वच्छ भारत अभियान पर फोकस किया. इसके लिए 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. वित्त मंत्री द्वारा किए गए दूरगामी और महत्वाकांक्षी वादों में से एक 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना था.

रेल बजट की परंपरा समाप्त की गई
2017 में अरुण जेटली ने चौथी बार नरेंद्र मोदी सरकार के आम बजट को पेश किया. बजट से तीन महीने पहले देश में विमुद्रीकरण (पुराने नोटों को बंद ) किया गया था. इस कारण 2017 के बजट को पूरा देश बहुत करीब से देख रहा था. 2017-18 के आम बजट के साथ रेल बजट का विलय भी देखा गया. 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच आय वाले व्यक्तियों के लिए आयकर की दर में 5 फीसदी की कटौती की गई.

Former Finance Minister Arun Jaitley
2017 में आम बजट प्रस्तुत करने के लिए जाते वित्त मंत्री अरुण जेटली

नोटबंदी से राहत के लिए टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं
2018 में अरुण जेटली ने 5वीं बार बजट पेश किया. 2018-19 विनिर्माण सेवाओं और निर्यात के अच्छे विकास पथ पर वापस आने के साथ भारत की 8 फीसदी से अधिक की उच्च वृद्धि की ओर एक कदम था. तत्कालीन वित्त मंत्री, अरुण जेटली ने संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए कहा कि भारतीय समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था ने जीएसटी और विमुद्रीकरण जैसे संरचनात्मक सुधारों के साथ तालमेल बिठाने में उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है. बजट ने 2022 तक किसान की आय दोगुनी करने की दिशा में भी काम किया.

पीयूष गोयल ने जनवरी में पेश किया अंतरिम बजट
2019 में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आम चुनाव से पहले 2019-20 के लिए अंतरिम बजट सदन में पेश किया. 1 फरवरी 2019 को संसद में पेश बजट में में किसानों के लिए एक प्रमुख योजना पेश की और आयकर छूट देने की घोषणा की. तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने औसत मुद्रास्फीति को 4.6 फीसदी तक कम कर दिया, जो किसी भी पिछली सरकार के कार्यकाल से कम है.

हर घर 2022 तक बिजली और 2024 तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य
2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सराकर में वापस आने के बाद जुलाई में 2019-20 के लिए निर्मला सीतारमण ने पहली बार बजट पेश किया. इस दौरान 2-5 करोड़ आय वालों पर 3 फीसदी और 5 करोड़ रुपये से अधिक आय वालों पर 7 फीसदी अधिभार लगाने का निर्णय लिया गया. इस दौरान इलेक्ट्रिक वाहन और किफायती घरों के लिए कई कदम उठाये गये. अगले पांच वर्षों में, 80,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 1.25 लाख किलोमीटर सड़कों का उन्नयन का लक्ष्य रखा गया. देश में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में कई बदलाव किये गये. हवाई अड्डों को पट्टे पर देने की नीति को मंजूरी दी गई. 2019 के बजट से पेट्रोल, डीजल, आयातित सोना और कीमती धातुएं, मुद्रित किताबें, सीसीटीवी कैमरे, आयातित काजू की गुठली और सिगरेट सहित आयातित कागज और कागज उत्पाद महंगे हो गए .

गांव, गरीब और किसान पर फोकस कर बनाया बजट
2019-20 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ' गांव, गरीब और किसान' सभी कार्यक्रमों का केंद्र बिंदु है. मेकइन इंडिया के पोषित लक्ष्य को बढ़ावा देने के लिए कुछ वस्तुओं पर मूल सीमा शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया. भारत में निर्मित नहीं होने वाले रक्षा उपकरणों के आयात को बुनियादी सीमा शुल्क से छूट दी गई. सरकार ने सोने पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी. बजट प्रस्तावों के अनुसार, सोने और कीमती धातुओं पर आयात शुल्क मौजूदा 10 फीसदी के स्तर से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया. 2022 तक सभी परिवारों के लिए बिजली, स्वच्छ खाना पकाने की सुविधा, 2024 तक सभी ग्रामीण घरों के लिए पानी का लक्ष्य रखा गया.

कॉर्पोरेट कर में कमी और आवास के लिए रियायतों की घोषणा
2020 में दूसरी बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया. वित्त मंत्री ने पेट्रोल और डीजल पर कर बढ़ाया, सोने पर आयात शुल्क बढ़ाया, अति अमीरों पर अतिरिक्त अधिभार लगाया और उच्च मूल्य की नकद निकासी पर कर का प्रावधान किया गया. उन्होंने कॉर्पोरेट कर में कमी और आवास के लिए रियायतें देकर विकास को गति देने की मांग की थी. स्टार्टअप और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये गये.

कोरोना महामारी से निपटने के लिए कदमों पर किया गया फोकस
2021 में निर्मला सीतारमण ने तीसरी बार आम बजट पेश किया. कोरोनो महामारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के केंद्रीय बजट में छह बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया - स्वास्थ्य और सेहत, वित्तीय पूंजी और बुनियादी ढांचा के साथ भारत के लिए समावेशी विकास पर फोकस किया गया. मानव पूंजी, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को पुनर्जीवित करने और न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन की नीति पर बल दिया गया. कई प्रत्यक्ष कर सुधार जैसे कि 75 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर में छूट, राष्ट्रीय पहचान रहित आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण केंद्र, पूर्व-दाखिल रिटर्न, लाभांश आय पर अग्रिम कर आदि प्रस्तावित थे.

सार्वजनिक पूंजी निवेश पर फोकस रहा 2022 का बजट
2022 निर्मला सीतारमण ने चौथी बार आम बजट पेश किया. वित्त वर्ष 2022-23 के बजट लक्ष्यों का उद्देश्य अमृत काल में भारत की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाया गया, क्योंकि यह स्वतंत्रता के बाद अपने 100वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है. विकास और सर्व-समावेशी कल्याण पर ध्यान दिया गया. प्रौद्योगिकी-सक्षम विकास, ऊर्जा जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों को ध्यान में रखकर निजी निवेश को बढ़ाव देने के लिए सार्वजनिक पूंजी निवेश पर फोकस किया गया. वर्ष वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट का लक्ष्य चार प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए बुनियादी ढांचे को मजबूत करना रखा गया. इनमें पीएम गतिशक्ति, समावेशी विकास के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि, निवेश, उर्जा और जलवायु से जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखकर आम बजट पेश किया गया.

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