नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को अंतिम रूप देने में देरी के लिए भारत की आलोचना पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि ऐसे समझौतों के लिए सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत होती है क्योंकि ऐसे समझौते लोगों की आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने सोमवार को कहा कि बार-बार इस तरह की बातें सुनने को मिल रही हैं कि भारत ब्रिटेन के साथ एफटीए पर जल्दी हस्ताक्षर क्यों नहीं कर रहा है?कोई यह नहीं कहता कि ब्रिटेन भारत के साथ जल्दी से हस्ताक्षर क्यों नहीं कर रहा है? तो कहीं न कहीं, हमें सामंजस्य बनाना ही होगा. विदेश मंत्री इन बातों को एक पुस्तक रिलीज सेरेमनी में बोले.
भारत और ब्रिटेन लगातार कर रहे संवाद
भारत और ब्रिटेन एक महत्वाकांक्षी एफटीए को अंतिम रूप देने के लिए लगातार संवाद कर रहे हैं. बताया जाता है कि दोनों पक्षों ने एफटीए की 26 में से 20 शर्तों को अंतिम रूप दे दिया है. अब वे कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क रियायतों सहित कई मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने में जुटे हुये हैं. दोनों पक्षों ने पिछले साल अप्रैल में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को पूरा करने के लिए दिवाली की समय सीमा तय की थी. लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेदों के साथ-साथ ब्रिटेन में राजनीतिक घटनाक्रम के कारण समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका.
विदेश मंत्री का कहना एफटीए जरूरी है
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम अभी कई प्रमुख साझेदारों के साथ कुछ गंभीर बातचीत करने में लगे हैं. आगे उन्होंने कहा कि हम ऐसे लोगों में से नहीं जो अपने कदम पीछे खींच लें और हमें इसमें तेजी लानी चाहिए क्योंकि हर एफटीए और हर कदम अपने आप में एक उपलब्धि है. विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि एफटीए जरूरी है. लेकिन साथ ही विभिन्न प्रावधानों की सावधानीपूर्वक समीक्षा की आवश्यकता को भी रेखांकित किया.
जयशंकर ने कहा कि वह एफटीए की खूबियों और जोखिमों पर बेहद विवेकपूर्ण तरीके से विचार करना चाहते हैं. क्योंकि भारत जैसे देश के लिए कोई भी निर्णय लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है और यह उनकी आजीविका का मामला हो सकता है. जयशंकर ने पिछले 75 वर्षों में भारत की विदेश नीति के बारे में आत्मविश्लेषण के महत्व को भी रेखांकित किया.