वॉशिंगटन : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन दिनों IMF और विश्व बैंक की सयुंक्त बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिका गई हुई हैं. जहां कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चाएं हो रही है, जिसमें से एक है क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी चुनौतियां. इस चर्चा में G20 के सदस्य देश इस बात पर सहमत हो गए हैं कि न केवल क्रिप्टो संपत्तियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए बल्कि उन्हें विनियमित करने के लिए भी विश्व स्तर पर मिले -जुले समझ की आवश्यकता होगी.
सीतारमण ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समूह ने तत्परता के साथ इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है और G20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, क्रिप्टो संपत्ति से संबंधित मामलों पर एक ‘संश्लेषण पत्र’ लाया जाएगा जो भिन्न विचारों की अभिव्यक्ति करेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि G20 के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर आम सहमति है कि क्रिप्टो संपत्तियों पर कोई भी कार्रवाई वैश्विक होनी चाहिए.
क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी चुनौतियों पर हुई चर्चा : वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (WB) की सालाना वसंत बैठकों से इतर सीतारमण, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने समूह के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की एक बैठक की सह-अध्यक्षता की. इस बैठक में क्रिप्टो करेंसी और उससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात की गई. ऋण पुनर्गठन और समाधान के बारे में सीतारमण ने कहा कि ये निम्न और मध्यम आय वाले अनेक देशों के लिए आवश्यक मुद्दे हैं और जी20 इस बात से सहमत है कि इन मामलों का तेजी से निपटारा किया जाना चाहिए.
कर्ज में डूबे देशों की होगी मदद : सीतारमण ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जी20 देश और अनेक हितधारक वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की सालाना वसंत बैठकों से इतर इन विषयों पर चर्चा कर रहे हैं ताकि कर्ज में डूबे देशों के लिए समय रहते समाधान निकाला जा सके. कर्ज में डूबे श्रीलंका, जाम्बिया, घाना और इथिओपिया जैसे देशों के प्रतिनिधि इस चर्चा में शामिल रहे.
वित्त मंत्री ने कहा कि G20 के देश यह जानते हैं कि कम आय और मध्यम आय वाले देशों में बढ़ते कर्ज के दबाव और संवदेनशीलताओं से निपटने के लिए बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करना होगा. उन्होंने कहा कि जब आप यह समझ जाते हैं कि आपको यह समय पर और जल्द से जल्द करना है तो प्रक्रिया भी तेजी से बढ़ने लगती है. मुझे उम्मीद है कि कई देशों के लिए समाधान मिलेंगे, जिनमें से कुछ के नाम मैंने लिए हैं, कुछ और देश भी होंगे जिनके नाम नहीं लिए लेकिन उन्हें भी समाधान जल्द मिलेंगे.
(पीटीआई- भाषा)