बेंगलुरु : उपभोक्ता आयोग ने स्वीडन की खुदरा फर्नीचर कंपनी आइकिया( Swedish Furniture Company) को एक उपभोक्ता के पैसे लौटाने का निर्देश दिया है. कंपनी को खरीदे गए सामान के लिए ‘पेपर बैग’ (paper bag) पर शुल्क लेने के मामले में 3,000 रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया गया है. आइकिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को उपभोक्ता को ब्याज सहित 20 रुपये का भुगतान करने, साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में 1,000 रुपये और मुकदमेबाजी पर आए खर्च के लिए 2,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया.
अतिरिक्त जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (बेंगलुरु, शांतिनगर) ने अपने आदेश में कहा कि आइकिया ने ‘कैरी बैग’ के लिए 20 रुपये का शुल्क लिया, जिसपर उसका ‘लोगो’ छपा हुआ था. आयोग ने कहा कि बैग के लिए शुल्क लेना अनुचित व्यापार व्यवहार है. उपभोक्ता संगीता बोहरा छह अक्टूबर को यहां आइकिया की नागासंद्रा शाखा गईं थी, जहां उनसे पेपर बैग के लिए शुल्क लिया गया. इसके बाद उन्होंने आयोग का रुख कर दावा किया कि यह अनुचित व्यापार व्यवहार है. आइकिया को आदेश मिलने की तारीख से 30 दिन के भीतर इसका अनुपालन करने का निर्देश दिया गया है.
वहीं, आइकिया ने तर्क दिया कि वह ऐसे किसी भी सामान की बिक्री में शामिल नहीं है जिसमें छिपे हुए शुल्क हों या अपने उपभोक्ताओं से जानकारी छिपाने में शामिल हो या किसी ऐसे व्यवहार में शामिल हो जिसे विश्वास का उल्लंघन या अनुचित व्यापार व्यवहार माना जा सकता है. पेपर बैग सहित इसके सभी उत्पादों से संबंधित जानकारी इसके स्टोर के विभिन्न गलियारों पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाती है और बिलिंग के समय खरीदारों के साथ स्वचालित रूप से या संदिग्ध रूप से नहीं जोड़ी जाती है.
अध्यक्ष बी एन अरयानप्पा और सदस्यों ज्योति एन और शरावती एस एम की अध्यक्षता वाले आयोग ने हालांकि अपने फैसले में इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा, यह माननीय राज्य आयोग द्वारा माना गया है कि माल को वितरण योग्य स्थिति में लाने के लिए किए गए सभी प्रकार के खर्च होंगे. विक्रेता को कष्ट हुआ. इस प्रकार, उठाया गया विवाद स्वीकार्यता के योग्य नहीं है. आयोग ने कहा कि उपभोक्ताओं को अपना बैग ले जाने की भी अनुमति नहीं थी. यदि कोई उपभोक्ता अलग-अलग दुकानों से लगभग 15 (आइटम) खरीदना चाहता है, तो हम उससे यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि वह इसके लिए घर से 15 कैरी बैग ले जाएगा. हालिया फैसले में कहा गया है.