नई दिल्ली : ईरान ने ओएनजीसी विदेश लि. (ओवीएल) और उसके भागीदारों को फारस की खाड़ी के फरजाद-बी गैस क्षेत्र में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी देने की पेशकश की है (Iran offers 30 percent stake in gas sector). इस क्षेत्र की खोज भारतीय कंपनियों के गठजोड़ ने की है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की विदेश इकाई ओएनजीसी विदेश लि. ने 2008 में फारस के अपतटीय ब्लॉक में 3,500 वर्ग किलोमीटर के विशाल गैस क्षेत्र की खोज की थी.
अप्रैल 2011 में कंपनी ने इस खोज के लिए मास्टर विकास योजना जमा कराई थी. इस क्षेत्र को फरजाद-बी का नाम दिया गया. परमाणु योजना की वजह से ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगने से इस क्षेत्र से गैस उत्पादन को लेकर बातचीत रुक गई थी. इस पर बातचीत 2015 में फिर शुरू हुई. फरवरी, 2020 में नेशनल ईरानियल ऑयल कंपनी (एनआईओसी) ने सूचित किया कि ईरान सरकार ने क्षेत्र के विकास का अनुबंध एक स्थानीय कंपनी को देने का फैसला किया है.
अधिकारियों ने बताया कि खोज अनुबंध के तहत ओवीएल और उसके भागीदारों को क्षेत्र विकास योजना का हिस्सा बनने का अधिकार है. खोज सेवा अनुबंध का हवाला देते हुए ईरान ने भारतीय कंपनियों के गठजोड़ से कहा है कि न्यूनतम 30 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए विकास अनुबंध में भागीदारी के अपने अधिकार का इस्तेमाल करे. ईरान ने भारतीय कंपनियों से कहा है कि वे अपने अधिकारों का इस्तेमाल 90 दिन में करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि उन्होंने पेशकश को खारिज कर दिया है.
अधिकारियों ने बताया कि विकास अनुबंध में हिस्सेदारी के लिए एनआईओसी को मार्च में पत्र भेजा गया. उसके बाद अगले महीने उसे फिर पत्र भेजा गया. लेकिन एनआईओसी की ओर से इसका जवाब नहीं मिला है. फारस की खाड़ी में स्थित इस अपतटीय गैस ब्लॉक में ओवीएल के पास 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के पास भी 40 प्रतिशत और शेष 20 प्रतिशत हिस्सेदारी इंडियन ऑयल के पास है.
पढ़ें- रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच सकते हैं प्राकृतिक गैस के दाम
(पीटीआई-भाषा)