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किसी भी शेयर में निवेश से पहले जानें IPO और FPO के बीच का अंतर - एफपीओ कैसे काम करता है

जब भी कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स आम जनता को बेचती है तो उसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO)कहते है. वहीं एफपीओ का उपयोग कंपनियों द्वारा अपने इक्विटी आधार में विविधता लाने के लिए किया जाता है. क्या अंतर है IPO और FPO में पढ़ें पूरी खबर... (Know the difference between IPO and FPO,ecurities and Exchange Board of India (SEBI), Initial Public Offering, follow on public offer)

Know the difference between IPO and FPO
किसी भी शेयर में निवेश से पहले जानें IPO और FPO के बीच का अंतर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 14, 2023, 12:26 PM IST

हैदराबाद: जब कोई कंपनी पहली बार शेयरों को आवंटित करके बाजार से धन उठाती है, तो इसे आईपीओ कहा जाता है. वहीं जब एक कंपनी लगातार समय के लिए शेयर जारी करती है, तो इसे फॉलो–ऑन सार्वजनिक पेशकश या (FPO) कहा जाता है. बता दें, एक कंपनी आईपीओ की प्रक्रिया से गुजरने के बाद एफपीओ का यूज करती है और अपने ज्यादातर शेयर जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए पूंजी जुटाने का निर्णय लेती है.

आईपीओ क्या होता है?
जब भी कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स आम जनता को बेचती है तो उसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO)कहते है. आईपीओ के तहत शेयर जारी करके एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदल दिया जाता है. IPO के जरिए कोई भी कंपनी जो अपना बिजनेस बढ़ाना चाह रही हो या फिर जिसे पैसे की तंगी होती है, पहली बार अपने शेयर्स को लांच कर पब्लिक से पैसे उठाती है. जिससे कंपनी को पैसा मिल जाता है और निवेशक उस कंपनी में शेयर होल्डर बन जाते हैं. मतलब कंपनी में वे हिस्सेदार बन जाते हैं.

आईपीओ क्या होता है?
आईपीओ क्या होता है?

कैसे आईपीओ को रिलीज किया जाता है?
किसी भी भी कंपनी का आईपीओ मार्केट में आता है तो सबसे पहले ड्राफ्ट रेड हियरिंग प्रोस्पेक्टस (DHRP) इश्यू करना होता है. इसे ऑफर दस्तावेज भी कहते हैं. इस ऑफर दस्तावेज में कंपनी से जुड़ी सारी जानकारी Securities and Exchange Board of India (SEBI) को देनी पड़ती है. और ये भी बताना पड़ता है कि IPO से जो पैसा आएगा उसका कंपनी क्या करेगी. सेबी के द्वारा ड्राफ्ट रेड हियरिंग प्रोस्पेक्टस को पहले रिव्यू किया जाता है उसके बाद यह सिद्ध करता है कि यहां सभी डिस्क्लोजर को बताया गया है या नहीं. उसके बाद कंपनी के आईपीओ का प्राइस बैंड तय होता है और फिर (SEBI)के अप्रूवल के बाद इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को रिलीज कर दिया जाता है.

कैसे आईपीओ को रिलीज किया जाता है?
कैसे आईपीओ को रिलीज किया जाता है?

एफपीओ क्या होता है?
FPO (फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर) एक ऐसा प्रोसेस है जिसके जरिए एक कंपनी जो पहले से ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, वे निवेशकों या मौजूदा शेयरधारकों और आमतौर पर प्रमोटरों के लिए नए शेयर जारी करती है. एफपीओ का उपयोग कंपनियों द्वारा अपने इक्विटी आधार में विविधता लाने के लिए किया जाता है. फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) एक तरह की सार्वजनिक पेशकश है जिसमें स्टॉक एक्सचेंज पर पहले से सूचीबद्ध कंपनी जनता के लिए अपने स्टॉक के नए शेयर जारी करती है. जो कंपनियां पहली बार अपने शेयर जारी करके आईपीओ के माध्यम से धन जुटा चुकी हैं, वे एफपीओ के माध्यम से अतिरिक्त शेयर जारी कर सकती हैं.

एफपीओ कैसे काम करता है?
एफपीओ कैसे काम करता है?

एफपीओ कैसे काम करता है?
एफपीओ उन कंपनियों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है जिन्होंने पहले ही सफलता का ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित कर लिया है. जिनके पास अतिरिक्त शेयर खरीदने के इच्छुक निवेशकों की एक मजबूत संख्या है. हालांकि, FPO मौजूदा शेयरहोल्डर्स के ओनरशिप और प्रति शेयर आय को भी कम कर सकता है, जिस पर इन्वेस्टर्स एफपीओ में हिस्सा लेने से पहले सोच-विचार करते हैं. कंपनियां अलग-अलग कारणों से ज्यादा पैसे जुटाने के लिए FPO इश्यू करती हैं, जिसमें इश्यूकर्ताओं को स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग करने से पहले एक पेशकश दस्तावेज का कॉन्ट्रैक्ट तैयार करने और निवेशकों को शेयर आवंटित करने की जरूरत होती है.

