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Vizhinjam deal : दूसरे से कर्ज लेकर केरल सरकार अडाणी पोर्ट्स को देगी 400 करोड़ रुपये, जानें क्यों - केरल सरकार

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ही अडाणी ग्रुप को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. उसके शेयर की वैल्यू गिरती जा रही है. लेकिन इन सब के बीच Adani Group को केरल से एक राहत भरी खबर मिल रही है. दरअसर केरल सराकर अडाणी समूह को 400 करोड़ रुपये देगी. क्या है पूरा मामला, जाननें के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Vizhinjam deal
अडाणी पोर्ट्स
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Published : Feb 13, 2023, 5:26 PM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार और अडाणी पोर्ट्स के बीच विझिंजम समझौते हुआ था. जिसके तहत केरल सरकार को आने वाले दिनों में Adani Ports को 400 करोड़ रुपये देने होंगे क्योंकि विझिंजम पोर्ट पर ब्रेकवाटर का निर्माण आगे बढ़ रहा है. दोनों के बीच हुए समझौते के मुताबिक 30 फीसदी ब्रेकवाटर पूरा होने पर केरल को अडाणी पोर्ट्स को 400 करोड़ रुपये देने होंगे और वे कुछ समय से सरकार के दरवाजे खटखटा रहे हैं.

केरल सरकार हुडको से 400 करोड़ रुपये कर्ज लेगी : राज्य सरकार कर्ज के जाल में फंस गई है और वित्तीय स्थिति चरमरा गई है और इसलिए वे बंदरगाह निर्माता के प्रति प्रतिबद्धता का सम्मान करने में असमर्थ हैं. समय बीतने के साथ, पिनाराई विजयन सरकार ने अब हुडको से 400 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का फैसला किया है. विझिंजम बंदरगाह लगातार सरकारों का एक ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और अंतत: तत्कालीन ओमन चांडी सरकार (2011-16) द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई थी. Adani Ports इस परियोजना के लिए एकमात्र बोलीदाता थी और काम 5 दिसंबर 2015 को शुरू हुआ था.

पहला जहाज 2018 में आना था : गौतम अडाणी ने तब घोषणा की थी कि पहला जहाज 1 सितंबर, 2018 को 1,000 दिनों से भी कम समय के रिकॉर्ड समय में वहां पहुंचेगा. लेकिन कई कारणों से चीजें बिगड़ गईं. राज्य के बंदरगाह मंत्री अहमद देवरकोविल ने अब कहा है कि पहला जहाज मार्च 2023 में आएगा और बंदरगाह का पहला चरण 2023 में चालू हो जाएगा. 2017 में पहली बार चक्रवात ओखी के निर्माण स्थल पर आने के बाद परियोजना ठप हो गई और निर्मित ब्रेकवाटर का एक हिस्सा बह गया और तब से परियोजना के लिए सबसे महत्वपूर्ण कच्चे माल चूना पत्थर की कमी के कारण एक और देरी हुई.

परियोजना का खर्च 7,525 करोड़ रुपये : बंदरगाह परियोजना की कुल लागत 7,525 करोड़ रुपये है और राज्य सरकार ने 500 एकड़ जमीन का योगदान दिया है. योजना के अनुसार, एक बार पूरा हो जाने पर, यह भारत के सबसे गहरे बंदरगाहों में से एक होगा और देश का 80 प्रतिशत कार्गो ट्रांस-शिपमेंट यहीं से होकर जाएगा.

40 साल तक परियोजना की कमान अडाणी के हाथ में : परियोजना के लिए एकमात्र बोलीदाता अडाणी पोर्ट्स ने निर्माण उद्देश्यों के लिए 1,635 करोड़ रुपये का अनुदान (ग्रांट) मांगा था. अनुदान यानि सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता राशि. Vizhinjam समझौते के अनुसार, अडाणी 40 साल के लिए बंदरगाह का संचालन करेगा. जिसे 20 साल और बढ़ाया जा सकता है. जबकि राज्य सरकार को 15 साल बाद बंदरगाह से राजस्व का एक हिस्सा मिलेगा.

