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Spacetech Sectors : अंतरराष्ट्रीय स्पेसटेक में फंडिंग के मामले में भारत ने लगाई लंबी छलांग - pm modi isro headquarters

ट्रैक्सन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारत अंतरराष्ट्रीय स्पेसटेक क्षेत्र में फंडिंग के मामले में सातवें स्थान पर है. विशेषकर वनवेब के लिए ISRO द्वारा 36 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण भारत के योगदान को दर्शाता है. Spacetech Sectors

Spacetech Sectors
स्पेसटेक क्षेत्र
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 26, 2023, 1:31 PM IST

नई दिल्ली: देश में स्पेसटेक क्षेत्र को इस साल अब तक 62 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है, जो पिछले साल की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक है. मार्केट इंटेलिजेंस फर्म ट्रैक्सन की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्पेसटेक परिदृश्य में फंडिंग के मामले में सातवें स्थान पर है और इस क्षेत्र में अपना प्रभाव मजबूती से स्थापित कर रहा है. यह असाधारण विकास प्रवृत्ति आगामी महीनों में भी जारी रहने की उम्मीद है. भारतीय स्पेसटेक क्षेत्र की यात्रा परिवर्तन में से एक रही है, जो 2020 में क्षेत्र के निजीकरण से प्रेरित है.

2010 और 2019 के बीच जुटाए गए 35 मिलियन डॉलर के मामूली फंड से, इस क्षेत्र ने 2020 में जबरदस्त छलांग लगाई और 28 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की. यह प्रवृत्ति तेजी से वृद्धि के साथ जारी रही, 2021 में 96 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई और 2022 में प्रभावशाली 112 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है. "रिपोर्ट में कहा गया है, "पहले सरकारी भागीदारों का वर्चस्व था. इस क्षेत्र में निजीकरण के बाद निजी क्षेत्र की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. निजी संस्थाएं अब रॉकेट और उपग्रहों के अनुसंधान, विनिर्माण और निर्माण के महत्वपूर्ण पहलुओं में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जो नवाचार (innovation) के एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे रही हैं."

  • PM #NarendraModi said with the success of #Chandrayaan3 mission, India will emerge as a global leader in space technology and giant strides in the field will help the country emerge as a modern, developed nation by 2047.

    PM was addressing the gathering of scientists at the… pic.twitter.com/r8dprdGVkl

    — IANS (@ians_india) August 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक शक्तिशाली देश के रूप में भारत का उद्भव इसके प्रभावशाली उपग्रह परिनियोजन द्वारा और अधिक उजागर होता है. 381 उपग्रहों को निचली कक्षा में स्थापित करने के साथ, भारत ने खुद को इस क्षेत्र में एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित किया है. विशेष रूप से, यूके स्थित वनवेब के लिए इसरो द्वारा कक्षा में 36 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण वैश्विक उपग्रह स्वामित्व में भारत के योगदान को दर्शाता है.

ये भी पढ़ें:

ISRO : Chandrayaan 3 के चंद्रमा तक पहुंचने की प्रक्रिया पूरी, जल्द शुरू होगा अगला चरण

सेटेलाइट निर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना की योजना भी पाइपलाइन में है. सेटेलाइट-आधारित इमेजिंग सॉल्यूशंस को भी पर्याप्त समर्थन मिला है, पिछले दो वर्षों में 84.2 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की गई है. पिक्‍सेल जैसी कंपनियों ने पृथ्वी अवलोकन के लिए अग्रणी तकनीकें पेश की हैं, जबकि ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस अपनी अनूठी पेशकशों के माध्यम से इस क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: देश में स्पेसटेक क्षेत्र को इस साल अब तक 62 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है, जो पिछले साल की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक है. मार्केट इंटेलिजेंस फर्म ट्रैक्सन की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्पेसटेक परिदृश्य में फंडिंग के मामले में सातवें स्थान पर है और इस क्षेत्र में अपना प्रभाव मजबूती से स्थापित कर रहा है. यह असाधारण विकास प्रवृत्ति आगामी महीनों में भी जारी रहने की उम्मीद है. भारतीय स्पेसटेक क्षेत्र की यात्रा परिवर्तन में से एक रही है, जो 2020 में क्षेत्र के निजीकरण से प्रेरित है.

2010 और 2019 के बीच जुटाए गए 35 मिलियन डॉलर के मामूली फंड से, इस क्षेत्र ने 2020 में जबरदस्त छलांग लगाई और 28 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की. यह प्रवृत्ति तेजी से वृद्धि के साथ जारी रही, 2021 में 96 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई और 2022 में प्रभावशाली 112 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है. "रिपोर्ट में कहा गया है, "पहले सरकारी भागीदारों का वर्चस्व था. इस क्षेत्र में निजीकरण के बाद निजी क्षेत्र की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. निजी संस्थाएं अब रॉकेट और उपग्रहों के अनुसंधान, विनिर्माण और निर्माण के महत्वपूर्ण पहलुओं में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जो नवाचार (innovation) के एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे रही हैं."

  • PM #NarendraModi said with the success of #Chandrayaan3 mission, India will emerge as a global leader in space technology and giant strides in the field will help the country emerge as a modern, developed nation by 2047.

    PM was addressing the gathering of scientists at the… pic.twitter.com/r8dprdGVkl

    — IANS (@ians_india) August 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक शक्तिशाली देश के रूप में भारत का उद्भव इसके प्रभावशाली उपग्रह परिनियोजन द्वारा और अधिक उजागर होता है. 381 उपग्रहों को निचली कक्षा में स्थापित करने के साथ, भारत ने खुद को इस क्षेत्र में एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित किया है. विशेष रूप से, यूके स्थित वनवेब के लिए इसरो द्वारा कक्षा में 36 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण वैश्विक उपग्रह स्वामित्व में भारत के योगदान को दर्शाता है.

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सेटेलाइट निर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना की योजना भी पाइपलाइन में है. सेटेलाइट-आधारित इमेजिंग सॉल्यूशंस को भी पर्याप्त समर्थन मिला है, पिछले दो वर्षों में 84.2 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की गई है. पिक्‍सेल जैसी कंपनियों ने पृथ्वी अवलोकन के लिए अग्रणी तकनीकें पेश की हैं, जबकि ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस अपनी अनूठी पेशकशों के माध्यम से इस क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं.

(आईएएनएस)

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