नई दिल्ली: नाइट फ्रैंक के मुताबिक मांग बढ़ने के वजह से 8 मेन शहरों में जुलाई से सितंबर में आवास बिक्री सालाना आधार पर 12 फीसदी बढ़कर 82,612 यूनिट्स हो गई है. यह आकड़ा तिमाही बिक्री का छह साल का सबसे उच्चतम स्तर है. पिछले साल भी आठ प्रमुख शहरों में आवास की बिक्री 73,691 यूनिट्स थी. बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में, नाइट फ्रैंक इंडिया ने कहा कि बिक्री में वृद्धि उल्लेखनीय है क्योंकि यह तिमाही बिक्री में लगभग छह साल का उच्चतम स्तर है.
आंकड़ों के अनुसार, जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान मुंबई में आवास की बिक्री 4 फीसदी बढ़कर 22,308 इकाई हो गई, जो एक साल पहले 21,450 यूनिट्स थी. रिपोर्टिंग पीरियड में दिल्ली-एनसीआर में आवास की बिक्री 11,014 इकाई से 27 फीसदी बढ़कर 13,981 फीसदी हो गई. बेंगलुरु में आवासीय संपत्तियों की बिक्री 13,013 फीसदी से मामूली बढ़ोतरी के साथ 13,169 यूनिट्स हो गई है.
वहीं, पुणे में बिक्री 20 फीसदी बढ़कर 10,899 यूनिट्स से 13,079 यूनिट्स हो गई. हैदराबाद में आवास बिक्री 5 फीसदी बढ़कर 7,900 यूनिट्स से 8,325 यूनिट हो गई और अहमदाबाद में आवास बिक्री 6 फीसदी बढ़कर 3,887 यूनिट्स से 4,108 यूनिट हो गई. चेन्नई में बिक्री 5 फीसदी बढ़कर 3,685 यूनिट्स से 3,870 इकाइयों पर पहुंच गई, जबकि कोलकाता में आवास बिक्री दो गुना से अधिक बढ़कर 1,843 यूनिट्स से 3,772 यूनिट्स पर पहुंच गई.
कीमतों में इजाफा के बावजूद डिंमाड
Knight Frank ने बताया कि साल दर साल सभी बाजारों में मांग के अनुरूप मूल्य स्तर में भी वृद्धि हुई है. हैदराबाद में आवास की कीमतों में साल-दर-साल 11 फीसदी की सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई. आवासीय संपत्तियों की कीमतें कोलकाता में 7 फीसदी बेंगलुरु और मुंबई में 6 फीसदी, पुणे में 5 फीसदी, अहमदाबाद और दिल्ली-एनसीआर में 4 फीसदी और चेन्नई में 3 फीसदी बढ़ीं.
शिशिर बैजल ने कहा कि आवासीय बिक्री लगातार बढ़ रही है और कई सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. हालांकि डेवलपर्स द्वारा इस मजबूत मांग को पूरा करने के लिए परियोजनाएं शुरू करने के कारण इन्वेंट्री स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, लेकिन मजबूत बिक्री वेग के साथ बाजार में सुधार हो रहा है. बैजल ने आगे कहा कि बढ़ी ब्याज दरों और कीमतों का उच्च-टिकट आकार के घर खरीदारों पर बहुत कम प्रभाव पड़ा है. लेकिन किफायती खंड गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है, जिससे मांग को प्रोत्साहित करने और विकास व्यवहार्यता बढ़ाने के लिए और हस्तक्षेप की आवश्यकता हुई है.
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