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हैदराबाद: जब कोई कंपनी पहली बार शेयरों को आवंटित करके बाजार से धन उठाती है, तो इसे आईपीओ कहा जाता है. वहीं जब एक कंपनी लगातार समय के लिए शेयर जारी करती है, तो इसे फॉलो–ऑन सार्वजनिक पेशकश या (FPO) कहा जाता है. बता दें, एक कंपनी आईपीओ की प्रक्रिया से गुजरने के बाद एफपीओ का यूज करती है और अपने ज्यादातर शेयर जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए पूंजी जुटाने का निर्णय लेती है.

आईपीओ क्या होता है?
जब भी कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स आम जनता को बेचती है तो उसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO)कहते है. आईपीओ के तहत शेयर जारी करके एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदल दिया जाता है. IPO के जरिए कोई भी कंपनी जो अपना बिजनेस बढ़ाना चाह रही हो या फिर जिसे पैसे की तंगी होती है, पहली बार अपने शेयर्स को लांच कर पब्लिक से पैसे उठाती है. जिससे कंपनी को पैसा मिल जाता है और निवेशक उस कंपनी में शेयर होल्डर बन जाते हैं. मतलब कंपनी में वे हिस्सेदार बन जाते हैं.

आईपीओ क्या होता है?
आईपीओ क्या होता है?

कैसे आईपीओ को रिलीज किया जाता है?
किसी भी भी कंपनी का आईपीओ मार्केट में आता है तो सबसे पहले ड्राफ्ट रेड हियरिंग प्रोस्पेक्टस (DHRP) इश्यू करना होता है. इसे ऑफर दस्तावेज भी कहते हैं. इस ऑफर दस्तावेज में कंपनी से जुड़ी सारी जानकारी Securities and Exchange Board of India (SEBI) को देनी पड़ती है. और ये भी बताना पड़ता है कि IPO से जो पैसा आएगा उसका कंपनी क्या करेगी. सेबी के द्वारा ड्राफ्ट रेड हियरिंग प्रोस्पेक्टस को पहले रिव्यू किया जाता है उसके बाद यह सिद्ध करता है कि यहां सभी डिस्क्लोजर को बताया गया है या नहीं. उसके बाद कंपनी के आईपीओ का प्राइस बैंड तय होता है और फिर (SEBI)के अप्रूवल के बाद इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को रिलीज कर दिया जाता है.

कैसे आईपीओ को रिलीज किया जाता है?
कैसे आईपीओ को रिलीज किया जाता है?

एफपीओ क्या होता है?
FPO (फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर) एक ऐसा प्रोसेस है जिसके जरिए एक कंपनी जो पहले से ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, वे निवेशकों या मौजूदा शेयरधारकों और आमतौर पर प्रमोटरों के लिए नए शेयर जारी करती है. एफपीओ का उपयोग कंपनियों द्वारा अपने इक्विटी आधार में विविधता लाने के लिए किया जाता है. फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) एक तरह की सार्वजनिक पेशकश है जिसमें स्टॉक एक्सचेंज पर पहले से सूचीबद्ध कंपनी जनता के लिए अपने स्टॉक के नए शेयर जारी करती है. जो कंपनियां पहली बार अपने शेयर जारी करके आईपीओ के माध्यम से धन जुटा चुकी हैं, वे एफपीओ के माध्यम से अतिरिक्त शेयर जारी कर सकती हैं.

एफपीओ कैसे काम करता है?
एफपीओ कैसे काम करता है?

एफपीओ कैसे काम करता है?
एफपीओ उन कंपनियों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है जिन्होंने पहले ही सफलता का ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित कर लिया है. जिनके पास अतिरिक्त शेयर खरीदने के इच्छुक निवेशकों की एक मजबूत संख्या है. हालांकि, FPO मौजूदा शेयरहोल्डर्स के ओनरशिप और प्रति शेयर आय को भी कम कर सकता है, जिस पर इन्वेस्टर्स एफपीओ में हिस्सा लेने से पहले सोच-विचार करते हैं. कंपनियां अलग-अलग कारणों से ज्यादा पैसे जुटाने के लिए FPO इश्यू करती हैं, जिसमें इश्यूकर्ताओं को स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग करने से पहले एक पेशकश दस्तावेज का कॉन्ट्रैक्ट तैयार करने और निवेशकों को शेयर आवंटित करने की जरूरत होती है.

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