(आईएएनएस)

पढ़ें: Adani Group Share : अडाणी एंटरप्राइजेज पर मूडीज की रिपोर्ट का असर, जानें क्या है आज कंपनी के शेयरों का हाल

तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार और अडाणी पोर्ट्स के बीच विझिंजम समझौते हुआ था. जिसके तहत केरल सरकार को आने वाले दिनों में Adani Ports को 400 करोड़ रुपये देने होंगे क्योंकि विझिंजम पोर्ट पर ब्रेकवाटर का निर्माण आगे बढ़ रहा है. दोनों के बीच हुए समझौते के मुताबिक 30 फीसदी ब्रेकवाटर पूरा होने पर केरल को अडाणी पोर्ट्स को 400 करोड़ रुपये देने होंगे और वे कुछ समय से सरकार के दरवाजे खटखटा रहे हैं.

केरल सरकार हुडको से 400 करोड़ रुपये कर्ज लेगी : राज्य सरकार कर्ज के जाल में फंस गई है और वित्तीय स्थिति चरमरा गई है और इसलिए वे बंदरगाह निर्माता के प्रति प्रतिबद्धता का सम्मान करने में असमर्थ हैं. समय बीतने के साथ, पिनाराई विजयन सरकार ने अब हुडको से 400 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का फैसला किया है. विझिंजम बंदरगाह लगातार सरकारों का एक ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और अंतत: तत्कालीन ओमन चांडी सरकार (2011-16) द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई थी. Adani Ports इस परियोजना के लिए एकमात्र बोलीदाता थी और काम 5 दिसंबर 2015 को शुरू हुआ था.

पहला जहाज 2018 में आना था : गौतम अडाणी ने तब घोषणा की थी कि पहला जहाज 1 सितंबर, 2018 को 1,000 दिनों से भी कम समय के रिकॉर्ड समय में वहां पहुंचेगा. लेकिन कई कारणों से चीजें बिगड़ गईं. राज्य के बंदरगाह मंत्री अहमद देवरकोविल ने अब कहा है कि पहला जहाज मार्च 2023 में आएगा और बंदरगाह का पहला चरण 2023 में चालू हो जाएगा. 2017 में पहली बार चक्रवात ओखी के निर्माण स्थल पर आने के बाद परियोजना ठप हो गई और निर्मित ब्रेकवाटर का एक हिस्सा बह गया और तब से परियोजना के लिए सबसे महत्वपूर्ण कच्चे माल चूना पत्थर की कमी के कारण एक और देरी हुई.

परियोजना का खर्च 7,525 करोड़ रुपये : बंदरगाह परियोजना की कुल लागत 7,525 करोड़ रुपये है और राज्य सरकार ने 500 एकड़ जमीन का योगदान दिया है. योजना के अनुसार, एक बार पूरा हो जाने पर, यह भारत के सबसे गहरे बंदरगाहों में से एक होगा और देश का 80 प्रतिशत कार्गो ट्रांस-शिपमेंट यहीं से होकर जाएगा.

40 साल तक परियोजना की कमान अडाणी के हाथ में : परियोजना के लिए एकमात्र बोलीदाता अडाणी पोर्ट्स ने निर्माण उद्देश्यों के लिए 1,635 करोड़ रुपये का अनुदान (ग्रांट) मांगा था. अनुदान यानि सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता राशि. Vizhinjam समझौते के अनुसार, अडाणी 40 साल के लिए बंदरगाह का संचालन करेगा. जिसे 20 साल और बढ़ाया जा सकता है. जबकि राज्य सरकार को 15 साल बाद बंदरगाह से राजस्व का एक हिस्सा मिलेगा.

(आईएएनएस)

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