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Sugar Matter in WTO : भारत, ब्राजील ने WTO में चीनी से संबंधित विवाद सुलझाने के लिए बातचीत शुरू की

चीनी से संबंधित व्यापार विवाद को सुलझाने के लिए भारत और ब्राजील ने अभी से बातचीत शुरू कर दी है. बता दें, ब्राजील दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. वहीं, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है.

Sugar Matter in WTO
विश्व व्यापार संगठन
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By PTI

Published : Sep 17, 2023, 2:10 PM IST

नई दिल्ली : भारत और ब्राजील ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में चीनी से संबंधित व्यापार विवाद को पारस्परिक रूप से सुलझाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है. इस विवाद के समाधान के तहत दक्षिण अमेरिकी देश भारत के साथ एथनॉल उत्पादन प्रौद्योगिकी साझा कर सकता है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. ब्राजील दुनिया में गन्ना और एथनॉल का सबसे बड़ा उत्पादक है. यह एथनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रौद्योगिकी में भी अग्रणी है.

अधिकारी ने कहा-
‘विवाद को सुलझाने के हमारे प्रयासों के तहत कुछ दौर की बातचीत हुई है. हमने यहां अंतर-मंत्रालयी बैठकें भी की हैं. ब्राजील ने कहा है कि वह हमारे साथ एथनॉल (उत्पादन) प्रौद्योगिकी साझा करेगा. यह एक सकारात्मक बात है.’

एथनॉल का इस्तेमाल वाहन ईंधन में मिलाने के लिए किया जाता है. गन्ने के साथ-साथ टूटे हुए चावल और अन्य कृषि उपज से निकाले गए एथनॉल के उपयोग से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कच्चे तेल उपभोक्ता व आयातक देश को आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी. भारत फिलहाल अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है. साथ ही एथनॉल कार्बन उत्सर्जन में भी कमी लाता है. भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है.

जिनेवा स्थित बहुपक्षीय निकाय में विवाद को सुलझाने के लिए भारत को पारस्परिक रूप से सहमत समाधान (एमएएस) के तहत अपनी ओर से भी कुछ पेशकश करनी होगी. हाल ही में भारत और अमेरिका ने छह व्यापार विवादों को निपटाया है और सातवें मामले को भी समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की है. इस समाधान के तहत जहां भारत ने सेब और अखरोट जैसे आठ अमेरिकी उत्पादों पर ‘जवाबी’ शुल्क हटा दिया है, वहीं अमेरिका अतिरिक्त शुल्क लगाए बिना भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों को बाजार पहुंच प्रदान कर रहा है.

Sugar Matter in WTO
चीनी से संबंधित व्यापार विवाद सुलझाने के लिए बातचीत

अधिकारी ने कहा कि भारत डब्ल्यूटीओ में चीनी विवाद में अन्य शिकायतों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपना रहा है. वर्ष 2019 में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने भारत को डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र में घसीटा था और आरोप लगाया था कि भारत द्वारा किसानों को चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं है. 14 दिसंबर 2021 को डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान पैनल ने फैसला सुनाया कि चीनी क्षेत्र को भारत के समर्थन उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं.

जनवरी, 2022 में भारत ने डब्ल्यूटीओ के अपीलीय निकाय में पैनल के फैसले के खिलाफ अपील की. अपीलीय निकाय को विवादों के खिलाफ फैसले पारित करने का अंतिम अधिकार है. हालांकि, अपीलीय निकाय के सदस्यों की नियुक्तियों पर देशों में मतभेद के कारण यह कार्य नहीं कर रहा है. ब्राजील दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है.

डब्ल्यूटीओ के सदस्यों... ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने शिकायत की थी कि गन्ना उत्पादकों को भारत के समर्थन उपाय गन्ना उत्पादन के कुल मूल्य के 10 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर से अधिक हैं. यह कृषि पर डब्ल्यूटीओ समझौते के अनुरूप नहीं है. इसके अलावा इन देशों ने भारत की कथित निर्यात सब्सिडी पर भी चिंता जताई है. डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुसार, विश्व व्यापार संगठन के किसी भी सदस्य को अगर लगता है कि कोई व्यापार उपाय डब्ल्यूटीओ नियमों के खिलाफ है, तो वह जिनेवा के बहुपक्षीय निकाय में मामला दायर कर सकता है.

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अधिकारी ने कहा-
‘विवाद को सुलझाने के हमारे प्रयासों के तहत कुछ दौर की बातचीत हुई है. हमने यहां अंतर-मंत्रालयी बैठकें भी की हैं. ब्राजील ने कहा है कि वह हमारे साथ एथनॉल (उत्पादन) प्रौद्योगिकी साझा करेगा. यह एक सकारात्मक बात है.’

एथनॉल का इस्तेमाल वाहन ईंधन में मिलाने के लिए किया जाता है. गन्ने के साथ-साथ टूटे हुए चावल और अन्य कृषि उपज से निकाले गए एथनॉल के उपयोग से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कच्चे तेल उपभोक्ता व आयातक देश को आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी. भारत फिलहाल अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है. साथ ही एथनॉल कार्बन उत्सर्जन में भी कमी लाता है. भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है.

जिनेवा स्थित बहुपक्षीय निकाय में विवाद को सुलझाने के लिए भारत को पारस्परिक रूप से सहमत समाधान (एमएएस) के तहत अपनी ओर से भी कुछ पेशकश करनी होगी. हाल ही में भारत और अमेरिका ने छह व्यापार विवादों को निपटाया है और सातवें मामले को भी समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की है. इस समाधान के तहत जहां भारत ने सेब और अखरोट जैसे आठ अमेरिकी उत्पादों पर ‘जवाबी’ शुल्क हटा दिया है, वहीं अमेरिका अतिरिक्त शुल्क लगाए बिना भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों को बाजार पहुंच प्रदान कर रहा है.

Sugar Matter in WTO
चीनी से संबंधित व्यापार विवाद सुलझाने के लिए बातचीत

अधिकारी ने कहा कि भारत डब्ल्यूटीओ में चीनी विवाद में अन्य शिकायतों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपना रहा है. वर्ष 2019 में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने भारत को डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र में घसीटा था और आरोप लगाया था कि भारत द्वारा किसानों को चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं है. 14 दिसंबर 2021 को डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान पैनल ने फैसला सुनाया कि चीनी क्षेत्र को भारत के समर्थन उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं.

जनवरी, 2022 में भारत ने डब्ल्यूटीओ के अपीलीय निकाय में पैनल के फैसले के खिलाफ अपील की. अपीलीय निकाय को विवादों के खिलाफ फैसले पारित करने का अंतिम अधिकार है. हालांकि, अपीलीय निकाय के सदस्यों की नियुक्तियों पर देशों में मतभेद के कारण यह कार्य नहीं कर रहा है. ब्राजील दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है.

डब्ल्यूटीओ के सदस्यों... ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने शिकायत की थी कि गन्ना उत्पादकों को भारत के समर्थन उपाय गन्ना उत्पादन के कुल मूल्य के 10 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर से अधिक हैं. यह कृषि पर डब्ल्यूटीओ समझौते के अनुरूप नहीं है. इसके अलावा इन देशों ने भारत की कथित निर्यात सब्सिडी पर भी चिंता जताई है. डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुसार, विश्व व्यापार संगठन के किसी भी सदस्य को अगर लगता है कि कोई व्यापार उपाय डब्ल्यूटीओ नियमों के खिलाफ है, तो वह जिनेवा के बहुपक्षीय निकाय में मामला दायर कर सकता है.

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